2022-23 की जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हो गई है। मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक एंड प्रोग्राम इम्प्लीमेंटेशन (MoSPI) के अनुसार दूसरी तिमाही में ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट यानी GDP 6.3% रही है। जून तिमाही में GDP ग्रोथ 13.5% रही थी। पिछले साल जुलाई-सितंबर तिमाही में GDP ग्रोथ रेट 8.4% था।
Q2 FY23 में नॉमिनल GDP 65.31 लाख करोड़ एस्टीमेट की गई है, जबकि Q2 FY22 में GDP एस्टीमेट 56.20 लाख करोड़ था। वहीं 2022-23 की दूसरी तिमाही में रियल GDP 38.17 लाख करोड़ रुपए एस्टीमेट की गई है, जबकि 2021-22 की दूसरी तिमाही में यह 35.89 लाख करोड़ रुपए थी। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही (Q3 2022-23) के लिए जीडीपी डेटा 28.02.2023 को रिलीज किया जाएगा।
ग्रोथ काफी हद तक अनुमानों के अनुरूप
इन्वेस्टमेंट कंसल्टिंग फर्म मिलवुड केन इंटरनेशनल के फाउंडर और सीईओ निश भट्ट ने कहा, दूसरी तिमाही की ग्रोथ काफी हद तक अनुमानों के अनुरूप है। स्टेबल ग्रोथ रेट काफी हद तक पिछले कुछ महीनों में देखे गए मजबूत जीएसटी कलेक्शन और लोअर इंपोर्ट के कारण है। GVA ग्रोथ मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और कंस्ट्रक्शन जैसी गतिविधियों में मंदी को सही ढंग से दर्शाता है।
कृषि विकास एक पॉजिटिव सरप्राइज है। FY23 के लिए RBI एस्टीमेट को पूरा करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, ट्रेड और होटल जैसे प्रमुख क्षेत्र को रिकवरी की जरूरत है। महंगाई में नरमी के साथ, वित्त वर्ष 2023 की शेष दो तिमाहियों में विकास दर में सुधार की उम्मीद है।
चालू वित्त वर्ष के लिए 7% ग्रोथ का अनुमान
RBI ने अपनी मौद्रिक नीति संबंधी बैठक में FY23 के लिए रियल GDP ग्रोथ का अनुमान 7% रखा है। वहीं Q2FY23 के लिए RBI ने अपना अनुमान 6.3% रखा था। अगली दो तिमाही यानी Q3FY23 और Q4FY23 में RBI का GDP अनुमान 4.6% का है।य़
GDP क्या है?
GDP इकोनॉमी की हेल्थ को ट्रैक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले सबसे कॉमन इंडिकेटर्स में से एक है। GDP देश के भीतर एक स्पेसिफिक टाइम पीरियड में प्रोड्यूस सभी गुड्स और सर्विस की वैल्यू को रिप्रजेंट करती है। इसमें देश की सीमा के अंदर रहकर जो विदेशी कंपनियां प्रोडक्शन करती हैं, उन्हें भी शामिल किया जाता है। जब इकोनॉमी हेल्दी होती है, तो आमतौर पर बेरोजगारी का लेवल कम होता है।
दो तरह की होती है GDP
GDP दो तरह की होती है। रियल GDP और नॉमिनल GDP। रियल GDP में गुड्स और सर्विस की वैल्यू का कैलकुलेशन बेस ईयर की वैल्यू या स्टेबल प्राइस पर किया जाता है। फिलहाल GDP को कैलकुलेट करने के लिए बेस ईयर 2011-12 है। यानी 2011-12 में गुड्स और सर्विस के जो रेट थे, उस हिसाब से कैलकुलेशन। वहीं नॉमिनल GDP का कैलकुलेशन करेंट प्राइस पर किया जाता है।
कैसे कैलकुलेट की जाती है GDP?
GDP को कैलकुलेट करने के लिए एक फॉर्मूले का इस्तेमाल किया जाता है। GDP=C+G+I+NX, यहां C का मतलब है प्राइवेट कंजम्प्शन, G का मतलब गवर्नमेंट स्पेंडिंग, I का मतलब इन्वेस्टमेंट और NX का मतलब नेट एक्सपोर्ट है।
GDP की घट-बढ़ के लिए जिम्मेदार कौन है?
GDP को घटाने या बढ़ाने के लिए चार इम्पॉर्टेंट इंजन होते हैं। पहला है, आप और हम। आप जितना खर्च करते हैं, वो हमारी इकोनॉमी में योगदान देता है। दूसरा है, प्राइवेट सेक्टर की बिजनेस ग्रोथ। ये GDP में 32% योगदान देती है। तीसरा है, सरकारी खर्च।
इसका मतलब है गुड्स और सर्विसेस प्रोड्यूस करने में सरकार कितना खर्च कर रही है। इसका GDP में 11% योगदान है। और चौथा है, नोट डिमांड। इसके लिए भारत के कुल एक्सपोर्ट को कुल इम्पोर्ट से घटाया जाता है, क्योंकि भारत में एक्सपोर्ट के मुकाबले इम्पोर्ट ज्यादा है, इसलिए इसका इम्पैक्ट GPD पर निगेटिव ही पड़ता है।
GVA क्या है?
ग्रॉस वैल्यू ऐडेड, यानी GVA से किसी अर्थव्यवस्था में होने वाले कुल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। यह बताता है कि एक तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और कच्चे माल का दाम निकालने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस खास क्षेत्र, उद्योग या सेक्टर में कितना उत्पादन हुआ है।
साधारण शब्दों में कहा जाए तो GVA इकोनॉमी की ओवरऑल हेल्थ के बारे में बताने के अलावा, यह भी बताता है कि कौन से सेक्टर संघर्ष कर रहे हैं और कौन से रिकवरी को लीड कर रहे हैं। नेशनल अकाउंटिंग के नजरिए से देखें तो मैक्रो लेवल पर GDP में सब्सिडी और टैक्स निकालने के बाद जो आंकड़ा मिलता है, वह GVA होता है।
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