दंतेवाड़ा. नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने के मामले में सीएएफ जवान राजू कुजूर और उसके मित्र मिट्टे नेताम की गिरफ्तारी मंगलवार को दंतेवाड़ा पुलिस ने की।
एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने इस मामले में न केवल जवान को पकड़ा, बल्कि छिपाए हथियारों को भी निकलवाया। इस घटना को करीब से जानने भास्कर की टीम बुधवार को कासोली के सीएएफ कैम्प पहुंची। यहां जवानों में आरोपी राजू के प्रति जबरदस्त रोष था। साथी जवानों का कहना है कि हमारा भाई ही नक्सलियों का सहयोगी निकला। देश से गद्दारी करने वालों को गोली मार देनी चाहिए या फांसी की सजा मिलनी चाहिए।
जवानों ने बताया कि राजू शुरू से संदिग्ध रहा है। उसने कम्पनी कमांडर के 20 हजार रुपए चुराए थे और कई जवानों से उधार पैसे लिए थे। साथी जवानों से नक्सलियों के बारे में बात करता था, अक्सर पक्ष में बोलता था। वह अक्सर कहता था नक्सलियों से मिलकर आया हूं, लेकिन पुख्ता सबूत नहीं होने से हम किसी से कुछ कहने से बचते रहे। बाकी जवानों से थोड़ा अलग था, वह कैंप में हमेशा बिंदास रहता था और उसके हाव भाव से नहीं लगता था कि वह गद्दार होगा।
नक्सलियों को हथियार सप्लाई करने की साजिश में गद्दारी करने वालों की संख्या अधिक हो सकती है। इतने बड़े पैमाने पर हथियार-गोलियां गायब करना एक जवान के बस की बात नहीं है। दंतेवाड़ा के कासोली कैंप के कांस्टेबल राजू कुजूर का नक्सली कनेक्शन उजागर होने के बाद अफसरों का ऐसा ही मानना है।
अफसर दूसरे कैंपों के जवानों की संलिप्त होने आैर शहरों में सक्रिय स्लीपर मॉड्यूल के नजरिये से भी इस मामले को देख रहे हैं। इसके अलावा 2009 से इस कैंप में तैनात राजू ने किसी मुठभेड़ में हिस्सा नहीं लिया था। ऐसे में गोलियाें की इतनी बड़ी हेरफेर अकेले वह नहीं कर सकता था। दंतेवाड़ा एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि जवान कुजूर खुद गोलियां न चुराकर दूसरे लोगों से गोलियां हासिल करता हो। उसने अपने साथ कई जवानों को जोड़ लिया हो।
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