एपल इंक के पार्टनर फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप ने लोकल प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए भारत के तेलंगाना में एक नया प्लांट बनाने का फैसाल कर लिया है। ताइवान की मल्टीनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन यह प्लांट तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले में कोंगारा कलां में स्थापित करेगी।
5.7 हजार करोड़ रु के निवेश से 1 लाख लोगों को नौकरियां देगी फॉक्सकॉन
फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के चेयरमैन यंग लियू ने 2 मार्च को हैदराबाद में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से मुलाकात की। जहां दोनों के बीच यह सहमति हुई कि इस प्लांट को स्थापित कर कंपनी 1 लाख से ज्यादा लोगों को नौकरियां देगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस प्लांट को स्थापित करने के लिए फॉक्सकॉन करीब 700 मिलियन डॉलर (करीब 5.7 हजार करोड़ रुपए) का निवेश करेगी।
फॉक्सकॉन ने काम शुरू करने के लिए तेलंगाना प्रशासन से सहयोग मांगा
तेलंगाना के चीफ मिनिस्टर ऑफिस ने सोमवार को कहा कि लियू ने CM केसीआर को एक पत्र लिखा था। जिसमें मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के कमिटमेंट की स्पष्ट रूप से पुष्टि की गई थी। लियू ने अपने लेटर में कोंगारा कलां में जल्द से जल्द काम शुरू करने के लिए तेलंगाना प्रशासन से सहयोग मांगा है।
लियू ने CM केसीआर को पर्सनल गेस्ट के तौर पर ताइवान इनवाइट किया
लियू ने हैदराबाद यात्रा के दौरान उन्हें और उनकी टीम को दिए गए आदर-सत्कार के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि उन्होंने वहां बहुत अच्छा समय बिताया था। CM केसीआर को लिखे अपने लेटर में लियू ने लिखा, 'मैं वास्तव में आपकी दृष्टि और तेलंगाना के परिवर्तन और विकास के प्रयासों से प्रेरित हूं।'
लियू ने आगे लिखा, 'भारत में अब मेरा एक नया दोस्त है और मैं भविष्य में आपके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।' इतना ही नहीं लियू ने CM केसीआर को अपने पर्सनल गेस्ट के तौर पर ताइवान आने का इनविटेशन भी दिया है।
CM ने फॉक्सकॉन के निवेश से रोजगार के अवसर बनने की सराहना की
हैदराबाद के प्रगति भवन में 2 मार्च को हुई मीटिंग के दौरान सीएम केसीआर और यंग लियू दोनों ने बेहतर सप्पलाई चेन के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में विविधता लाने के महत्व और इसमें राज्य की भूमिका पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री ने नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी के बारे में भी बात की, जिसने राज्य में भारी निवेश आकर्षित किया। CM केसीआर ने फॉक्सकॉन के निवेश और राज्य में रोजगार सृजित करने के अवसर की भी सराहना की। वहीं लियू ने राज्य के फ्रेंडली इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट इकोसिस्टम की भी तारीफ की है।
चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही
अमेरिका-चीन के बीच तनाव बढ़ने के कारण चीन से मैन्युफैक्चरिंग भारत में शिफ्ट की जा रही है। जियो पॉलिटिकल टेंशन और कोरोना महामारी के बाद एपल समेत अन्य अमेरिकी टेक दिग्गज चीन के बाहर भी अपनी मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी के विस्तार पर काम कर रहे हैं।
भारत में इस प्लांट के बनने से लगभग 1 लाख जॉब्स क्रिएट होंगे। चीन के झेंग्झौ में कंपनी के विशाल आईफोन असैंबली कॉम्प्लेक्स में इस समय लगभग 200,000 कर्मचारी काम करते हैं। हालांकि, पीक प्रोडक्शन सीजन के दौरान यह संख्या बढ़ जाती है। भारत में फॉक्सकॉन का ये इन्वेस्टमेंट अब तक का उसका यहां सबसे बड़ा सिंगल इन्वेस्टमेंट है।
भारत में 2017 से बन रहे आईफोन
एपल ने 2017 में आईफोन SE के साथ भारत में आईफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग शुरू की थी। इसके तीन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विस (EMS) पार्टनर- फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन है। आईफोन SE के बाद भारत में आईफोन 11, आईफोन 12 और आईफोन 13 की मैन्युफैक्चरिंग भी की गई। फॉक्सकॉन का प्लांट चेन्नई के पास श्रीपेरंबदूर में है।
भारत सरकार की PLI स्कीम का हिस्सा एपल
एपल के तीनों कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर भारत सरकार की 41,000 करोड़ रुपए की प्रोडक्शन-लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम (PLI) का हिस्सा है। इस स्कीम के बाद ही भारत में आईफोन मैन्युफैक्चरिंग में तेजी आई है। 2020 में भारत सरकार ने PLI Scheme को लॉन्च किया था। इस स्कीम से बाहर के देशों की कंपनीज को मौका मिलता है कि वो लोकल मैन्युफैक्चरिंग का फायदा उठा सकें, साथ ही उस पर इन्सेंटिव भी कमा सकें।
एपल ज्यादातर आईफोन चीन में ही क्यों बनवाती है?
ज्यादातर आईफोन की असेंबलिंग चीन में होती है। क्या इसका कारण लेबर की कम कॉस्ट है? इन्वेस्टोपीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक आईफोन कर्मचारी का औसत वेतन $10 प्रति घंटा है। टॉप कमाई करने वाले लगभग $27 प्रति घंटा कमाते हैं।
एपल के CEO टिम कुक के अनुसार, चीन में मैन्युफैक्चरिंग का कारण लो लेबर कॉस्ट नहीं है। अगर ऐसा होता, तो एपल अपने फोन को और भी सस्ती जगहों पर बना सकता था। कुक के अनुसार मुख्य कारण टूलिंग इंजीनियरिंग में जरूरी स्किल है। उनका दावा है कि स्पेसिफिक स्किल सेट अब US में उपलब्ध नहीं है, लेकिन चीन के पास एक्सपर्टीज है।
अलग-अलग देशों में अलग कीमतें
अमेरिका में सबसे कम कीमतों पर आईफोन मिलते हैं। चीन में मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद अमेरिका की तुलना में आईफोन महंगा बिकता हैं। ऐसा करेंसी फ्ल्कचुएशन और चीन में लगाए जाने वाले भारी भरकम वैल्यू ऐडेड टैक्स के कारण होता है। इसी तरह भारत में भी मैन्युफैक्चरिंग के बावजूद आईफोन अमेरिका की तुलना में काफी महंगा बिकता है। अमेरिका के बाद हॉन्गकॉन्ग, जापान ऐसी जगहें हैं जहां ये सस्ता मिलता है।
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