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काम की बात:जॉब लगते ही शादी, कार, घर और रिटायरमेंट के लिए शुरू करें निवेश, इससे नहीं होगी फाइनेंशियल परेशानी

नई दिल्लीएक वर्ष पहले
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करियर की शुरुआत बेहद उत्साहजनक होती है। आपके बटुए में पहली बार अपनी कमाई के पैसे आते हैं और दफ्तर से बाहर बिलकुल अलग दुनिया नजर आती है। यह पहले भी थी, लेकिन अब आप आसपास की दुनिया को अलग नजरिए से देखेंगे। हर उस चीज पर खर्च करेंगे जो आपको पसंद है। इसमें कुछ गलत नहीं है। आप मेहनत इसीलिए करते हैं कि जीवन का भरपूर आनंद उठा सकें। लेकिन इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि करियर में उतार-चढ़ाव भी आते हैं।

हो सकता है कि कुछ समय के लिए आय का जरिया बंद हो जाए या अचानक मोटी रकम की जरूरत पड़ जाए। ऐसे हालात से निपटने की तैयारी ही फाइनेंशियल प्लानिंग कहलाती है, जिसकी शुरुआत बचत से होती है। इसका यह मतलब नहीं है कि आप उत्साह को दबा दें और खर्च न करें, बस कमाई का एक छोटा सा हिस्सा बचाकर फाइनेंशियल प्लानिंग का पहला कदम उठाने की जरूरत है। ध्यान रखें कि करियर की शुरुआत से ही फाइनेंशियल प्लानिंग करने से निवेश को लंबा समय मिलता है।

बजाज कैपिटल के जॉइंट चेयरमैन और एमडी संजीव बजाज आपको बता रहे हैं कि कम्पाउंडिंग की ताकत से आप कम निवेश से अधिक पूंजी जमा कर सकते हैं।

1. विश लिस्ट बनाएं
सबसे पहले यह तय करें कि आप जीवन में क्या कुछ करना चाहते हैं। हर लक्ष्य के लिए कितने पैसे की जरूरत होगी, किस तरह के रिस्क हैं और उनसे निपटने के क्या तरीके हो सकते हैं। इनकी एक एक्सल शीट बनाएं।

2. घर का बजट बनाएं
घर का बजट बनाएं। यह काम बिलकुल सरल तरीके से करें। मसलन हर माह हो रही आय के मुकाबले खर्चों का आकलन करें और यह अंदाजा भी लगाएं कि आगामी महीनों में किसी बड़े खर्च की जरूरत तो नहीं पड़ने वाली है।

3. इमरजेंसी कैश रखें
बचत करके निवेश करने से पहले इमरजेंसी फंड बनाएं। इसका उद्देश्य यह है कि कुछ समय के लिए नौकरी छूटने या मेडिकल इमरजेंसी होने पर पैसों की दिक्कत न आए। यह फंड न्यूनतम 6 माह के खर्च के बराबर होना चाहिए।

4. रिस्क मैनेजमेंट
खुद के लिए और पूरे परिवार के लिए आपके पास पर्याप्त हेल्थ इंश्योरेंस कवरेज होना चाहिए। कॉरपोरेट ग्रुप इंश्योरेंस कम पड़े तो अलग से हेल्थ कवर लें। सालाना आय का कम से कम 15 गुना सम अश्योर्ड का जीवन बीमा भी कराएं।

5. लक्ष्य तय करें
शादी, कार, खुद का घर, बच्चों की पढ़ाई और रिटायरमेंट जैसे लक्ष्य तय करें। आपको पता चल जाएग कि किस लक्ष्य के लिए आपके पास कितना समय है। फिर महंगाई के हिसाब से सभी पर खर्च का अंदाजा लगाएं और उसी हिसाब से बचत और निवेश शुरू करें।

6. एसेट एलोकेशन
तय कर लें कि किस एसेट में कितना पैसा लगाना है। इसका आधार हर लक्ष्य के लिए बचा समय और जोखिम उठाने की आपकी क्षमता होना चाहिए। मसलन, रिटायरमेंट जैसे लंबी अवधि के लक्ष्य के लिए इक्विटी में निवेश ठीक रहेगा।

7. इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो
इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो बनाएं। इसमें इक्विटी म्यूचुअल फंड, डेट फंड, गोल्ड फंड, सॉवरेन बॉन्ड और पीपीएफ जैसे निवेश होने चाहिए। सभी में एक साथ निवेश जरूरी है। आप धीरे-धीरे इन्हें पोर्टफोलियो में जोड़ सकते हैं।

8. टैक्स प्लानिंग
निवेश के साथ ही बचत बढ़ाने के लिए टैक्स प्लानिंग भी जरूरी है। पीपीएफ, ईएलएसएस और एनपीएस लोकप्रिय टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट्स हैं। ऐसे निवेश का फैसला रिटायरमेंट जैसे लंबी अवधि के लक्ष्य के हिसाब से करें।

9. एस्टेट प्लानिंग
आखिर में पक्का कर लें कि आपकी संपत्ति आपके कानूनी उत्तराधिकारियों या जिसे आप चाहें, उसे आसानी से मिल जाए, इसके नॉमिनेशन कर लिए हैं। लाइफ इंश्योरेंस ''मैरिड वीमेन्स प्रॉपर्टी एक्ट'' के तहत लेना बेहतर होगा।

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