सरकार भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), मेकॉन लिमिटेड और एंड्रयू यूल एंड कंपनी लिमिटेड में अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है। इससे जुड़े दो लोगों ने पहचान न बताने की शर्त पर बताया कि डिस्इन्वेस्टमेंट पिक के अगले दौर के लिए इन कंपनियों पर सरकार विचार कर रही है। जब सरकार किसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी यानी PSU में अपनी कुछ हिस्सेदारी बेचती है तो इसे विनिवेश या डिस्इन्वेस्टमेंट कहते हैं।
बीएचईएल में प्रस्तावित हिस्सेदारी बेचने के सलाहकार SBI कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड ने हाल ही में योजना पर निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। यह BHEL में हिस्सेदारी की बिक्री और बिक्री की जाने वाली हिस्सेदारी की कीमत के साथ आगे बढ़ने के बारे में सरकार की सोच में मदद करेगा। एसबीआई कैपिटल ने दीपम को मेकॉन और एंड्रयू यूल में प्रस्तावित हिस्सेदारी बेचन की सलाह भी दी है। BHEL और एंड्रयू यूल दोनों के लिए नोडल मंत्रालय है, जबकि मेकॉन इस्पात मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
इस साल के टारगेट से बहुत पीछे सरकार
इनमें हिस्सेदारी बेचने से अगले वित्त वर्ष के लिए धन जुटाने के काम में तेजी आएगी। सरकार को अगले वित्त वर्ष में विनिवेश (डिस्इन्वेस्टमेंट रिसिप्ट) से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने की उम्मीद है। इसी नीति पर चलते हुए सरकार ने 2020-21 के लिए रिकॉर्ड 2.10 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा था। हालांकि वित्त वर्ष खत्म होने वाला है और जनवरी तक सरकार महज 15,220 करोड़ रुपए ही जुटा सकी है। तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार न तो LIC का IPO ला सकी है, न ही IDBI बैंक की हिस्सेदारी बेच सकी है। एयर इंडिया और भारत पेट्रोलियम का भी कोई सौदा नहीं हो सका है।
BHEL के प्रवक्ता ने कहा अभी इसकी कोई जानकारी नहीं
BHEL के प्रवक्ता ने एक ईमेल के जवाब में कहा कि जैसा कि आप जानते होंगे, किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी (PSU) का विनिवेश सरकार का विशेषाधिकार है। हालांकि प्रवक्ता ने BHEL के विनिवेश के बारे में कोई जानकारी होने से इनकार किया। वहीं SBI कैपिटल के एक प्रवक्ता ने इस मामले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
सरकार ने विनिवेश का इतना बड़ा लक्ष्य क्यों रखा?
अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि इस साल का राजकोषीय घाटा GDP के 9.5% के बराबर रह सकता है जिसे 6.8% लाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार के सामने राजकोषीय घाटे को कम करने और अर्थव्यवस्था की ग्रोथ को तेज करने की दोहरी चुनौती है। सरकार अपने खाली राजस्व के लिए विनिवेश को उपाय के तौर पर देख रही है।
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