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भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट:हॉलमार्क केंद्रों की कमी बनी बड़ी समस्या, एक दिन में होती थी हॉलमार्किंग, अब लग रहे 2 से 4 दिन

नई दिल्ली2 वर्ष पहले
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देश के 256 जिलों में गोल्ड ज्वैलरी और कलाकृतियों पर अनिवार्य हॉलमार्किंग की व्यवस्था लागू हुए आज महीना हो चुका है, लेकिन अब तक यह व्यवस्था सुचारू नहीं हो सकी है। ज्यादातर शहरों में हॉलमार्किंग सेंटर्स जरूरत से कम हैं। पहले हॉलमाकिंग में एक दिन लगता था, लेकिन अब तीन से चार दिन तक लग रहे हैं। यही नहीं, आए दिन नए नियम आने से भी ज्वैलर्स गफलत में हैं।

गुजरात में 23 हॉलमार्किंग सेंटर हैं, जबकि 75-80 सेंटर्स की जरूरत है। यहां जौहरियों को हॉलमार्क कराने में 2-3 दिन लग रहे हैं। इसी तरह, स्वर्ण नगरी के नाम से मशहूर महाराष्ट्र के जलगांव में 250 से अधिक ज्वैलर्स हैं, जिनके लिए कम से कम 6 सेंटर की जरूरत है, लेकिन सिर्फ 3 सेंटर हैं। एक सेंटर एक दिन में 300-400 आयटम ही हॉलमार्क कर पाता है। जयपुर सराफा ट्रेडर्स समिति के अध्यक्ष कैलाश मित्तल के मुताबिक, सरकार ने हर ज्वैलरी आयटम के लिए हॉलमार्क यूनिट आइडेंटिफिकेशन (HUID) नंबर लागू किया है। इसे लेकर असमंजस है। कई अन्य विसंगतियां भी हैं।

BIS का क्या कहना है
40 लाख रुपए तक के टर्नओवर वालों को हॉलमार्किंग रजिस्ट्रेशन से छूट है, लेकिन ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS) का कहना है कि यदि ऐसे ज्वैलर्स हॉलमार्क्ड ज्वैलरी बेचेंगे तो उन्हें रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसी तरह, सरकार ने पुराना स्टॉक निकालने के लिए 31 अगस्त तक का समय दे रखा है, जबकि BIS के नए आदेश के मुताबिक ज्वैलर्स को 31 जुलाई तक इसे घोषित करना होगा।

कॉर्पोरेट को सपोर्ट वाला नियम
भोपाल सराफा महासंघ के सचिव नवनीत अग्रवाल का कहना है कि सेंटर्स को निर्देश हैं कि कम से कम 40 आयटम आने पर ही हॉलमार्क किया जाए, जबकि जौहरी ऑर्डर पर गहने बनाते हैं। यह कॉर्पोरेट को सपोर्ट करने वाला है।

सेंटर्स जल्द बढ़ाने की जरूरत
आशीष झवेरी अहमदाबाद ज्वैलर्स एसोसिएशन के मुताबिक यदि गुजरात में हॉलमार्किंग सेंटर्स की संख्या अगले 1-2 महीने में नहीं बढ़ी तो प्रदेश का बिजनेस दूसरे राज्यों में डायवर्ट हो सकता है।

हॉलमार्किंग में सामने आ रहीं दिक्कतें

छोटे-मझोले ज्वैलर्स को कम्प्यूटर सिस्टम, एक्सपर्ट डेडिकेटेड स्टाफ रखना होगा, इसका खर्च बढ़ेगा। हॉलमार्क के लिए ज्वैलरी भेजने का सिस्टम ऑनलाइन हो गया है। छोटे और मझोले ज्वैलर्स इसमें निपुण नहीं हैं। छोटे ज्वैलरी आइटम की संख्या अधिक होने से हॉलमार्किंग सेंटर्स को इनका ब्योरा रखने में परेशानी हो रही है।