क्रिप्टो करेंसी पर केंद्र सरकार जल्द ही बिल ला सकती है। राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि देश में क्रिप्टो करेंसी के लिए पर्याप्त कानून नहीं है। ऐसे में सरकार क्रिप्टो करेंसी पर कुछ और कानून बनाने पर विचार कर रही है।
ठाकुर ने कहा कि आरबीआई और सेबी जैसे रेगुलेटरी बॉडी के पास क्रिप्टो करेंसी को सीधे रेगुलेट करने के लिए कोई कानूनी ढांचा नहीं है और मौजूदा कानून इससे निपटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
सरकार ने एक समिति का गठन किया है
सरकार ने एक इंटर-मिनिस्ट्रियल समिति का गठन किया था जिसने वर्चुअल करेंसी से संबंधित मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट दी है। एम्पावर्ड टेक्नोलॉजी ग्रुप की एक बैठक भी हुई। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली सचिवों की समिति ने भी अपनी रिपोर्ट दी है। ठाकुर ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी पर एक बिल को अंतिम रूप दिया जा रहा है और इसे जल्द ही कैबिनेट को भेजा जाएगा।
आरबीआई लगा चुकी है प्रतिबंध
अप्रैल 2018 में आरबीआई ने बिटकॉइन समेत सभी वर्चुअल करेंसी से जुड़े जोखिमों को देखते हुए इसके द्वारा रेगुलेटेड सभी संस्थाओं को सलाह दी थी कि वे वर्चुअल करेंसी में काम न करें और उससे जुड़ी सर्विसेस का उपयोग न करें। आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी से जुड़े सभी लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, पिछले साल मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने प्रतिबंध हटा दिया था।
क्यों लग रही है क्रिप्टो करेंसी पर रोक?
25 जनवरी को जारी बुकलेट में आरबीआई ने कहा था कि सरकार क्रिप्टो करेंसी और उसके साथ आने वाले रिस्क को लेकर सावधान है। लेकिन मौजूदा समय में करेंसी के डिजिटलाइजेशन के विकल्प के बारे में सोचा जा रहा है। क्रिप्टो करेंसी एक विकेंद्रीकृत भुगतान प्रणाली है। इसका मतलब ये पारंपरिक मुद्रा की तरह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा रेगयुलेट नहीं की जाती। इस वजह से आरबीआई जैसे केंद्रीय बैंकों के लिए यह चिंता का विषय है। आरबीआई की तरह यूरोपियन सेंट्रल बैंक को भी क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ चेतावनी जारी की है।
कितने तरह की होती है क्रिप्टो करेंसी
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