श्रीलंका-मलेशिया में तबाही मचा चुकी ‘आर्मी’ पहुंची,10% मक्का फसल चट

4 वर्ष पहले
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  • जिले के दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर, चारामा, नरहरपुर में है इसका खतरा

रूपेश साहू|कांकेर . तीन साल पहले जिस कीट ने श्रीलंका और मलेशिया में तबाही मचाई थी वह कांकेर जिले में पहुंच चुका है। यह कीट पहली बार कांकेर जिले में पहुंचा है और तेजी से फैल रहा है। यह कीट दिन में फसल के अंदर घुसा रहता है और शाम ढलते ही मक्के की फसल को खाकर नुकसान पहुंचाता है। कृषि विभाग के अफसर गांवों में जाकर किसानों को इस कीट के प्रकोप से बचने के उपाय बता रहे हैं। 

कांकेर जिले में 16 हजार हेक्टेयर में मक्के की फसल लगाई गई है। 15 दिनों से इस कीट का प्रकोप कांकेर में तेजी से फैल रहा है। जिले के दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर, चारामा, नरहरपुर विकासखंडों में उस कीट का प्रकोप है। कृषि विभाग के अनुसार 15 दिनों में ही यह कीट 10 प्रतिशत फसल को नुकसान पहुंचा चुका है। दुर्गूकोंदल, भानुप्रतापपुर में मक्के की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है। विदेश से पहुंचे कीट का नाम ‘फाल आर्मी वर्म’ है। वर्तमान में नमी और तापमान में उतार-चढ़ाव के कारण इसके तेजी से फैलने का खतरा बना हुआ है। इस कीट में पंख भी होते हैं जिससे से तेजी से उड़कर कहीं भी जा सकता हैं।
 

15 दिनों से ‘फाल आर्मी वर्म’ का प्रकोप कांकेर में तेजी से फैल रहा
 

सुबह फसल में छुपा रहता है, रात में खाता है पत्तियां : यह निशाचर कीट है जिसका मुख्य भोजन मक्का ही है। ये कीट सुबह मक्के के पत्तों की पोंगली में छुपे रहते है और शाम ढलते ही मक्के की पत्तियों को खाना शुरू कर देते हैं। इससे पत्तियां कटी-फटी दिखनी शुरू हो जाती है। यह कीट मक्के की फसल में मल-मूत्र भी त्याग देता है जिसके कारण भी फसल को नुकसान होता है। मक्का की एक फसल चार महीने की होती है लेकिन इन चार महीनों में यह तीन जीवन चक्र पूरा करता है। मक्के की फसल में ही मादा अंडा भी देती है।
 

नियंत्रण करने की कोशिश जारी : कृषि सहायक संचालक सूरज पंसारी ने कहा यह विदेशी कीट है जो तेजी से उड़कर एक से दूसरे स्थान पहुंचता है। मक्के की फसल को काफी तेजी से नुकसान पहुंचाता है। कई गांवों में सर्वे में प्रभाव देखा गया है। किसानों को सलाह दी जा रही है। समय पर दवा छिड़काव करने पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
 

3 वर्ष पहले श्रीलंका व मलेशिया में था प्रकोप : तीन वर्ष पहले श्रीलंका, मलेशिया से इस कीट ने तबाही मचाई थी। गत वर्ष कर्नाटक, तमिलनाडु में इस कीट का प्रकोप था। यही नहीं, गत वर्ष जगदलपुर, कोंडागांव में भी इस कीट ने मक्का फसल को नुकसान पहुंचाया था और इस वर्ष यह कीट कांकेर पहुंच चुका है। ‘फाल आर्मी वर्म’ कीट में पंख रहते हैं जो तेजी उड़कर लंबी दूरी तय कर लेते हैं।
 

और इधर नगरनार में 2000 एकड़ फसल बर्बाद, नहीं मिला मुआवजा : जगदलपुर | बस्तर में लगातार हो रही बारिश के बाद अब मौसम साफ होने से नुकसान का आंकलन बढ़ता ही जा रहा है। शनिवार को नगरनार इलाके के कस्तूरी, भेजापदर, धनपुंजी, उपनपाल, करनपुर, भालुगुड़ा, कलचा, झरनीगुड़ा और तुरेनार गांव के सैकड़ों किसानों ने सीएम भूपेश बघेल को ज्ञापन सौंपकर बताया कि उनके गांव इंद्रावती नदी के किनारे बसे हुए हैं। इस बारिश के सीजन में इंद्रावती तीन बार उफान पर आई और पानी उनके खेतों में जा घुसा। इससे इलाके के दो हजार एकड़ से ज्यादा की फसल खराब हो गई है और अब तक मुआवजा या राहत जैसी बात प्रशासन की ओर से नहीं मिली है।