पिछले साल UPSC की परीक्षा में लास्ट अटेंप्ट करने वाले कैंडिडेट्स को इस साल एक मौका और देने वाली याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। इस दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कैंडिडेट्स को ऊपरी आयु सीमा के बिना अतिरिक्त मौका दिए जाने पर दलीलें देते हुए केंद्र के आयु सीमा में छूट ना देने के फैसले को गलत बताया।
आयु सीमा में छूट ना देना गलत
जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाली बैंच के सामने दीवान ने कहा कि, "सीमा में छूट नहीं देना पूरी तरह गलत है। उनके पास एक शक्ति और कर्तव्य है।" आयु सीमा में छूट को एक नीतिगत निर्णय बताते हुए दीवान ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण होने वाली असाधारण कठिनाइयों के मद्देनजर इस साल विचार अलग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक सामान्य साल में, इस तर्क पर सुनवाई नहीं की जाएगी। लेकिन इस साल, यह सामान्य नहीं है।" मामले में फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
सोमवार की सुनवाई में क्या हुआ?
सोमवार की सुनवाई के दौरान जस्टिस ए एम खानविल्कर और जस्टिस दिनेश महेश्वरी की बैंच के सामने याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि आयु सीमा की शर्त के चलते सबसे ज्यादा असर दिव्यांग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कैंडिडेट्स पर पड़ेंगा। बैंच के मुताबिक महामारी की वजह से असाधारण परिस्थिति थी और ऐसे में अधिकारियों को कठोर रुख नहीं अपनाना चाहिए।
कोर्ट ने केंद्र को था दिया सुझाव
मामले में केंद्र का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा था,‘हम कठोर नहीं हैं। जब अदालत ने हमें सुझाव दिया, तब हमने राहत प्रदान की।’ इस पर कोर्ट ने केंद्र को आयु सीमा में एक बार की राहत देने पर विचार करने को कहा था। जिस पर जवाब देते हुए राजू ने कहा कि यह संभव नहीं हो सकता है, लेकिन वह अधिकारियों से चर्चा करने के बाद अदालत को सूचित करेंगे।
कैंडिडेट्स को शर्त के साथ मिलेगा एक और मौका
इससे पहले 5 फरवरी की सुनवाई में केंद्र ने कोर्ट में उन कैंडिडेट्स को एक और अवसर देने पर सहमति जताई थी, जिन्होंने पिछले साल हुई परीक्षा में अपना लास्ट अटेम्प्ट किया था। हालांकि, केंद्र ने यह भी साफ किया था कि सिर्फ ऐसे कैंडिडेट्स को ही मौका मिलेगा जो परीक्षा में बैठने की उम्र पार न कर चुके हों।
क्या है पूरा मामला?
UPSC की सिविल सर्विसेस परीक्षा (CSE) में कोई भी कैंडिडेट अधिकतम चार बार ही शामिल हो सकता है। ऐसी स्थिति में चौथी बार परीक्षा देना ही लास्ट अटेंप्ट कहलाता है। UPSC की सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा (CSE-2020) में लास्ट अटेंप्ट करने वाले कैंडिडेट्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें अतिरिक्त मौका देने की मांग की गई थी।
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