बिलासपुर. छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी की जमानत याचिका को मंगलवार को निचली अदालत ने खारिज कर दी। जस्टिस असलम खान ने उन्हें 15 दिन की न्यायिक रिमांड पर गोरखपुर गौरेजा जेल भेज दिया। अब वे एडीजे कोर्ट पेंड्रा में अपील करेंगे। इससे पहले, पुलिस ने जोगी को आज सुबह उनके आवास मारवाही सदन से गिरफ्तार कर लिया था। उन पर चुनावी हलफनामे में जन्म स्थान, जन्म तिथि और जाति को लेकर गलत जानकारी देने का आरोप है।
याचिका खारिज होने के बाद अमित ने कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। बहुत जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। जिन लोगों ने इस प्रकार की कार्रवाई की है, उनके ऊपर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चलाया जाएगा। माननीय न्यायालय मेरे साथ है। भूपेश बघेल बदले की भावना से काम कर रहे हैं।”
1) गौरेला थाने में दर्ज किया गया था मुकदमा
मरवाही विधानसभा के पूर्व विधायक जोगी के खिलाफ गौरेला थाने में धारा 420 का प्रकरण दर्ज किया गया था। ये मामला 2013 में मरवाही से भाजपा की प्रत्याशी रहीं समीरा पैकरा ने दर्ज कराया था। शिकायत के मुताबिक, जोगी ने शपथ पत्र में अपना जन्म स्थान और जाति गलत बताई थी। चुनाव हारने के बाद समीरा ने हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर याचिका भी दायर की थी। हाईकोर्ट ने भाजपा नेता समीरा की याचिका को खारिज किया था।
इसी साल फरवरी महीने में समीरा गौरेला थाने गईं और उन्होंने जोगी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। इसमें उन्होंने आरोप लगाया कि जोगी ने चुनाव के दौरान दिए गए शपथ पत्र में अपना जन्म वर्ष 1978 में ग्राम सारबहरा गौरेला में बताया है। जबकि उनका जन्म वर्ष 1977 में टेक्सास, अमेरिका में हुआ है।
पूर्व सीएम अजीत जोगी का कहा है कि छत्तीसगढ़ में कानून का राज नहीं है। भूपेश बघेल ने जंगलराज कायम कर रखा है। अमित के पक्ष में हाईकोर्ट का फैसला पहले ही आ चुका है। अगर भूपेश बघेल की पुलिस उस फैसले के खिलाफ जाकर अमित की गिरफ्तारी कर रही है, तो ये कोर्ट की अवमानना है।
अमित को गिरफ्तार किए जाने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि गलत काम करेंगे तो गिरफ्तार होंगे ही। देश में सबके के लिए कानून बराबर है। अगर गलतियां की हैं तो सार्वजनिक रूप से माफी मांगे, न की अपने आप को कानून की आड़ में बचाए।
बिलासपुर जिला पंचायत उपाध्यक्ष समीरा समेत मरवाही के आदिवासियों ने सोमवार को अमित की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन पर अमित ने कहा था कि समीरा और उनके वकील को इतनी सी बात समझ में क्यों नहीं आती कि अगर उन्हें हाईकोर्ट के किसी फैसले को चुनौती देनी है तो सुप्रीम कोर्ट जाएं? थाने में चीखने चिल्लाने से कुछ नहीं होगा। केवल गले में खराश और पेट में दर्द होगा।
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