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अडाणी-हिंडनबर्ग केस में SC पैनल की रिपोर्ट:कमेटी ने कहा- अडाणी ग्रुप के शेयरों में संदिग्ध ट्रेडिंग के लिए छह एंटिटी जांच के दायरे में हैं

नई दिल्ली20 दिन पहले
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सुप्रीम कोर्ट की एक्सपर्ट कमेटी ने कहा है कि चार फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) समेत छह एंटिटीज हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने से पहले अडाणी ग्रुप के शेयरों में संदिग्ध ट्रेडिंग के लिए जांच के दायरे में हैं। 178 पेज की रिपोर्ट में कहा गया है कि 24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट जारी होने से पहले अडाणी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजिशन बनाई गईं थीं और उसके बाद प्रॉफिट दर्ज किया गया था।

अडाणी ग्रुप के शेयरों में कोई रेगुलेटरी फेल्योर नहीं मिला
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता वाली एक्सपर्ट कमेटी ने मार्च 2000 से लेकर दिसंबर 2022 के बीच अडाणी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की कीमतों में लगातार आई ग्रोथ की जांच की। इतना ही नहीं कमेटी ने 24 जनवरी 2023 के बाद सभी शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव की जांच भी की। जांच में कमेटी को 2000 से लेकर अब तक ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में कोई रेगुलेटरी फेल्योर नहीं मिला।

छह एंटिटीज की ओर से संदिग्ध ट्रेडिंग देखी गई
कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है, 'कैश सेगमेंट में अडाणी के शेयरों के संबंध में कोई गलती नहीं मिली, लेकिन छह एंटिटीज की ओर से संदिग्ध ट्रेडिंग देखी गई। जिसमें चार FPI, एक कॉर्पोरेट बॉडी और एक व्यक्ति शामिल है।' हालांकि, रिपोर्ट में इन छह में से किसी का नाम नहीं बताया गया है।

ग्रुप के शेयरों में एंटिटीज द्वारा शॉर्ट पोजीशन बनाई गईं थीं
एक्सपर्ट कमेटी ने कहा, 'हिंडनबर्ग रिपोर्ट से पहले अडाणी ग्रुप के शेयरों में एंटिटीज द्वारा शॉर्ट पोजीशन बनाई गईं थीं। फिर 24 जनवरी 2023 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने के बाद इन एंटिटीज ने शेयरों में शॉर्ट पोजीशन को स्क्वायर-ऑफ करके प्रॉफिट दर्ज किया था। छह एंटिटीज के ट्रे़डिंग के संबंध में विस्तृत जांच की जा रही है।

सेबी समेत संबंधित पार्टियों की पोजीशन से समझौता नहीं किया जाएगा
रिपोर्ट में कहा गया है कि मामलों की जांच की जा रही है और इस स्तर पर फैक्चुअल फाइंडिंग्स शुरुआती दौर में है। कमेटी इन एंटिटीज और लोगों की डिटेल्स और नामों के बारे में गहराई से जांच नहीं कर रही है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'कमेटी यह सुनिश्चित करना चाहती है कि जांच लंबित होने पर सेबी समेत संबंधित पार्टियों की पोजीशन से कोई समझौता नहीं किया जाए।'

ED को सिक्योरिटीज की सेलिंग के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी
कमेटी ने ED का हवाला देते हुए कहा कि एजेंसी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से ठीक पहले कुछ स्पेसिफिक पार्टीज द्वारा वायोलेटिव और सिक्योरिटीज की लगातार सेलिंग के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। सेबी को इस तरह के एक्शंस की सिक्योरिटीज लॉ के तहत जांच करनी चाहिए।

अडाणी एंटरप्राइजेज के कारोबार का चार पैच में एनालिसिस किया गया
​​​​​​​रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने और अडाणी ग्रुप के शेयरों में गिरावट से पहले 1 मार्च 2020 और 31 दिसंबर 2022 के बीच ग्रुप की फ्लैगशिप फर्म अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के कारोबार का चार पैच में एनालिसिस किया गया। AEL शेयरों में ट्रेडिंग का एनालिसिस 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 (पैच-1), 1 सितंबर 2020 से 30 सितंबर 2020 (पैच-2), 1 अक्टूबर 2020 से 31 मार्च 2021 ( पैच-3) और 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2022 (पैच-4) चार फेज में किया गया।

AEL के शेयरों में गिरावट की वजह से सबसे ज्यादा लॉस LIC को हुआ
एनालिसिस में पता चला कि AEL के शेयरों में गिरावट की वजह से सबसे ज्यादा लॉस LIC को हुआ। LIC ने अडाणी एंटरप्राइजेज के 50 लाख शेयर्स बेचे थे, जब शेयर की कीमत करीब 300 रुपए थी। वहीं 4.8 करोड़ शेयर खरीदे थे, जब शेयर की कीमत 1,031 रुपए और 3,859 रुपए के बीच थी।

ग्रुप से जुड़ी फर्मों द्वारा शेयरों की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं मिला
अडाणी के शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव और कई एंटिटीज द्वारा उनकी सेल और परचेज की विस्तृत जांच के बाद, कमेटी को ग्रुप से जुड़ी फर्मों द्वारा शेयरों की कीमतों में हेरफेर का कोई सबूत नहीं मिला है। स्टॉक मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने कमेटी को बताया कि जब AEL के शेयरों की कीमत में लगातार ग्रोथ देखने को मिली थी, तो उसके प्राइस बढ़ने में कोई एविडेंट पैटर्न नहीं मिला था। यही वजह है कि किसी एक एंटिटी या कंसंट्रेटेड एंटिटीज के ग्रुप को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।

अडाणी ग्रुप पर लगाया था स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप ​​​​​​​
​​​​​​​हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अडाणी ग्रुप कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला करने वाली कंपनी है, जो स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड कर रही है। हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट पब्लिश होने के बाद अमेरिकी इन्वेस्टमेंट फर्म की इस रिपोर्ट को भारत पर हमला बताया जा रहा था। वहीं अडाणी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को गलत बताया था। हालांकि, इस रिपोर्ट के बाद अडाणी ग्रुप के सभी शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी।

2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए 6 मेंबर की एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी
रिपोर्ट सामने आने के बाद यह पॉलिटिकल मुद्दा भी बन गया था। इतना ही नहीं अडाणी ग्रुप की जांच के लिए कई याचिकाएं भी दायर की गईं। 2 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए 6 मेंबर की एक्सपर्ट कमेटी बनाई थी, जिसे अडाणी ग्रुप से जुड़े ट्रांजेक्शंस और स्टॉक प्राइस में मैनिपुलेशन का पता लगाने का काम सौंपा गया था। कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट 6 मई को सौंप दी थी।

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की रिपोर्ट को 19 मई को सार्वजनिक किया गया
सुप्रीम कोर्ट की इस कमेटी की रिपोर्ट शुक्रवार (19 मई) को सार्वजनिक की गई। कमेटी ने रिपोर्ट में यह भी कहा कि अडाणी के शेयरों की कीमत में कथित हेरफेर के पीछे सेबी की नाकामी थी, अभी इस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। कमेटी ने ये भी कहा कि ग्रुप की कंपनियों में विदेशी फंडिंग पर सेबी की जांच बेनतीजा रही है।

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के अन्य पॉइंट

  • कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि SEBI को संदेह है कि अडाणी ग्रुप में निवेश करने वाले 13 विदेशी फंडों के प्रमोटर्स के साथ संबंध हो सकते हैं। ​​​​​​
  • अडाणी ग्रुप के शेयरों में वॉश ट्रेड का कोई भी पैटर्न नहीं मिला है। वॉश ट्रेड यानी वॉल्यूम बढ़ाने के लिए खुद ही शेयर खरीदना और बेचना।
  • कुछ संस्थाओं ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के पब्लिश होने से पहले शॉर्ट पोजीशन ली थी। जब शेयर के भाव गिरे तो इसे खरीदकर मुनाफा कमाया।

शॉर्ट पोजीशन को उदाहरण से समझ सकते हैं...
मान लीजिए X नाम की एक कंपनी का भाव अभी 100 रुपए है। ट्रेडर के पास इस कंपनी के शेयर नहीं है, लेकिन उसे लगता है कि भाव नीचे जाएगा तो वो उसे 100 रुपए पर बेच देता है। कुछ दिन बाद शेयर का भाव 90 रुपए पर आ जाता है। ट्रेडर इस भाव पर इसे खरीदकर 10 रुपए का मुनाफा बना लेता है। इसे शॉर्ट सेलिंग भी कहते हैं।

अब तक क्या क्या हुआ?

1. हिंडनबर्ग ने लगाए थे शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप
24 जनवरी को हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडाणी ग्रुप को लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। रिपोर्ट में ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग से लेकर शेयर मैनिपुलेशन जैसे आरोप लगाए गए थे। रिपोर्ट के बाद ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, बाद में इसमें रिकवरी आई।

2. अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में चार जनहित याचिका दायर

  • मनोहर लाल शर्मा ने याचिका में हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन और भारत में उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच करने और FIR की मांग की थी। इसके साथ ही इस मामले पर मीडिया कवरेज पर रोक की भी मांग की गई थी।
  • विशाल तिवारी ने SC के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली एक कमेटी बनाकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट की जांच की मांग की थी। तिवारी ने अपनी याचिका में लोगों के उन हालातों के बारे में बताया था जब शेयर प्राइस नीचे गिर जाते हैं।
  • जया ठाकुर ने इस मामले में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की भूमिका पर संदेह जताया था। उन्‍होंने LIC और SBI की अडाणी एंटरप्राइजेज में भारी मात्रा में सार्वजनिक धन के निवेश की भूमिका की जांच की मांग की थी।
  • मुकेश कुमार ने अपनी याचिका में SEBI, ED, आयकर विभाग, डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस से जांच के निर्देश देने की मांग की थी। मुकेश कुमार ने अपने वकीलों रूपेश सिंह भदौरिया और महेश प्रवीर सहाय के जरिए ये याचिका दाखिल कराई थी।

3. कोर्ट ने 2 मार्च को बनाई थी 6 सदस्यीय कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जो कमेटी बनाई थी, उसके हेड रिटायर्ड जज एएम सप्रे हैं। उनके साथ इस कमेटी में जस्टिस जेपी देवधर, ओपी भट, एमवी कामथ, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेसन शामिल हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारदीवाला की बेंच ने कमेटी बनाने का यह आदेश 2 मार्च को दिया था।

4. सेबी को इन 2 पहलुओं पर जांच करने के लिए कहा था...

  • क्या सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स के नियम 19 (A) का उल्लंघन हुआ?
  • क्या मौजूदा कानूनों का उल्लंघन कर स्टॉक की कीमतों में कोई हेरफेर हुआ?

मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग से जुड़ा है नियम 19 (A)
कॉन्ट्रैक्ट रेगुलेशन रूल्स का नियम 19 (A) शेयर मार्केट में लिस्टेड कंपनियों की मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग से जुड़ा है। भारतीय कानून में किसी भी लिस्टेड कंपनी में कम से कम 25% शेयरहोल्डिंग पब्लिक यानी नॉन इनसाइडर्स की होनी चाहिए।

हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी विदेश में शेल कंपनियों को मैनेज करते हैं। इनके जरिए भारत में अडाणी ग्रुप की लिस्टेड और प्राइवेट कंपनियों में अरबों डॉलर ट्रांसफर किए गए।

5. सेबी को जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट से अतिरिक्त समय मिला
सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को अपनी जांच रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त तक का समय दिया है। कोर्ट ने इससे पहले 2 मार्च को सेबी को जांच के लिए 2 महीने का समय दिया था। यानी उसे 2 मई तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी। हालांकि, सेबी ने कहा था कि अडाणी ग्रुप के ट्रांजैक्शन काफी कॉम्प्लेक्स है, इसलिए जांच के लिए उसे कम से कम 6 महीने का अतिरिक्त समय चाहिए।

6. कमेटी की रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को
इस मामले पर बुधवार को सुनवाई हुई थी। इंडिपेंडेंट कमेटी की सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर कोर्ट ने कहा था कि उसे इस रिपोर्ट के विश्लेषण के लिए समय चाहिए। कमेटी की रिपोर्ट पक्षकारों को भी दी जाएगी। रिपोर्ट पर अगली सुनवाई 11 जुलाई को होगी। CJI डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की बेंच ने इस पर सुनवाई की।