भारत के सबसे अमीर 1% लोगों के पास देश की टोटल वेल्थ का 40% से ज्यादा हिस्सा है। इस बात की जानकारी ऑक्सफैम (Oxfam) ने हाल ही में जारी अपनी एक रिपोर्ट 'सर्वाइवल ऑफ द रिचेस्ट: द इंडिया स्टोरी' में दी है। रिपोर्ट में यह भी बताया है कि देश की आधी यानी 50% आबादी के पास इंडिया की टोटल वेल्थ का सिर्फ 3% है।
ऑक्सफैम इंडिया के CEO अमिताभ बेहर ने कहा, 'देश में गरीब ज्यादा टैक्स का भुगतान कर रहे हैं। अमीरों की तुलना में वे आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। समय आ गया है कि अमीरों पर टैक्स लगाया जाए।'
5% टैक्स लगाने से सभी बच्चे जा पाएंगे स्कूल
भारत के 10 सबसे अमीरों पर 5% टैक्स लगाने से 1.37 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। यह 2020-2023 के लिए हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर मिनिस्ट्री (86,200 करोड़ रुपए) और आयुष मंत्रालय (3,050 करोड़ रुपए) के अनुमानित फंड्स से 1.5 गुना ज्यादा है। इतने पैसों से देश के सभी बच्चों को स्कूल भेजने के लिए पूरा पैसा मिल सकता है।
2% टैक्स से कुपोषितों की जरूरत होगी पूरी
ऑक्सफैम ने कहा, 'अगर भारत के बिलियनेयर्स पर उनकी टोटल वेल्थ पर 2% की दर से एक बार टैक्स लगाया जाए, तो इससे देश में अगले तीन साल तक कुपोषित लोगों के पोषण के लिए 40,423 करोड़ रुपए की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।'
महामारी के बाद 121% बढ़ी अरबपतियों की संपत्ति
ऑक्सफैम ने कहा कि नवंबर 2022 तक महामारी शुरू होने के बाद से भारत में अरबपतियों ने अपनी संपत्ति में 121% या 3,608 करोड़ रुपए प्रति दिन की ग्रोथ देखी है। दूसरी ओर 2021-22 में गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) में टोटल 14.83 लाख करोड़ रुपए का लगभग 64% आधी आबादी से आया। वहीं GST का सिर्फ 3% ही टॉप-10 से मिला।
2022 में अरबपतियों की कुल संख्या बढ़कर 166 हुई
ऑक्सफैम ने कहा कि भारत में अरबपतियों की टोटल संख्या 2020 के 102 से बढ़कर 2022 में 166 हो गई है। भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की संयुक्त संपत्ति 660 अरब डॉलर (54.12 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच गई है। यह एक ऐसी राशि है जो 18 महीने से ज्यादा के पूरे केंद्रीय बजट को फंड दे सकती है।
अडाणी पर टैक्स से मिल सकते हैं 1.79 लाख करोड़ रुपए
ऑक्सफैम ने कहा, 'सिर्फ एक बिलियनेयर गौतम अडाणी को 2017 से 2021 के बीच मिले अनरियलाइज्ड गेन पर एकमुश्त टैक्स से 1.79 लाख करोड़ रुपए जुटाए जा सकते हैं। इन पैसों से 50 लाख प्राइमरी स्कूल टीचर्स को एक साल तक सैलरी दी जा सकती है।
मेल वर्कर्स की तुलना में फीमेल वर्कर्स को मिलते हैं कम पैसे
जेंडर इनइक्वालिटी पर रिपोर्ट में कहा गया है कि फीमेल वर्कर्स को एक मेल वर्कर के कमाए गए हर 1 रुपए के मुकाबले केवल 63 पैसे मिलते हैं। शेड्यूल्ड कास्ट और रूरल वर्कर के लिए यह अंतर और भी ज्यादा है। जो वर्ग समाज में आगे है उसकी तुलना में शेड्यूल्ड कास्ट की कमाई केवल 55% है, जबकि रूरल वर्कर्स की कमाई आधी यानी 50% है।
ऑक्सफैम ने बतया देश में धन असमानता और अरबपतियों की संपत्ति को देखने के लिए फोर्ब्स और क्रेडिट सुइस जैसे सोर्स का इस्तेमाल किया गया है। जबकि NSS, केंद्रीय बजट दस्तावेज, संसदीय प्रश्न आदि जैसे सरकारी सोर्स का इसमतेमाल रिपोर्ट के माध्यम से किए गए तर्कों की पुष्टि करने के लिए किया गया है।
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