सस्ता होगा हवाई सफर:नासा और बोइंग बना रहे फ्यूल बचाने वाला प्लेन, इसमें एक्स्ट्रा लॉन्ग विंग होंगे

वॉशिंगटन5 महीने पहले
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आने वाले समय में लोग सस्ता हवाई सफर कर सकेंगे। दरअसल, नासा और बोइंग एमिशन कम करने वाले सिंगल-आइजल विमान के निर्माण, टेस्टिंग और फ्लाइंग के लिए सस्टेनेबल फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर प्रोजेक्ट पर एकसाथ काम कर रहे हैं। नासा ने बुधवार को इस पार्टनरशिप की घोषणा की। ये विमान पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाने के साथ फ्यूल भी बचाएंगे जिससे हवाई सफर सस्ता होगा।

7 सालों में, नासा इस प्रोजेक्ट के लिए 42.5 करोड़ डॉलर का निवेश करेगा, जबकि कंपनी और उसके पार्टनर, एग्रीमेंट के तहत तय की गई फंडिंग के बचे भाग (करीब 72.5 करोड़) का योगदान करेंगे। इसके अलावा नासा टेक्निकल एक्सपर्टाइज और फैसिलिटीज में भी कॉन्ट्रिब्यूट करेगा। नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा, 'अगर हम सफल होते हैं, तो हम इन तकनीकों को 2030 तक विमानों में देख सकते हैं।'

नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन सस्टेनेबल फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर प्रोजेक्ट का मॉडल दिखाते हुए।
नासा एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन सस्टेनेबल फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर प्रोजेक्ट का मॉडल दिखाते हुए।

विमान में होंगे एक्स्ट्रा लॉन्ग थिन विंग
ट्रांसोनिक ट्रस-ब्रेस्ड विंग कॉन्सेप्ट में विमान के एक्स्ट्रा लॉन्ग थिन विंग होते हैं जो डायगोनल स्ट्रट्स पर स्थिर होते हैं। यह डिजाइन विमान को एक ट्रेडिशनल एयरलाइनर की तुलना में ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट बनाता है। दरअसल, इस शेप से कम ड्रैग पैदा होता है, जिसके कारण कम फ्यूल जलता है। इसके अलावा भी कई और ग्रीन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल प्लेन को बनाने में होगा।

फ्यूल बचेगा, 30% एमिशन कम होगा
नासा को उम्मीद है कि फ्लाइट डेमॉन्स्ट्रेटर मौजूदा सबसे कुशल सिंगल-आइजल विमान की तुलना में फ्यूल की खपत कम होगी। कितनी कम होगी यह अभी नहीं बताया गया है। इसके साथ ही यह उत्सर्जन (एमिशन) में 30% की कमी लाएगा।

बिल नेल्सन ने कहा कि फ्यूल की बचत न केवल पृथ्वी के लिए फायदेमंद है बल्कि प्लेन में ट्रैवल करने वाले यात्रियों को भी सस्ते टिकट मिलेंगे। बोइंग का अनुमान है कि 2035 और 2050 के बीच नए सिंगल-आइजल एयरक्राफ्ट की मांग में 40,000 प्लेन का इजाफा होगा।

नासा ने डेवलप किया था विंगलेट
इससे पहले 1970 के दशक में नासा विंगलेट्स नाम की एक टेक्नोलॉजी लेकर आई थी। विंगटिप्स के वर्टिकल एक्सटेंशन को विंगलेट्स कहते हैं। दुनियाभर में सभी प्रकार के विमानों में इसका उपयोग किया जा रहा है। इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फ्यूल की काफी बचत होती है। छोटे एयरफॉइल्स के रूप में डिजाइन किए गए, विंगलेट्स एयरोडायनमिक ड्रैग को कम करते हैं। ड्रैग के कम होने से ईंधन की खपत कम होती है।