तुर्किये इस वक्त आर्थिक संकट से गुजर रहा है। देश की करेंसी लीरा लगातार कमजोर हो रही है और महंगाई दर 57% के करीब है। कॉस्ट ऑफ लिविंग के बढ़ने से जनता परेशान है। वहीं तुर्किये और सीरिया में सोमवार सुबह आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने परेशानी को और ज्यादा बढ़ा दिया है। इस भूकंप से अब तक 4000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
खबर में आगे बढ़ने से पहले ये तस्वीरें देखिए जो भूकंप से हुई तबाही को दिखाती है...
अब इकोनॉमी की बात...
भूकंप से करीब 8 हजार करोड़ का नुकसान
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, तुर्किये और सीरिया के कुछ हिस्सों को हिला देने वाले घातक भूकंप से करीब 1 बिलियन डॉलर (करीब 8.2 हजार करोड़ रुपए) का नुकसान हो सकता है। रिइंश्योरेंस ब्रोकर गैलाघेर रे के चीफ साइंस ऑफिसर स्टीव बोवेन ने कहा कि जनवरी 2020 में इसी क्षेत्र में 6.7 तीव्रता के भूकंप से लगभग 600 मिलियन डॉलर (करीब 4.9 हजार करोड़ रु.) का नुकसान हुआ था।
हालांकि तुर्किये में, इंश्योरेंस पूल के जरिए जनता को कंपलसरी इंश्योरेस ऑफर किया जाता है। 2021 इंश्योरेंस रिन्यूअल के आधार पर इसकी लगभग 2.5 बिलियन के क्लेम पेमेंट की कैपेसिटी है। वहीं सीरिया की बात करें तो वहां पहले से ही सिविल वॉर के कारण हालत खराब है। खाने-पीने से लेकर कई तरह की परेशानी है। भूकंप ने परेशानी और ज्यादा बढ़ा दी है।
भूकंप के 5 इकोनॉमिक इम्पैक्ट
घर का किराया 19,700 से 131,000 रुपए पहुंचा
BBC ने अपनी एक रिपोर्ट में तुर्किये की एक महिला के हवाले से लिखा, 'पिछले साल मैं 4,500 लीरा (करीब 19,700 रुपए) रेंट दे रही थी, लेकिन मेरे मकान मालिक ने कहा कि उसे कीमत बढ़ानी होगी। हमने पेमेंट को दोगुना कर दिया, लेकिन फिर भी हमें फ्लैट छोड़ना पड़ा।' तुर्किये में अब रेंट पर मकान तकरीबन 30,000 लीरा (करीब 131,000 रुपए) में मिल रहा है।
स्ट्रीट पर महंगाई 600% महसूस हो रही
एक अन्य नागरिक ने कहा, 'हम अचानक गरीब हो गए हैं। स्ट्रीट पर महंगाई 600% महसूस हो रही है, लेकिन पेंशन में बढ़ोतरी केवल 30% है।' इस्तांबुल में, एक रेस्तरां मैनेजर, एर्सिन फुआट उलकु ने कहा, 'अब केवल बहुत अमीर या बहुत गरीब हैं। कोई मिडिल क्लास नहीं है। सरकारी सहायता के बाद भी महंगाई का सामना करना मुश्किल है। यहां भविष्य अंधकार में है।'
तुर्किये में चुनाव, रिकॉर्ड पब्लिक स्पेंडिंग की घोषणा
तुर्किये में इस साल चुनाव भी है। ऐसे में इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रपति एर्दोगन ने रिकॉर्ड पब्लिक स्पेंडिंग की घोषणा की है। उनके प्लान में एनर्जी सब्सिडी, न्यूनतम वेतन को दोगुना करना और पेंशन में बढ़ोतरी के साथ-साथ दो मिलियन से ज्यादा लोगों को तुरंत रिटायरमेंट का मौका शामिल है। एक्सपर्ट रूस-यूक्रेन जंग के साथ एर्दोगन की नीतियों को इकोनॉमी की खराब हालत का कारण मान रहे हैं।
2018 में भी दिखा था तुर्की में इकोनॉमिक संकट
तुर्किये में 2018 में भी संकट देखने को मिला था, लेकिन तब इसकी वजह अमेरिकी प्रतिबंध थे। वर्तमान स्थिति पूरी तरह से अलग है। तुर्किये के हालात आने वाले दिनों में और भी खराब हो सकते हैं, क्योंकि एर्दोगन इकोनॉमिक थ्योरीज के विपरीत चल रहे हैं। वे ब्याज दरों में लगातार कटौती कर रहे हैं। जबकि दूसरे देशों के सेंट्रल बैंक महंगाई को कंट्रोल में लाने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं।
85.5% पर पहुंच गई थी महंगाई, करेंसी 38% कमजोर
अक्टूबर 2022 में तुर्किये की रिटेल महंगाई 85.5% पर पहुंच गई थी। ये उसका 24 साल का उच्च स्तर था। हालांकि महंगाई जनवरी में कम होकर 57.7% पर आ गई। उससे एक महीने पहले दिसंबर में यह 64.3% थी। वहीं तुर्की की करेंसी लीरा की बात करें तो यह डालर के मुकाबले 18.83 लीरा पर पहुंच गई है। एक साल पहले 6 फरवरी 2022 को ये 13.56 लीरा थी। यानी एक साल में करेंसी करीब 38% कमजोर हुई है।
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