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गूगल को झटका, 10% जुर्माना जमा करना होगा:सुप्रीम कोर्ट ने NCLT के आदेश को बरकरार रखा, गूगल ने कहा- हम CCI का सहयोग करेंगे

नई दिल्ली2 महीने पहले
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कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) के लगाए जुर्माने के मामले में गूगल को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, CCI की रिपोर्ट में कोई खामी नहीं मिली, इसलिए जुर्माना सही है। कोर्ट ने गूगल को आदेश दिया कि वह एक हफ्ते में 10% जुर्माना राशि जमा करे।

कोर्ट ने गूगल की याचिका फिर से नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLT) भेज दी और ट्रिब्यूनल को इस पर 31 मार्च तक फैसला करने का निर्देश दिया। दरअसल, CCI ने गूगल प्ले-स्टोर पर अपने वर्चस्व का दुरुपयोग करने के लिए 1,337 करोड़ रुपए जुर्माना लगाया था।

CCI ने गूगल को अनुचित कारोबारी गतिविधियां बंद करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ गूगल पहले NCLT, फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद गूगल ने कहा, 'हम फैसले की समीक्षा कर रहे हैं। एंड्रॉइड ने भारतीय यूजर्स, डेवलपर्स और ओईएम को बहुत लाभान्वित किया है और भारत के डिजिटल परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम CCI के साथ सहयोग करेंगे।'

गूगल पर 1338 करोड़ का जुर्माना क्यों लगा था?

गूगल के बिजनेस के 2 तरीकों को CCI ने गलत माना-

1. गूगल-पे को हर ऐप का डिफॉल्ट पेमेंट सिस्टम बनाने का दबाव
गूगल ने अपने प्ले स्टोर पर पब्लिश होने वाले हर ऐप पर यह दबाव बनाया था कि वह ऐप से जुड़े हर पेमेंट को गूगल के पेमेंट प्लेटफॉर्म गूगल-पे के जरिये प्रोसेस करे। यह हर In-app Purchase गूगल-पे के जरिये किया जाए। इस पर ऐप पब्लिशर्स ने आपत्ति जताई थी।

CCI ने भी माना कि यह दबाव गलत है। इससे ऐप पब्लिशर्स बेहतर डील मिलने के बावजूद बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स से टाई-अप नहीं कर पाते। साथ ही इसे बाकी पेमेंट प्लेटफॉर्म्स को गलत तरीके से दबाने और बाजार में मोनोपली बनाने का जरिया माना गया।

2. एंड्रॉयड पर गूगल के ऐप्स की बंडलिंग अनिवार्य करना
गूगल का एंड्रॉयड मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मोबाइल OS है। गूगल ने फोन निर्माता कंपनियों पर दबाव बनाया था कि वह हर नए फोन गूगल के ऐप्स (गूगल सर्च, यू-ट्यूब, क्रोम आदि) डिफॉल्ट के तौर पर शामिल करें।

उन्हें इसी शर्त पर एंड्रॉयड के इस्तेमाल की इजाजत मिलती है। CCI ने इसे भी गलत माना। इससे एंड्रॉयड फोन्स पर गूगल के ऐप्स की मोनोपली बन रही थी। सैमसंग जैसी कंपनियां जो अपने सर्च इंजन भी यूजर्स को देती हैं, उनके लिए यह शर्त मुश्किलें बढ़ा रही थी।