रियल एस्टेट सेक्टर लागत और ब्याज बढ़ने पर भी बेहतर स्थिति में है। हाई बेस इफेक्ट के बावजूद चालू वित्त वर्ष देश में मकानों की मांग 5 से 10% बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि, बीते वित्त वर्ष हाउसिंग डिमांड 33-38% बढ़ी थी, लेकिन यह उछाल लो बेस इफेक्ट की वजह से थी। इससे एक साल पहले वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कोविड और लॉकडाउन के चलते देश में मकानों की मांग 20-25% घटी थी।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, महामारी के दौर में हाउसिंग सेक्टर के हालात सुधरे हैं। टॉप 6 शहरों-मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरू, पुणे, कोलकाता और हैदराबाद में इन्वेंटरी (बिन बिके मकान) लेवल 2-4 साल रह गया है। महामारी से पहले यह 3-5.5 साल था। मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 31 मार्च को खत्म वित्त वर्ष 2021-22 में रियल एस्टेट डेवलपर्स पर कर्ज का बोझ घटा है और उनकी क्रेडिट प्रोफाइल मजबूत हुई है।
महंगाई का दिखा असर
देश में बढ़ती महंगाई का असर हाउसिंग सेक्टर पर भी नजर आने लगा है। 2016 से लेकर 2021 के बीच घर खरीदने के सामर्थ्य (अफोर्डेबिलिटी) में 20% तक इजाफा हुआ था, लेकिन वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही से इसमें गिरावट शुरू हो गई।
10% तक बढ़ सकते हैं दाम
क्रिसिल रिसर्च के डायरेक्टर अनिकेत दानी ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष में टॉप-6 शहरों में मकानों के दाम 6-10% बढ़ सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि कुछ बिल्डरों ने प्रति तिमाही 2% दाम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं और यह ट्रेंड अगले दो वित्त वर्ष जारी रह सकता है।
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