मोबाइल से लेकर पुरानी गाड़ियों, स्टार्टअप और अन्य सेक्टर को लेकर बजट में बहुत सारी बातें आई हैं। इसमें कुछ से आपको फायदा होगा तो कुछ से आपको नुकसान होगा। खासकर स्मार्टफोन, चार्जर और गाड़ियों को लेकर जो बातें आई हैं, उसमें हम आपको बता रहे हैं कि इसका आप पर क्या असर होगा।
मोबाइल फोन और चार्जर अब महंगे हो जाएंगे
स्मार्ट फोन और इसके चार्जर पर कस्टम ड्यूटी बढा़कर 2.5% की गई है। यानी जो भी इंपोर्टेड स्मार्ट फोन और चार्जर आएंगे अब आपको महंगे मिलेंगे। 2019 में देश में कुल 14 करोड़ स्मार्ट फोन बिके थे। इसमें से 53% फोन ऑन लाइन बिके थे।
इंपोर्टेड गाड़ियां भी महंगी हुई
अब आपको इंपोर्टेड गाड़ियां भी महंगी मिलेंगी। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑटो के सामानों (कंपोनेंट) पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाकर 15% की गई है। यानी जब भी आप इंपोर्टेड कार खरीदेंगे तो आपको 15 पर्सेंट ज्यादा कीमत देनी होगी।
नई गाड़ियां 30 पर्सेंट सस्ती होंगी
नई गाड़ियां अब 30 पर्सेंट तक सस्ती हो सकती हैं। इसका कारण यह है कि कबाड़ पॉलिसी से रिसाइकल रॉ मटेरियल आसानी से और सस्ती कीमत पर उपलब्ध होगा। साथ ही स्टील पर कस्टम ड्यूटी घटा दी गई है। ऐसे में कंपनियों के लिए प्रोडक्शन की कीमत कम होगी। इससे वे गाड़ियों की कीमतें घटा देंगी। भारत स्टेज -VI स्टैंडर्ड के वाहन मालिकों को इन्सेंटिव भी उपलब्ध कराया जाएगा।
वाहन कबाड़ पॉलिसी बनेगी
अब निजी गाड़ियां 20 और कमर्शियल वाहन 15 साल के बाद सड़कों पर नहीं उतर सकेंगे। ये ऑटो सेक्टर के लिए एक बड़ी पॉजिटिव खबर है। हालांकि यह पॉलिसी वॉलेंटरी होगी। नई गाड़ियों की मांग बढ़ने से ऑटोमोबाइल सेक्टर रफ्तार पकड़ेगा। पुराने वाहनों से वायु प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी आएगी। वहीं स्क्रैप सेंटरों पर बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध होंगे।
2001 में 70 लाख पैसेंजर गाड़ियां रजिस्टर्ड हुई थीं
आंकड़े बताते हैं कि साल 2001 में 70 लाख पैसेंजर गाड़ियां रजिस्टर्ड हुई थीं। जबकि 2005 में 1.1 करोड़ कमर्शियल व्हीकल रजिस्टर्ड हुए थे। यानी इतनी गाड़ियां तो तुरंत रोड से हट जाएंगी। फिर हर साल रजिस्टर्ड के अनुपात पर यह गाड़ियां हटती जाएंगी। इससे ऑटो सेक्टर को बहुत बड़ी मदद मिलेगी। उनकी बिक्री में तेजी आएगी। इससे ऑटो सेक्टर के सामानों की भी बिक्री बढ़ेगी।
34 लाख हलके वाहन 15 साल पुराने
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, देश में 34 लाख ऐसे हलके वाहन (एलएमवी) हैं जो 15 साल पुराने हैं। यानी 5 साल बाद इनको रोड से हटाना होगा। 51 लाख हलके वाहन 20 साल से ज्यादा पुराने हैं। 17 लाख मध्यम और भारी कमर्शियल वाहन 15 साल पुराने हैं जिनके पास कोई वैलिड फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं हैं। स्क्रैपेज पॉलिसी 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी।
50 हजार नई नौकरियां मिलेंगी
नितिन गडकरी ने कहा कि इससे 10 हजार हजार करोड़ का निवेश होगा और 50 हजार नई नौकरियां आएंगी। दुनिया के सभी ऑटो ब्रांड भारत में मौजूद हैं। इस पॉलिसी से देश के ऑटो सेक्टर की इकोनॉमी 4 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 6 लाख करोड़ हो जाएगी।
पिछले साल कुल 2.15 करोड़ गाड़ियां बिकी थीं
वित्त वर्ष 2020 में भारतीय ऑटोमोटिव का बाजार 18 पर्सेंट कम रहा है। 2020 में कुल 2.15 करोड़ गाड़ियां बिकी थीं। इसमें 7.17 लाख कमर्शियल गाड़ियां बिकी थीं। यानी 29 पर्सेंट की गिरावट रही थी। तीन पहिए वाली गाड़ियों का बाजार 29 पर्सेंट घट कर 6.36 लाख रहा है। इसी तरह पैसेंजर कारों और दो पहिया वाहनों का भी बाजार घटा है।
स्टार्टअप को आप कंपनी में बदल सकते हैं
आपने स्टार्टअप शुरू किया है तो इसे अब आप कंपनी में आसानी से बदल सकेंगे। स्टार्टअप आप अकेले भी शुरू कर सकते हैं। यह स्कीम 31 मार्च 2022 तक लागू रहेगी। इसमें तब तक फायदा पर आपको टैक्स में छूट मिलती रहेगी।
पीएलआई स्कीम का 13 सेक्टर को मिलेगा फायदा
सरकार ने अब प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव यानी पीएलआई स्कीम को बढ़ाकर 13 सेक्टर के लिए कर दिया है। नवंबर 2020 में 1.45 लाख करोड़ रुपए की पीएलआई स्कीम 10 सेक्टर्स के लिए जारी की गई थी। पीएलआई स्कीम अगले पांच साल तक रहेगी। इसमें पहले इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग स्कीम के लिए 40,951 करोड़ रुपए घोषित किए गए थे। इसके तहत प्रोडक्शन वैल्यू की तुलना में 4 से 6% का इंसेंटिव मिलेगा। इससे विदेशी कंपनियां भी देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आएँगी।
एलईडी और सोलर पावर भी इसके दायरे में
पहले यह स्कीम 10 प्रमुख सेक्टर्स के लिए थी। इसमें ऑटो मोबाइल, ऑटो के सामान, फार्मा, टेलीकॉम, टेक्सटाइल्स आदि थे। अब इसमें एलईडी और सोलर पावर भी आ गए हैं। यानी छोटे -छोटे सेक्टर्स को इंसेंटिव स्कीम के जरिए बढ़ावा देने की योजना है। पीएलआई स्कीम के लिए 1.97 लाख करोड़ रुपए मिलेगा। इसमें 7 मेगा टेक्सटाइल्स पार्क बनेंगे। इन पार्क को 3 साल में पूरा किया जाएगा। इससे लोगों को नौकरियां मिलेंगी।
मेक इन इंडिया पर फोकस
दरअसल इंसेंटिव मिलने से ग्लोबल कंपनियां भारत में आएंगी। इससे यहां मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में निवेश बढ़ेगा। साथ ही मेक इन इंडिया को तेजी मिलेगी। इससे लोकल कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा। वे अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को बढ़ा सकेंगी।
छोटी कंपनियों के लिए 15,700 करोड़ रुपए
बजट में छोटी कंपनियों के लिए 15,700 करोड़ रुपए मिलेगा। छोटी, मझोली (MSME) को पिछले साल 7500 करोड़ रुपए मिले थे। इस तरह से दोगुना रकम उनको दी गई है। एमएसएमई की राहत देने के लिए स्टील स्क्रैप चार्ज में 31 मार्च 2022 तक छूट दी जाएगी। स्टील पर कस्टम ड्यूटी घटा दी गई है।
ऑडिट अब 10 करोड़ वाली कंपनियों का होगा
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के एसएमई के डायरेक्टर भूषण पारेख कहते हैं कि टैक्स ऑडिट की सीमा बढ़ाकर 10 करोड़ किए जाने से छोटी कंपनियों को बिजनेस करने में आसानी होगी। पहले यह लिमिट 5 करोड़ की थी। इससे डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा मिलेगा। क्योंकि यह सीमा उस पर लागू होगी जो 5 पर्सेंट कैश ट्रांजेक्शन करेंगे। इसके साथ ही अब 20 करोड़ रुपए तक के कारोबार पर कंप्लायंस और प्रोसीजर की जो झंझट है वह भी खत्म कर दी गई है।
हेल्थ बजट 137 फीसदी बढ़ाया
इस बार बजट में सरकार ने हेल्थ बजट को 137 पर्सेंट बढ़ाया है। इसके लिए 2.24 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। पिछले साल 94,452 करोड़ का हेल्थ बजट पेश हुआ था। कोरोना वैक्सीन पर सरकार 36 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
हेल्थ इमरजेंसी सेंटर
देश में 17 नए हेल्थ इमरजेंसी सेंटर खोले जाएंगे। सभी राज्यों का हेल्थ डाटा बेस तैयार किया जाएगा। वहीं मोबाइल हॉस्पिटल पर फोकस किया जाएगा। देश भर में हेल्थ टेस्टिंग को बूस्ट देने के उपाय किए जाएंगे। गांवों और शहरों में नए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स खोले जाएंगे।
गांवों के इंफ्रा को मिलेगा 40 हजार करोड़
सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में ग्रामीण क्षेत्र में इन्फ्रा सेक्टर के विकास के लिए आवंटन को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया है। वित्त मंत्री ने पांच प्रमुख फिशिंग हब बनाने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि 1,000 और मंडियों को इलेक्ट्रॉनिक नेशनल मार्केट से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि प्लेटफॉर्म और गिग वर्कर्स तक सामाजिक सुरक्षा से जुड़े लाभ का विस्तार किया जाएगा।
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