रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर शुरुआत में अंदाजा था कि यह महज चार-पांच दिन में खत्म हो जाएगा। लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि यह संघर्ष लंबा चलेगा। इस बीच रूस पर पश्चिमी देशों की सख्ती और प्रतिबंधों का दायरा बढ़ता जा रहा है। ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम पर इसका गहरा असर हो रहा है। नतीजतन शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव बढ़ गया है। इस बीच तेल-गैस, गेहूं, खाने के तेल और कुछ मेटल्स जैसी कमोडिटी के दाम आए दिन नए रिकॉर्ड छू रहे हैं।
महंगाई बढ़ने के चलते यूरोपीय संघ और ब्रिटेन जैसे देशों के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व जल्द ऐसा करने वाला है। भारत भी इससे अछूता नहीं रहेगा। ऐसे में निवेशकों के लिए डेट इंस्ट्रूमेंट्स और गोल्ड जैसे एसेट्स की अहमियत बढ़ गई है क्योंकि पोर्टफोलियो की स्थिरता और उस पर महंगाई का असर कम करना बड़ी चुनौती साबित हो रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक आम निवेशक को क्या करना चाहिए? आइए पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट अनिरुद्ध गुप्ता (सीईओ, आशियाना फाइनेंशियल सर्विसेज) और एस. नरेन ईडी (सीआईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी) जानते हैं कि ऐसे में आपको क्या करना चाहिए।
एसआईपी जारी रखें
यदि सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के तहत म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो जारी रखें। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आप ज्यादा यूनिट्स खरीदकर गिरते बाजार का लाभ उठाएंगे। बाजार में तेजी के दौरान हर माह की SIP से जितनी यूनिट्स आपके पोर्टफोलियो में क्रेडिट होती है, उसके मुकाबले गिरते बाजार में ज्यादा यूनिट्स क्रेडिट होंगी। टॉप क्वार्टाइल फंड हो तो बेहतर है। इसका मतलब है रिटर्न के मामले में टॉप 25% स्कीम्स। आप हर माह के पहले हफ्ते में टॉप क्वार्टाइल स्कीम चुन सकते हैं। इससे निफ्टी के मुकाबले औसतन 3-4% ज्यादा रिटर्न मिलेगा।
नया निवेश डेट में करें
नया निवेश डेट (ऋण) में करें। याद रखें कि इक्विटी जहां कैपिटल एप्रिसिएशन के जरिए फायदा कराता है वहीं डेट पोर्टफोलियो में स्थिरता लाता है। इक्विटी बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए अभी पोर्टफोलियो में स्थिरता की जरूरत है। डेट फंड इस एसेट में निवेश का बेहतर तरीका हो सकता है। ऐसे फंड मुख्य रूप से दो तरह के होते हैं। मनी मार्केट फंड के तहत पैसा 90 दिनों के लिए कंपनियों में लगाया जाता है।
इसमें ध्यान बस इस बात का रखना है कि एक महीने से पहले पैसा निकालने पर टैक्स लगता है। लो ड्यूरेशन फंड साल भर तक के लिए कंपनियों में पैसे लगाते हैं। इनका औसत रिटर्न एफडी के मुकाबले आधा से एक फीसदी ज्यादा होता है।
मल्टी एसेट फंड अपनाएं
मौजूदा माहौल में इक्विटी के साथ-साथ डेट, गोल्ड, रियल एस्टेट और ग्लोबल फंड्स का स्मार्ट मिक्स बेहतर रणनीति साबित होगी। मल्टी-एसेट फंड यही करते हैं। इसमें निवेशक को एक एसेट (जैसे शेयर) से दूसरे एसेट (जैसे गोल्ड) में स्विच करने की सुविधा होती है। इससे बेहतर रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न मिलता है। मल्टी एसेट फंड में इक्विटी और डेट में बराबर निवेश किया जाता है और किसी भी एसेट में 10% से कम निवेश नहीं होता।
इसमें गोल्ड शामिल है जो महंगाई से नुकसान की भरपाई कराता है। मल्टी एसेट फंड में आम तौर पर घरेलू इक्विटी में 25-65%, डेट में 25-65%, गोल्ड में 0-15% और ग्लोबल इक्विटी में 10-30% निवेश किया जाता है।]
लार्जकैप शेयरों में करते रहें निवेश
यूक्रेन संकट का एक सकारात्मक पहलू भी है। यह संकट शुरू होने के काफी पहले से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारत में बिकवाली कर रहे थे। अब उनकी वापसी हो सकती है। कारण यह है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ब्याज दरें बढ़ाने के मामले में कम आक्रामकता दिखाएगा और उभरते बाजारों में एफपीआई का एलोकेशन भारत की तरफ शिफ्ट होगा क्योंकि रूस जैसे देश उनके पोर्टफोलियो से बाहर हो गए हैं। ऐसे में लार्जकैप शेयरों में निवेश बेहतर रणनीति साबित होनी चाहिए।
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