तहसील मुख्यालय मैनपुर आदिवासी समाज द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित कर बस्तर भूमकाल के महानायक अमर शहीद वीर गुंडाधुर को याद किया गया। उनके योगदान को बताते हुए उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान गरियाबंद जिला पंचायत के सभापति लोकेश्वरी नेताम ने कहा महानायक अमर शहीद वीर गुंडाधुर के नाम से अंग्रेज शासक का रूह कांप उठता था।
शहीद गुंडाधुर को सर्वमान्य नेता माना जाता है 35 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ ऐसी लड़ाई छेड़ी की अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिये थे। हालत तो ये हो चली की अंग्रेजों को कुछ समय छिपने के लिए जंगलों में गुफाओं का सहारा लेना पड़ा था। नेताम ने आगे कहा आदिवासी समाज के ऐसे महान क्रांतिकारी को आज याद कर समाज उनके योगदान को नहीं भूल पायेगा, आने वाले पीढ़ी और युवाओं को उनके जीवन से सीखने की जरूरत है, आदिवासी युवा नेता रामकृष्ण ध्रुव ने कहा अंग्रेजों के द्वारा जल जंगल एवं जमीन की सुरक्षा और मूल निवासियों के ऊपर हो रहे शोषण अत्याचार के खिलाफ सन् 1910 बस्तर भूमकाल के महानायक गुंडाधुर द्वारा विद्रोह का शंखनाद कर अंग्रेजों का होश उड़ा दिये थे, इस वीर सपूत की वीरता को याद करते हुए प्रत्येक वर्ष 10 फरवरी को दिवस के रूप में मनाते हैं।
इस मौके प्रमुख रूप से आदिवासी नेता खेदू नेगी, अध्यक्ष नैनसिंग नेताम, अमृत लाल नागेश, टीकम कपील, महेन्द्र नेताम, नोकेलाल ध्रुव, शंकर ध्रुव, नारद, कंवलसिंग ध्रुव, गौकरण नागेश, मंशाराम, अशोक ध्रुव, विजेन्द्र नेताम, रोहन मरकाम, राकेश ठाकुर, शिशुपाल नायक, जन्मजय नेताम, बलदेव ायक, रामेश्वर ध्रुव, नंदु ध्रुव, धनेश्वर ध्रुव, ईतवारीराम ध्रुव, मालती ओटी, धनबाई नेताम, रामेश्वरी सहित बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के महिला पुरूष उपस्थित थे।
मैनपुर. वीर गुंडाधुर को याद करते आदिवासी समाज के लोग।