देश के सबसे बड़े निजी क्षेत्र के बैंक एचडीएफसी बैंक में कार के एवज में दिए जाने वाले कर्ज में धोखाधड़ी सामने आई है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक कार डीलरशिप फर्म के मुख्य वित्तीय अधिकारी को बैंकों से 300 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान गुड़गांव निवासी बिभव शर्मा के रूप में हुई है।
EOW के कमिश्नर ओ पी मिश्रा के अनुसार एचडीएफसी बैंक ने मैसर्स जेनिका कार्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक के खिलाफ 102 करोड़ रुपए के गबन की शिकायत की है। इसके बाद एचडीएफसी बैंक की शिकायत के आधार पर आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने केस दर्ज किया था। बिभव शर्मा ने साल 2007 में इस कंपनी में फाइनेंस का काम संभाला था। यह कंपनी ऑडी कार बेचने और फाइनेंस मुहैया कराने का काम करती है। बैंक ने कंपनी के डायरेक्टर राश पाल सिंह टोड, मंधीर सिंह टॉड और इसके सीएफओ बिभव शर्मा को अपनी शिकायत में नामित किया था।
प्रॉफिट होने के बाद भी दिखाया घाटा
एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों ने बताया कि 2018 तक सब ठीक चल रहा था। लेकिन 2018 में जब संदेह होने पर बैंक के अधिकारियों ने शोरूम का दौरा किया तो वहां 200 की जगह केवल 29 कारें खड़ी थीं। पद पर रहते हुए बिभव शर्मा ने कंपनी को 4 साल तक घाटे में भी बताया जबकि बैलेंस सीट के मुताबिक कंपनी फायदे में थी। एचडीएफसी बैंक के अधिकारियों ने बताया कि इस तरह कंपनी ने बैंक से लोन लेकर उसे 102 करोड़ का चूना लगाया।
कई बैंकों को लगाया चूना
इसी तरह इस कंपनी ने अलग बैंकों के साथ 300 करोड़ की धोखाधड़ी की है। जानकारी के अनुसार जांच के दौरान, यह सामने आया कि कथित व्यक्तियों ने अन्य वित्तीय संस्थानों यानी ICICI बैंक, फेडरल बैंक, जेएंडके बैंक और फॉक्सवैगन प्राइवेट से 130 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्राप्त की थी।
हाल ही में HDFC बैंक ने धोखाधड़ी के चलते अपने कर्मचारियों को नौकरी से हटाया
कुछ ही महीने पहले एचडीएफसी बैंक में कार के एवज में दिए जाने वाले कर्ज में धोखाधड़ी सामने आई है। इस मामले में बैंक ने कार्रवाई करते हुए 6 सीनियर और मध्यम स्तर के कर्मचारियों की छुट्टी कर दी है। इस मामले में शिकायत के बाद आंतरिक जांच की थी। जांच में पाया गया कि इन कर्मचारियों ने कोड ऑफ कंडक्ट और गवर्नेंस स्टैंडर्ड का पालन नहीं किया था। यह देखा गया कि ये लोग भ्रष्टाचार में शामिल थे। कर्मचारियों को बैंक से निकालकर बैंक प्रबंधन ने यह संदेश दिया है कि वह इस तरह के मामलों को स्वीकार नहीं करेगा।
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