पेंड्रा मरवाही के गांवों में भोले- भाले लोगों को राशन कार्ड से नाम काटने का भय देकर उनके घर के बाहर जबरिया नंबर प्लेट लगवाए गए हैं। इनसे भी 30 रुपए की वसूली हुई है। इनमें सरपंचों ने निजी कर्मचारियों के साथ मिलकर ये गड़बड़ी की है। उन्होंने ही ग्रामीणों से कहा है कि वे घर में नंबरिंग नहीं करवाएंगे तो उनके नाम मतदाता कार्ड से कट जाएंगे। यही वजह है कि यह गड़बड़ी निरंतर जारी है।
दैनिक भास्कर ने खबर में बताया था कि शहर और गांवों में प्रत्येक घर से यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर लगाने के नाम पर लोगों से पैसे वसूले जा रहे हैं। सरकारी योजना का हवाला देकर निजी संस्था के कर्मचारी उनसे 30-30 रुपए ले रहे हैं। कई जगह इस बात को लेकर विवाद भी हो रहा है। इसमंे तखतपुर जनपद पंचायत सीईओ ने सभी सरपंचों को इस बात के निर्देश दिए हैं कि नंबर प्लेट की कीमत 30 रुपए निर्धारित है। इसलिए वे गांवों में पंचायत के पैसे नहीं बल्कि आम लोगों के पैसों से इसे लगवाएं। इसी आदेश को दिखाकर नंबर प्लेट लगाने वाले कर्मचारी जबरिया लोगांे के घरों के बाहर इसे लगवा रहे हैं। इनमें कृष्ण कुमार उजागर, भनेश साहू, राजेंद्र उजागर, कृष्णा वस्त्रकार के घराें में इसे लगवाया गया है। तेलियापुरान क्षेत्र में सरकारी आदेश का हवाला देकर लगाया है इसलिए प्रत्येक घर के बाहर यह देखा जा सकता है। इसकी शिकायत भी अफसरांे को की गई है। लोगों का आरोप है कि कमीशन के फेर में अफसर ये गलत काम कर रहे हैं। किसी भी ऐसी संस्था इसका काम सौंप दिया जाता है। मामले में जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल ने कोई एक्शन नहीं लिया है। इसके कारण ही उनकी भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई है।
जिला पंचायत सीईओ को सब पता, पूछताछ तक नहीं कर रहे
पैसे वसूलने के बाद ग्रामीणों को दी गई रसीद।
इसके लिए सरपंचों ने गांव में कराई मुनादी
मरवाही ब्लॉक के निमधा में रहने वाले प्रशांत डेनियल ने बताया कि घरों में नंबर प्लेट लगाने के नाम पर पहले गांव में मुनादी कराई गई। एक घर में तीन लोग हैं और तीन मकान। तो तीनों को अलग-अलग नंबर प्लेट लगाने के लिए प्रेरित किया गया। ऐसा सिर्फ निमधा नहीं नहीं बल्कि धरहर और बधौरी में भी किया गया है। इसके चलते लोगों को खूब दिक्कतेें हुई हैं। इसकी शिकायत भी करवाई गई है। इसकी ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया है।
सबकुछ जानने के बाद पूछा तक नहीं जिला पंचायत सीईओ ने अफसरों से
ऐसा नहीं है कि इस पूरे मामले की जानकारी जिला पंचायत सीईओ रितेश अग्रवाल को नहीं है। उन्हें उनके मोबाइल नंबर पर इसमें आदेश की प्रति भेजी गई थी। बताया गया था कि गांव वाले लगातार इस बात की शिकायत कर रहे हैं। फिर भी उन्होंने तखतपुर जिला पंचायत सदस्य हिमांशु गुप्ता से इस बारे में पूछा तक नहीं है। दोनों ही अधिकारी जवाब देने से कतराने लगे हैं। समझा जा सकता है कि गड़बड़ी करने वाले कर्मचारियों पर अफसर कितने मेहरबान हैं।