ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की एक्सपर्ट कमेटी ने मंगलवार को एक अहम मीटिंग की है। इसमें भारत बायोटेक कंपनी की नेजल वैक्सीन (नाक के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन) को बूस्टर डोज के तौर पर मंजूरी देने पर विचार किया गया। मीटिंग के बाद कमेटी ने वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल को मंजूरी दी है। माना जा रहा है कि ट्रॉयल के बाद नेजल वैक्सीन को कोरोना बूस्टर डोज के तौर पर इमरजेंसी यूज की अनुमति मिल सकती है।
कंपनी ने इसके लिए सरकार से मंजूरी मांगी है। भारत बायोटेक का कहना है कि दो डोज लगवा चुके लोगों को अगर बूस्टर डोज दिया जाता है तो उसकी नेजल वैक्सीन अच्छा विकल्प साबित हो सकती है।
विकल्प क्या है
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत बायोटेक ने सरकार को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह उन लोगों के लिए कारगर साबित हो सकती है, जिन्होंने कोवैक्सिन या कोविशील्ड के दोनों डोज लगवा लिए हैं। कंपनी इसके लिए पांच हजार लोगों पर क्लीनिक ट्रायल करना चाहती है। दूसरे डोज और बूस्टर डोज के बीच 6 महीने का अंतर होना जरूरी है। सूत्रों के मुताबिक, नेजल बूस्टर डोज को क्लीनिकल ट्रायल्स के बाद मार्च तक इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है।
कोविड के खिलाफ भारत की तैयारी
सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोवोवैक्स, कोर्वीवैक्स और एंटी कोविड पिल मोल्नुपिराविर को पहले ही मंजूरी दे दी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने पिछले महीने एक ट्वीट में कहा था- भारत को बधाई। हम कोविड के खिलाफ जंग में आगे बढ़ रहे हैं। भारत सरकार ने दो वैक्सीन और एक टैबलेट को मंजूरी दे दी है। ये हैं- कोवोवैक्स, कोर्वीवैक्स और एंटी कोविड पिल मोल्नुपिराविर। कोर्वीवैक्स वैक्सीन भारत की पहली RBD प्रोटीन सब यूनिट वैक्सीन है। इसे हैदराबाद की कंपनी बायोलॉजिकल E ने तैयार की है। यह भारत में बनी तीसरी वैक्सीन है।
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