देश की तीन सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) पिछले कारोबारी साल की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च 2020) में क्रूड और उत्पाद दोनों ही क्षेत्रों में कुल करीब 33,000करोड़ रुपए का इनवेंटरी घाटा दर्ज कर सकती हैं। यह बात विश्लेषकों ने कही। उनके मुताबिक आलोच्य तिमाही में क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट के कारण तीनों सरकारी कंपनियों इंडियन ऑयल (आईओसीएल), हिंदुस्तान पेट्र्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) को इतने बड़े आकार का इनवेंटरी घाटा होगा।
मांग खत्म होने से अप्रैल-जून तिमाही में भी ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन घट सकता है
लॉकडाउन से पहले ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन कुछ मजबूत रहने से हालांकि इन कंपनियों को चौथी तिमाही में हालत से निपटने में कुछ मदद मिल सकती है। इसके बावजूद ये कंपपनियां चौथी तिमाही में घाटा दर्ज कर सकती हैं। 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू करने से पेट्र्रोलियम उत्पादों की मांग में भारी गिरावट दर्ज की गई है। एक विश्लेषक ने कहा कि मांग खत्म होने से अप्रैल-जून तिमाही में भी इन कंपनियों का ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन घट सकता है।
क्या होता है इनवेंटरी घाटा और इनवेंटरी लाभ
इनवेंटरी का मतलब है भंडार। तेल मार्केटिंग कंपनियां कच्चे तेल का कुछ भंडार बनाकर रखती हैं, ताकि अचानक माल की कमी न हो जाए। जब क्रूड का भाव गिरता है, तब कंपनियों का इनवेंटरी घाटा होता है। क्योंकि इन कंपनियों ने ऊंचे भाव पर क्रूड खरीद रखा होता है और क्रूड का भाव गिरने से इन्हें क्रूड उत्पादों की कीमत कम मिलती है। क्रूड उत्पादों की कीमत अंतरराष्ट्र्रीय कीमतों के आधार पर तय होती है। इसके विपरीत होता है इनवेंटरी लाभ। जब क्रूड का अंतरराष्ट्र्रीय भाव बढ़ता है, तब कंपनियों का इनवेंटरी लाभ होता है। इसका कारण यह है कि इन कंपनियों ने कम कीमत पर क्रूड खरीद रखा होता है। जब क्रूड का भाव बढ़ता है, तो इन कंपनियों को क्रूड उत्पाद के लिए बाजार में ताजा ऊंचे भाव के मुताबिक कीमत मिलती है।
ओएमसी ने दिसंबर तिमाही में क्रूड इनवेंटरी लाभ दर्ज किया था
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक तीनों सरकारी तेल कंपनियों ने दिसंबर तिमाही में क्रूड इनवेंटरी लाभ दर्ज किया था। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में आईओसी ने 1,608 करोड़ रुपए का, एचपीसीएल ने 343 करोड़ रुपए का और बीपीसीएल ने 100 करोड़ रुपए का इनवेंटरी लाभ दर्ज किया था। अभी देश की अधिकतर रिफाइनरी (निजी क्षेत्र समेत) अपनी लगभग आधी क्षमता के साथ काम कर रही है। उत्पादन एक सीमा से नीचे जाने पर इन्हें बंद करना पड़ेगा।
तीनों ओएमसी का क्रूड इनवेंटरी घाटा 18,590 करोड़ रुपए व प्रोडक्ट इनवेंटरी घाटा 14,500 करोड़ रुपए का हो सकता है
मार्च तिमाही में ओएमसी का ग्रॉस रिफाइनरी मार्जिन रिफाइनरी ट्र्रांसफर प्राइस (आरटीपी) में हुए लाभ के कारण बढ़ा है। लेकिन इस लाभ से कहीं ज्यादा बड़ा इनवेंटरी घाटा हो गया है। इसके कारण तीनों ओएमसी मार्च तिमाही में घाटे में रह सकती है। आईसीआईसी सिक्युरिटीज के मुताबिक मार्च तिमाही में तीनों ओएमसी का क्रूड इनवेंटरी घाटा कुल 18,590 करोड़ रुपए का हो सकता है। इसके अलावा प्रोडक्ट इनवेंटरी के मोर्चे पर इन कंपनियों को 14,500 करोड़ रुपए का घाटा हो सकता है।
कोरोनावायरस के कारण रिफाइनिंग कंपनियों को दोहरा नुकसान
भारत की कुल सालाना रिफाइनिंग क्षमता 25 करोड़ टन है। रिफाइनिंग कंपनियां औसतन 20-50 दिनों की इनवेंटरी रखते हैं। क्रिसिल रेटिंग के मुताबिक रिफाइनरी कंपनियों (सरकारी व निजी दोनों) को कोरोनावायरस से दोतरफा नुकसान हुआ है। क्रूड के भाव में करीब 70 फीसदी गिरावट के कारण इन कंपनियों को जनवरी-मार्च तिमाही में 25,000 करोड़ रुपए से ज्यादा का इनवेंटरी घाटा हुआ है। इसके अलावा अप्रैल-जून तिमाही में भी मांग खत्म होने से इनका ग्रॉस रिफाइनिंग मार्जिन भी घट सकता है।
इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को सबसे ज्यादा इनवेंटरी घाटा
क्रिसिल के मुताबिक ओएमसी के बीच मार्च तिमाही में सबसे बड़ा इनवेंटरी घाटा आईओसीएल को 12,000 करोड़ रुपए का हुआ है। इसके बाद बीपीसीएल को 4,250 करोड़ रुपए का और एचपीसीएल को 2,340 करोड़ रुपए का इनवेंटरी घाटा हुआ है।
पिछले तीन माह में क्रूड की कीमत करीब 70 डॉलर प्रति बैरल से घटकर 21 डॉलर तक आ गई
कोरोनावायरस और लॉकडाउन के कारण वाहनों के सड़क से गायब रहने और अधिकतर उद्योग धंधों के बंद होने के कारण क्रूड की मांग में भारी गिरावट आई है। इस बीच उत्पादन अधिक होने और तेल स्टोरेज भंडार तेजी से भरने के बाद तेल रखने के लिए अतिरिक्त जगह नहीं होने के कारण भी तेल कीमतों में गिरावट आई। दिसंबर आखिर में ब्रेंट क्रूड की कीमत करीब 70 डॉलर प्रति बैरल थी। यह कीमत गिरकर हाल में 21 डॉलर तक आ गई थी।
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