कोरोनावायरस के कारण अमेरिका में बेरोजगारी की दर अप्रैल में बढ़कर 14.7 फीसदी पर पहुंच गई। यह 1933 की महामंदी के बाद सबसे खराब आंकड़ा है। श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वायरस को फैलने से रोकने के लिए कारोबारी गतिविधियों पर रोक लगाए जाने के कारण अमेरिका में अप्रैल में 2.05 लोग बेरोजगार हो गए हैं। करीब एक दशक में अमेरिका में जितना रोजगार बढ़ा था, वह सब सिर्फ एक महीने में बर्बाद हो गया। इससे पहले अगस्त 1932 में बेरोजगारी की दर 25.5 फीसदी दर्ज की गई थी। बेरोजगारी की ताजा दर 2007-09 के संकट के दिनों में दर्ज की गई बेरोजगारी दर के मुकाबले करीब दोगुनी है।
3.5 % बेरोजगारी दर के स्तर पर फिर से आने में अमेरिका को लगेंगे कई साल
मार्च और अप्रैल के दौरान अमेरिका के राष्ट्र्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कई प्रांतीय व स्थानीय नेताओं ने लॉकडाउन के कदम उठाए थे, ताकि नए कोरोनावायरस (कोविड-19) को फैलने से रोका जा सके। इसके कारण कंपनियों ने अचानक लाखों लोगों को नौकरी से निकाल दिया। विश्लेषकों का अनुमान है कि फरवरी 2020 की 3.5 फीसदी बेरोजगारी दर के स्तर पर फिर से आने में अमेरिका को कई साल लग सकते हैं। ट्रंप ने शुक्रवार को एक साक्षात्कार में कहा कि अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होगा। जल्द ही सबको नौकरी मिल जाएगी।
2021 में भी बेरोजगारी की दर करीब 10 फीसदी रहने की आशंका
अमेरिका के विभिन्न प्रांतों के गवर्नर इस बात पर बहस कर रहे हैं कि उनके प्रांत की अर्थव्यवस्था को कब से खोला जाए। माना जा रहा है कि जल्दी अर्थव्यवस्था को खोल देने से लोगों को नौकरी मिलनी शुरू हो जाएगी। लेकिन बेरोजगारी का स्तर इतना व्यापक है कि सभी कर्मचारियों के तुरंत वापस काम पर आ जाने की उम्मीद नहीं की जा सकती है। स्टीफेल के मुख्य अर्थशास्त्री लिंडसे पिग्जा ने कहा कि 2021 में भी बेरोजगारी की दर करीब 10 फीसदी रह सकती है।
भोजन के लिए लाखों लोग फूड बैंक्स पर हुए आश्रित
अचानक बेरोजगारी बढ़ने से लाखों लोग भोजन के लिए फूड बैंक्स पर आश्रित हो गए हैं और पहली बार सरकारी सहायता की मांग कर रहे हैं। कई लाख लोगों ने किराया देना बंद कर दिया है। कइयो का स्वास्थ्य बीमा बंद हो गया है और कई लाख लोग घर बेचने के लिए मजबूर हो गए हैं।
आतिथ्य उद्योग में 77 लाख लोग बेरोजगार हुए
बेरोजगारी की शुरुआत आतिथ्य सेक्टर से हुई। आतिथ्य सेक्टर में अप्रैल में 77 लाख लोग बेरोजगार हुए। अन्य उद्योग भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। रिटेल सेक्टर में 21 लाख लोगों की नौकरी चली गई। मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में 13 लाख लोग बेरोजगार हुए। व्हाइट कॉलर श्रमिक और सरकार कर्मचारियों को भी बेरोजगारी का सामना करना पड़ा। इस तरह की कंपनियों ने 21 लाख लोगों को नौकरी से निकाल दिया है। प्रांतीय और स्थानीय सरकारों ने करीब 10 लाख को नौकरी से हटा दिया है। आने वाले समय में सरकारी क्षेत्र में और नौकरियां जा सकती हैं, क्योंकि अधिकारियों को बजट में कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में भी पिछले महीने 14 लाख कर्मचारी बेरोजगार हो गए।
अर्थशास्त्रियों के मुताबिक वास्तविक बेरोजगारी सरकारी आंकड़े से अधिक है
अप्रैल की बेरोजगारी का आंकड़ा हालांकि भयावह है, लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सरकारी आंकड़ा वास्तविकता से काफी कम है। श्रम मंत्रालय ने कहा कि जिन कर्मचारियों ने कहा है कि वे किसी अन्य वजह से काम पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, यदि उन्हें भी बेरोजगार मान लिया जाए, तो बेरोजगारी की दर करीब 20 फीसदी है।
महिलाओं में बेरोजगारी की दर पुरुषों के मुकाबले 3 फीसदी अंक ज्यादा
इतना स्पष्ट है कि हस्पैनिक्स, अफ्रीकन-अमेरिकन और रेस्तरां व रिटेल सेक्टरों में कम मजदूरी पर काम करने वाले लोग बेरोजगारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। हस्पैनिक समुदाय में बेरोजगारी की दर अप्रैल में बढ़कर 18.9 फीसदी पर पहुंच गई। अफ्रीकी-अमेरिकी समुदायर में यह दर 16.7 फीसदी रही। श्वेत लोगों में बेरोजगारी की दर 14.2 फीसदी दर्ज की गई। महिला वर्ग में बेरोजगारी की दर पुरुषों की बेरोजगारी के मुकाबले करीब 3 फीसदी अंक ज्यादा है।
कम शिक्षितों में रिकॉर्ड 21.2 फीसदी बेरोजगारी
उच्च शिक्षित सफेद कॉलर श्रमिक तो घर से काम कर रहे हैं, लेकिन कम मजदूरी वाले लोगों के पास यह सुविधा नहीं है। जिन श्रमिकों के पास हाई स्कूल से नीचे की डिग्री है, उनमें बेरोजगारी की दर 21.2 फीसदी पर पहुंच गई। यह दर महामंदी के बाद दर्ज की गई दर से भी ज्यादा है। अमेरिकी कांग्रेस ने करीब 3 लाख करोड़ डॉलर की राहत योजना को मंजूरी दी है, लेकिन इसका लाभ बहुत लोगों तक नहीं पहुंच पाया है। वेबसाइट के फेल होने और टेलीफोन लाइन व्यस्त होने से लाखों लोग बेरोजगारी भत्ता हासिल नहीं कर पा रहे हैं।
अर्थव्यवस्था में तुरंत तेजी नहीं आने वाली
विशेषज्ञों के बीच आम सहमति बन रही है कि अर्थव्यवस्था में तुरंत तेजी नहीं आने वाली है। रिचमोंड के फेडरल रिजर्व के प्रेसिडेंट थोमस बार्किन ने गुरुवार को कहा कि तेज गिरावट के बाद तेज उछाल वाली स्थिति नहीं है। यह तेज गिरावट और धीमे-धीमे उछाल वाली स्थिति है। डार्टमाउथ में इकॉनोमिक्स के प्रोफेसर डैनी ब्लैंशफ्लावर ने कहा कि यह बहुत बड़ी विभीषिका है। जब पहाड़ी की ऊंचाई से कुछ गिरता है, तो तुरंत नहीं संभलता है।
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