दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) की बैठक में आशंका जताई गई कि इस साल दुनिया में मंदी आ सकती है। सोमवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा गया कि 2023 में मंदी के साथ ही खाने-पीने की चीजों और एनर्जी (पेट्रोलियम, बिजली) की कीमतें बढ़ेंगी।
हालांकि, ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने दावा किया है कि दक्षिण एशियाई देश, खासतौर पर भारत को इसका फायदा मिल सकता है। WEF के सर्वे में शामिल दो तिहाई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल मंदी आ सकती है। ये आंकड़ा सितंबर 2022 के सर्वे की तुलना में दोगुना है। WEF ने कहा कि प्रतिकूल हालात के चलते दुनियाभर के बिजनेस लागत घटाएंगे। सर्वे में ये भी दावा किया गया है कि भारत जैसे देशों को इससे फायदा हो सकता है।
मुख्य अर्थशास्त्रियों की राय, मौजूदा ग्लोबल ट्रेंड भारत के पक्ष में
सर्वे में शामिल लगभग सभी अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल अमेरिका और यूरोप की आर्थिक ग्रोथ कमजोर रहेगी। चीन को लेकर अर्थशास्त्री दो धड़ों में बंटे नजर आए, लेकिन अधिकांश अर्थशास्त्रियों का मानना है कि भारत को मैन्युफैक्चरिंग सप्लाई चेन चीन से बाहर शिफ्ट होने जैसे ग्लोबल ट्रेंड का फायदा मिल सकता है।
ग्लोबल इकोनॉमी में बढ़ रही भारत की हिस्सेदारी
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भी कहा है कि इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी 2022 के 3.4% से बढ़कर 3.6% हो सकती है। यह 2000 में महज 1.4% थी।
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