वन विभाग बिलासपुर में ट्रांसफर होने से दुखी अफसर शासन के खिलाफ रणनीति तैयार कर रहे हैं। अफसरों की इस लड़ाई का खमियाजा वन्यजीव भुगत रहे हैं। कानन पेंडारी चिड़ियाघर में एक्सपर्ट डॉक्टर के नहीं होने से डेढ़ महीने में तीन वन्यजीवों की मौत हो चुकी हंै। अभी भी वहां एक्सपर्ट डॉक्टर नहीं हैं। सितंबर महीने में शासन ने 2007 से चिड़ियाघर में जमें डॉक्टर पीके चंदन का ट्रांसफर कर उन्हें नंदनवन जंगल सफारी नवा रायपुर भेज दिया था। उनकी जगह नंदनवन जंगल सफारी नवा रायपुर से जय किशोर जड़िया को बिलासपुर लाया गया था। डॉक्टर जडिया भी रायपुर में 12 साल से अपनी सेवाएं दे रहे थे। ट्रांसफर होने से दुखी डॉ. जड़िया पिछले एक महीने से छुट्टी पर चल रहे हैं। इस दौरान कानन पेंडारी चिड़ियाघर नई पशु चिकित्सक स्मित साहू के भरोसे चल रहा है। इन डेढ़ महीनों में इलाज के अभाव में दो चीतल और एक कोटरी की मौत हो चुकी है। डॉक्टर और शासन की इस लड़ाई के बीच वन्यजीव दम तोड़ रहे हैं। बता दें कि डॉ. चंदन और डाॅ. जड़िया दोनों ने रणनीति बनाई और ठान लिया कि उन्हें अपने मूल विभाग में ही वापस जाना है। उन्होंने इसके लिए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अतुल शुक्ला को चिट्ठी भी लिखी है।
पिछले साढ़े 11 साल से वन विभाग में सिर्फ तीन डॉक्टर ही थे
पिछले साढ़े 11 साल से वन विभाग छत्तीसगढ़ में वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट सिर्फ तीन डॉक्टर ही थे। हाल में 13 पशु चिकित्सकों की नियुक्ति के बाद संख्या 16 हो गई। हालांकि 13 चिकित्सक अभी नए हैं और उन्हें वाइल्ड लाइफ की ज्यादा जानकारी नहीं है। डॉ. पीके चंदन 2007 से कानन पेंडारी कानन पेंडारी चिड़ियाघर में जमें थे। वे पशु विभाग कोरबा से बिलासपुर आए थे। डॉ. जय किशोर जड़िया भी 2007 से नंदनवन जंगल सफारी नवा रायपुर को अपनी सेवाएं दे रहे थे। वर्तमान में उन्हें कानन पेंडारी चिड़ियाघर बिलासपुर भेजा है, पर वे छुट्टी पर हैं। डॉ. राकेश वर्मा भी एक्सपर्ट हैं। वे इन दिनों नंदनवन चिड़ियाघर रायपुर में पदस्थ हैं।
डॉक्टर बोले- शासन ने नियम विरुद्ध किया है ट्रांसफर
इसी साल जून महीने में छत्तीसगढ़ शासन ने 13 नये पशु चिकित्सकों को संविदा पर नियुक्त किया और प्रदेश में अलग-अलग जगह इन्हें भेज दिया। बिलासपुर को भी 4 पशु चिकित्सक मिले। 13 में से किसी भी डॉक्टर को प्रशिक्षण नहीं दिया गया। इनकी नियुक्ति के दो महीने बाद एक्सपर्ट डॉक्टरों के ट्रांसफर हो गए। इस बात से नाराज दो डॉक्टर छत्तीसगढ़ शासन के खिलाफ हो गए और अपने मूल विभाग जाने की बात पर अड़ गए। डॉ. जड़िया और डॉ. पीके चंदन का कहना है कि हमें काम करने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन हमारा ट्रांसफर नियम विरुद्ध किया गया है। हमें सिर्फ इस बात से तकलीफ है।
शासन ही करेगा निर्णय
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ अतुल शुक्ला का कहना है कि ट्रांसफर होने से दोनों डॉक्टर नाराज हैं। इसी के चलते डॉ. जड़िया ने छुट्टी भी ले ली है। दोनों डॉक्टरों ने अपने मूल विभाग जाने के लिए चिट्टी भी भेजी है। हमने उस चिट्ठी को शासन को भेज दिया है। शासन के नियम को हम कैसे बदल सकते हैं। हमारे हाथ में कुछ नहीं है। इस मामले में शासन ही निर्णय लेगा।
संविदा चिकित्सक के भरोसे चल रहा कानन
डीएफओ सत्यदेव शर्मा का कहना है कि डॉ. जड़िया पिछले एक महीने से छुट्टी पर हैं। हालांकि वे अपने मूल वेटनरी डिपार्टमेंट वापस जाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने शासन को पत्र भी लिखा है। कानन पेंडारी चिड़ियाघर के अधीक्षक विवेक चौरसिया का कहना है कि चिड़ियाघर में एक्सपर्ट डॉक्टर के नहीं होने से काम भी प्रभावित हो रहा है।
डॉक्टर छुट्टी पर कानन में हो रही वन्यजीवों की मौतें