अंतरराष्ट्रीय MSME दिवस के अवसर पर गैर लाभकारी संस्था वाधवानी फाउंडेशन ने MSME के सशक्तिकरण की अपील की है। उसने कहा है कि क्षमतावान MSME को अपनी तरक्की को रफ्तार देने के बारे में सोचना चाहिए। वाधवानी फाउंडेशन ने कोविड के कारण संघर्ष कर रहे MSME से खुद को मजबूत बनाने की सलाह दी है।
अंतरराष्ट्रीय MSME दिवस आत्मनिरीक्षण करने का समय
वाधवानी एडवांटेज के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट समीर साठे ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय MSME दिवस आत्मनिरीक्षण करने का समय है। MSME सेक्टर को कोविड के चलते जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, उन पर गौर करने की जरूरत है। यह देश के आर्थिक और सामाजिक ताने-बाने का अहम हिस्सा है। इसमें पूरी तरह रिकवरी रणनीतिक सपोर्ट से ही हो पाएगी।
नकदी की उपलब्धता, लेनदारों की मांग पर ध्यान देने की जरूरत
साठे ने कहा कि यह जरूरी है कि इस क्षेत्र में स्थिरता लाई जाए और तात्कालिक चुनौतियों का मुकाबला किया जाए। इसके लिए उनको नकदी की उपलब्धता, कर्मचारियों के वेतन, लेनदारों की मांग पर ध्यान देने की जरूरत है। उनके सामने बड़ी चुनौती यह जानने की है कि उन्हें तरक्की की नई राह कहां मिल सकती है।
पलक झपके ही भरभरा कर गिर जाएगी व्यवस्था
उन्होंने कहा, 'कोविड ने पूरी दुनिया, खास तौर पर विकासशील देशों को परेशान किया हुआ है। ऐसे में यह मानी हुई बात है कि MSME को सहायता की सख्त जरूरत है। अगर उनका ध्यान नहीं रखा गया तो कारोबार, विदेश व्यापार, अर्थव्यवस्था और आजीविका की विश्व व्यवस्था पलक झपके ही भरभरा कर गिर जाएगी।'
डिजिटल इनोवेशन दिखाते हैं MSME का दमखम
साठे ने यह भी कहा कि MSME रजिस्ट्रेशन में आया हालिया उछाल और उनके कारोबार में किए गए डिजिटल इनोवेशन बताते हैं कि वे कितने दमदार हैं। उनका कहना है कि वाधवानी एडवांटेज का फोकस MSME की कारोबारी बुनियाद को मजबूत बनाने और उनमें स्थिरता लाने पर है। इससे उनका लॉन्ग टर्म में तेज विकास हो सकेगा।
कोविड का पूरे MSME सेक्टर पर गहरा नकारात्मक असर
वाधवानी एडवांटेज के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि MSME को देश के विकास के इंजन के रूप में जाना जाता है। देश की अर्थव्यवस्था में योगदान और रोजगार के मौके बनाने में इसका 30% से ज्यादा योगदान है। कोविड का पूरे MSME सेक्टर पर गहरा नकारात्मक असर हुआ है। इसलिए जरूरी है कि उन्हें सपोर्ट देने के लिए उनमें नई जान डालने के उपाय किए जाएं।
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