दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक महत्वपूर्ण नोटिफिकेशन जारी किया है। इसके तहत, अगले सेशन से एमफिल कोर्स को बंद कर दिया गया है। इस आधार पर नए सेशन से इस कोर्स में एडमिशन नहीं लिए जाएंगे। यूनिवर्सिटी ने यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप लिया है। विश्वविद्यालय 2022-23 से नीति को लागू करेगा।
एम फिल के लिए नहीं मिलेगा कोई नया एडमिशन
वहीं इस संबंध में जारी नोटिफिकेशन में, दिल्ली विश्वविद्यालय ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में चल रहे एमफिल प्रोग्राम में 2022-23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप बंद कर दिए जाएगा। यहां कोई नया प्रवेश नहीं होगा। विश्वविद्यालय के एक अधिकारी के अनुसार, एमफिल प्रोगाम के लिए पहले से रजिस्टर्ड छात्र कोर्स का अध्ययन करना जारी रखेंगे।
इस फैसले पर शिक्षकों ने जताया विरोध
इस फैसले पर शिक्षकों ने विरोध जताया है। अकादमिक परिषद के सदस्य मिथुनराज धूसिया ने कहा कि एमफिल शोध डिग्री अपने आप में अलग और साथ ही मास्टर डिग्री से ऊपर की डिग्री रही है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनईपी-2020 ने एमफिल को बंद कर दिया है।
वहीं कार्यकारी परिषद की पूर्व सदस्य आभा देव हबीब ने इस कदम की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह वंचित पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए नुकसान हैं, जो एमफिल को एक शोध डिग्री के रूप में देखते थे। अब उनके लिए यह फैसला मुश्किलें पैदा कर देगा। वहीं जेएनयू की प्रोफेसर आयशा किदवई ने भी इस फैसले पर नाराजगी जताई है।
उन्होंने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि साल 2012-2013 एमफिल के बाद से नामांकन में लगातार महिलाओं की संख्या अधिक रही है, जो वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत है। ऐसे में एमफिल एकमात्र शोध डिग्री है, जिसे महिलाओं के साथ ही अन्य वंचित वर्ग भी आसानी से हासिल कर सकते थे। वहीं दूसरी तरफ पीएचडी डिग्री के लिए समय का निवेश और पैसा भी अधिक होना चाहिए।
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