जीवन बीमा खास तरह का इत्मिनान है कि आप हों न हों, लेकिन जिन्हें आप प्यार करते हैं, उन्हें पैसों की परेशानी नहीं आएगी। टर्म इंश्योरेंस इसका सबसे पॉपुलर तरीका है। यह दो तरह का होता है- नियमित टर्म इंश्योरेंस और आजीवन बीमा। आइए जेस्टमनी की सह-संस्थापक और CEO लिजी चैपमैन आपको इसके बारे में बता रही हैं।
नियमित टर्म इंश्योरेंस
इसे आमतौर पर टर्म इंश्योरेंस के नाम से जाना जाता है। यह पॉलिसी तय अवधि के लिए वैध होती है और बीमित व्यक्ति की असामयिक मृत्यु की स्थिति में लाभार्थी को निश्चित राशि मिलती है। लेकिन, यदि बीमित व्यक्ति पॉलिसी अवधि से ज्यादा समय तक जीवित रहता है तो लाभार्थी को कुछ नहीं मिलता है। टर्म इंश्योरेंस प्लान के लिए हर साल प्रीमियम का भुगतान करना होता है। युवाओं के लिए इस प्रीमियम की राशि कम होती है, लेकिन जैसे पॉलिसी होल्डर की उम्र बढ़ती है, टर्म इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम भी बढ़ता जाता है।
आजीवन लाइफ इंश्योरेंस
होल लाइफ टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी नियमित टर्म इंश्योरेंस के उलट जीवनभर के लिए वैध होती है। इसका फायदा यह है कि कभी भी बीमित व्यक्ति का निधन होने पर लाभार्थी को निश्चित राशि मिलना तय है, चाहे वह 100 साल से भी ज्यादा क्यों न जीवित रहे। आजीवन टर्म इंश्योरेंस में भी प्रीमियम का सालाना भुगतान करना होता है, लेकिन फायदा यह है कि इसमें प्रीमियम की राशि समय के साथ नहीं बढ़ती है।
पॉलिसी होल्डर जीवन भर एक-समान प्रीमियम का भुगतान करता है, लेकिन प्रीमियम की राशि नियमित टर्म इंश्योरेंस के मुकाबले अधिक हो सकती है। कुछ आजीवन टर्म इंश्योरेंस के पॉलिसी होल्डर जब चाहें प्रीमियम चुकाना बंद कर सकते हैं और उस समय तक जमा की गई राशि वापस ले सकते हैं।
कंपनी देती है बोनस
आजीवन टर्म इंश्योरेंस में प्रीमियम को कई एसेट्स में निवेश किया जाता है। यदि बीमा कंपनी को इससे कोई लाभ होता है तो वह पॉलिसी होल्डर को बोनस देती है। रेगुलर टर्म इंश्योरेंस प्लान में यह लाभ नहीं मिलता है।
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