अडाणी ग्रुप ने गुरुवार (16 मार्च) को साफ किया कि ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडाणी के बड़े भाई विनोद अडाणी, ग्रुप की कई लिस्टेड कंपनियों के 'प्रमोटर ग्रुप' का हिस्सा हैं। ग्रुप ने कहा, 'यह फैक्ट इंडियन रेगुलेटरी अथॉरिटीज को समय-समय पर कई डिस्क्लोजर्स में बताया गया है।' अडाणी ग्रुप का यह बयान उस रिपोर्ट पर आया है, जिसमें कहा गया था कि विनोद अडाणी अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और ACC लिमिटेड के अल्टीमेट बेनिफिशियरी हैं।
पिछले साल सितंबर में अडाणी ग्रुप ने बताया था कि उसने स्विस सीमेंट प्रमुख होल्सिम से 10.5 बिलियन डॉलर में अंबुजा और ACC का अधिग्रहण किया था। इस ट्रांजेक्शन के लिए अडाणी ग्रुप ने एक स्पेशल-परपज एंटिटी बनाई थी, जिसका नाम एंडेवर ट्रेड एंड इन्वेस्टमेंट लिमिटेड रखा गया था। हालांकि, मॉर्निंग कॉन्टेक्सट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह एंटिटी मॉरीशस में स्थित है और विनोद अडाणी इसके मालिक हैं।
कौन है ACC और अंबुजा का मालिक?
अडाणी ग्रुप ने कहा, 'फैक्ट यह है कि एंडेवर ट्रेड एंड इंवेस्टमेंट लिमिटेड अडाणी ग्रुप की ही है, जो ACC लिमिटेड और अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड कि अधिग्रहणकर्ता है। इस बात की जानकारी 19 अगस्त 2022 की डेट के पब्लिक ऑफर डॉक्यूमेंट (लेटर ऑफ ऑफर) के पेज नंबर-22 पर दी गई है, जो अंबुजा सीमेंट्स लिमिटेड और स्टॉक एक्सचेंजों की वेबसाइट्स पर भी अवेलेबल है। इसके अलावा यह जानकारी रेगुलेटरी अथॉरिटी सेबी को फाइलिंग में भी दी गई थी।
ऑफशोर एंटिटीज के नेटवर्क को मैनेज करते हैं विनोद
इससे पहले 24 जनवरी को US शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने आरोप लगाया था कि अडाणी ग्रुप के फ्रॉड्स में मदद करने के लिए विनोद अडाणी ऑफशोर शेल एंटिटीज के एक नेटवर्क को मैनेज करते हैं। शॉर्ट-सेलर ने कहा था कि उसने विनोद अडाणी या उनके करीबी सहयोगियों के जरिए कंट्रोल की जाने वाली 38 मॉरीशस बेस्ट शेल एंटिटीज की पहचान की है।
रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया गया था। हालांकि, अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के सभी आरोपों को गलत बताया है। अडाणी ग्रुप ने हिंडनबर्ग के इन सभी दावों को खारिज करते हुए कहा था कि ग्रुप की कंपनियों के डे-टू-डे मामलों में विनोद अडाणी की कोई भूमिका नहीं है।
विनोद के पास दुबई में 10 प्रॉपर्टी
वॉशिंगटन डीसी बेस्ड नॉन-प्रॉफिट सेंटर फॉर एडवांस्ड डिफेंस स्टडीज के रियल एस्टेट डेटा के अनुसार विनोद के पास दुबई में 10 प्रॉपर्टी है। सिंगापुर में अपार्टमेंट है, जिसकी कीमत अनुमानित 4 मिलियन डॉलर है। फोर्ब्स ने पाया कि विनोद बहामास, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स, केमैन आइलैंड्स, साइप्रस, मॉरिशस, सिंगापुर और संयुक्त अरब अमीरात सहित ऑफशोर टैक्स हेवन में कम से कम 60 एंटीटीज के मालिक हैं या उनसे जुड़े रहे हैं।
तीन दशक से विदेश में रह रहे विनोद
विनोद तीन दशक से विदेश में रह रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स में एक स्पॉन्सर्ड आर्टिकल के अनुसार, उन्होंने अमेरिका में इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री ली और फिर 1976 में मुंबई में एक टेक्सटाइल बिजनेस सेटअप किया।
1980 के दशक में विनोद ने 1,000 डॉलर में एक छोटी प्लास्टिक पैकेजिंग फैक्ट्री खरीदी। इसे चलाने में मदद करने के लिए अपने छोटे भाई गौतम को शामिल किया। गौतम ने 2009 में फोर्ब्स को बताया था कि हमने करीब-करीब शून्य से शुरुआत की थी।
पहले सिंगापुर, फिर दुबई गए विनोद
1989 तक विनोद ने कमोडिटीज में ट्रेड करने के लिए अपनी कंपनी का विस्तार किया। उन्होंने सिंगापुर में एक नया ऑफिस खोला और वहां शिफ्ट हो गए। 1994 में वह दुबई चले गए। यहां उन्होंने दुबई, सिंगापुर और जकार्ता (इंडोनेशिया की कैपिटल) में ऑपरेशन के साथ चीनी, तेल और मेटल्स का ट्रेड शुरू किया।
उन्होंने ऑफशोर कंपनियों का साम्राज्य खड़ा करना भी शुरू किया। पनामा पेपर लीक के अनुसार विनोद ने जनवरी 1994 में बहामास में एक कंपनी की स्थापना की। दो महीने बाद उन्होंने कंपनी के दस्तावेजों पर अपना नाम विनोद शांतिलाल अडाणी से बदलकर विनोद शांतिलाल शाह करने का अनुरोध भी किया।
2011 तक अडाणी ग्रुप में एग्जीक्यूटिव पोजिशन्स पर रहे विनोद
विनोद दुबई में विस्तार कर रहे थे, तो गौतम अपना करियर शुरू कर रहे थे। उन्होंने 1988 में अडाणी ग्रुप की स्थापना की और 1994 में इसे पब्लिक किया। सालों से विनोद अपने भाई के बिजनेसेज में गहराई से शामिल रहे हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के अनुसार विनोद ने कम से कम 2011 तक अडाणी ग्रुप की कंपनियों में एग्जीक्यूटिव पोजिशन्स पर काम किया। विनोद के 44 साल के बेटे प्रणव अभी भी अडाणी एंटरप्राइजेज में मैनेजिंग डायरेक्टर हैं।
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