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सस्ते बजट वाले होटल की सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी ओयो की एक सब्सिडियरी 16 लाख रुपए के पेमेंट के मामले में डिफॉल्ट हो गई है। इसके लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) ने कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिजोल्यूशन की प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया है। दूसरी ओर ओयो ने दावा किया है कि उसने 16 लाख रुपए का बकाया चुका दिया है।
बुधवार को कंपनी ने कहा की वह NCLT के इस फैसले को चुनौती दे रही है। कंपनी के फाउंडर रितेश अग्रवाल ने ट्वीट करके बताया कि कंपनी ने इस मामले में NCLT में अपील की है।
अहमदाबाद शाखा ने दिया आदेश
जानकारी के मुताबिक, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की अहमदाबाद शाखा ने गुड़गांव की ओयो की दूसरी कंपनी के खिलाफ यह आदेश दिया है। ओयो के खिलाफ की गई शिकायत में कहा गया है कि जुलाई से नवंबर 2019 के बीच ओयो की सब्सिडियरी ओयो होटल्स एंड रूम्स प्राइवेट लिमिटेड ने 16 लाख रुपए के पेमेंट पर डिफॉल्ट किया है। इसी के बाद नवंबर 2019 में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत नोटिस जारी की गई थी।
OHHPL का बिजनेस दूसरी कंपनी में ट्रांसफर किया गया
ओयो की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, उसने NCLT को जानकारी दी है कि ओयो होटल्स एंड होम्स प्राइवेट लिमिटेड (OHHPL) का बिजनेस एक दूसरी कंपनी मायप्रिफर्ड ट्रांसफॉर्मेशन एंड हॉस्पिटैलिटी को ट्रांसफर कर दिया गया है। ओयो के मालिक रितेश अग्रवाल ने कहा कि कंपनी ने 2018 में ओयो होटल्स एंड रूम्स के साथ एक करार किया था। इसके तहत ओयो रूम्स ब्रांड नाम से होटल चलाने का एक्सक्लूसिव लाइसेंस हासिल किया था।
एनसीएलटी के फैसले से हैरानी हुई है
ओयो के मुताबिक, हमें यह सुनकर हैरानी है कि NCLT ने ओयो की सब्सिडियरी OHHPL के 16 लाख रुपए के कॉन्ट्रैक्चुअल विवाद के मामले में इन्सॉल्वेंसी का आवेदन स्वीकार कर लिया है। हमने इस मामले में आवदेन जमा कर दिया है। यह मामला अभी कोर्ट के अधीन है इसलिए हम फिलहाल इस पर कोई बयान नहीं दे सकते हैं। अग्रवाल ने यह भी कहा है कि कंपनी ने पहले ही होटल के मालिक को 16 लाख रुपए चुका दिए हैं।
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