साल में 30 किताबें पढ़ लेता हूं। कोशिश रहती है कि ऐसे राइटर्स को भी पढ़ा जाए जिनका नाम कभी सुना न हो। क्योंकि जरूरी नहीं कि जो पॉपुलर है वहीं अच्छा लिखते हो, कई बार जो पॉपुलर नहीं हैं वो भी अच्छा लिखते हैं। यह कहना है राइटर अर्पित वागेरिया का, जब उनसे पढ़ने व लिखने के बारे में सवाल पूछा गया। वह मंगलवार को होटल हयात रीजेंसी में हुए सेशन में पहुंचे। इस दौरान उनकी किताब “मुस्कुराने की वजह तुम हो” और उनके जीवन के पहलुओं से रू-बर- रू करवाया राइटर व रिटायर्ड टीचर सुनीता कटोच ने। इस सेशन को कलम सीरिज के तहत प्रभा खेतान फाउंडेशन की ओर से अहसास वुमन ऑफ पंजाब की शालू गोयल और मनीषा जैन ने आयोजित किया। अर्पित कई नॉवल के अलावा टेलिविजन शो, अवॉर्ड फंक्शन के लिए भी लिख चुके हैं। बोले- मेरा मानना है कि अगर राइटर बनाना है तो 500 किताबों को घोटकर पी लें यानी पढ़ ले और उसके बाद ही लिखने के बारे में सोचें। ऐसा करने के बाद जब लिखने के लिए बैठेंगे तो न ही ज्यादा सोचना पड़ेगा और न ही हाथ किसी लाइन पर रुकेंगे। बस लिखते जाएंगे। इसके अलावा जब हम ज्यादा पढ़ते हैं तो कंटेंट की कोई कमी नहीं होती है। इस बात पर मैं भी चलता हूं।
Talk Session
मंगलवार को होटल हयात रीजेंसी में हुए सेशन में राइटर अर्पित वागेरिया ने राइटिंग पर बात की ...
कभी नोट बुक के पीछे लिखता था|अर्पित बोले- दादा-दादी, नाना-नानी अक्सर कहानियां सुनाया करते। पापा-मम्मी रात को 8 बजे के बाद टीवी बंद कर किताबें पढ़ने बैठ जाते और मुझे भी पढ़ने के लिए कहते। शायद सुनने और पढ़ने की वजह से ही लिखने की शुरुआत हुई। मैं कॉलेज में था तब नोट्स बुक्स के पीछे लिखा करता। फिर इंदौर से मुंबई एमबीए करने गया अाैर वहीं कुछ साल जॉब की। फिर लगा कि यह वो नहीं है जो मैं करना चाहता हूं। मेरी पहली किताब 2012 में आई, जाे मेरे प्यार पर अाधारित थी।
जमीन से जुड़े इंसान हैं सुनील ग्रोवर
टेलिविजन में लिखने का मौका कब और कैसे मिला? अर्पित बोले- पहली किताब “चॉकलेट सॉस- स्मूथ, डार्क, सिनफुल” के बाद ही मुझे टेलिविजन से ऑफर आने लगे। मैंने कई टीवी शो, रियलिटी शो और अवॉर्ड शो के लिए लिखा। बोले- जब घर का खर्चा, इंस्टॉलमेंट याद आता है तो टेलिविजन के लिए लिखता हूं और जब अंदर से आवाज आती है तो नॉवल लिखता हूं। बैलेंस बनाना पड़ता है, क्योंकि लिखते समय कई बार ऐसी बात दिमाग में आ जाती है जो नॉवल के लिए होती है। ऐसे में उसे दूसरे कागज पर लिख देता हूं। साथ ही जब टेलिविजन के लिए लिखते हैं तो काफी बातों को ध्यान में रखना पड़ता है। अक्सर ऐसा होता है कि कुछ ही मिनट में कुछ न कुछ लिखना पड़ता है। अपनी जिंदगी से जुड़ा किस्सा सुनाते हुए अर्पित बोले- मैं सुनील ग्रोवर को देखते- देखते बड़ा हुआ। ऐसे में जब उनके लिए लिखने का मौका मिला तो बेहद खुश हुआ। मैंने उनके शो कानपुर वाले खुराना में उनकी स्क्रिप्ट लिखी है, वे जमीन से जुड़े इंसान हैंं। उनसे एक बात सीखने को मिली कि किसी भी मुकाम पर पहुंच जाओ, पर जमीन से हमेशा जुड़े रहना चाहिए।