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भास्कर एक्सप्लेनर:आज से लगेगा कोरोना वैक्सीन का दूसरा डोज; 28वें दिन दूसरा डोज नहीं लगाया तो क्या होगा? जानिए एक्सपर्ट क्या कहते हैं
- दो डोज में कितना अंतर रखा जाए, इस पर दुनियाभर में चल रही है स्टडी
- ब्रिटेन में कोवीशील्ड के दो डोज में 12 हफ्ते तक का अंतर रखने की सलाह
भारत में कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन 16 जनवरी को शुरू हुआ था। सरकार ने कहा है कि जिन लोगों को वैक्सीन का पहला डोज 16 जनवरी को लगा था, उन्हें दूसरा डोज 13 फरवरी को लगाया जाएगा। अब इस पर कई सवाल उठ रहे हैं कि यह दूसरा डोज किस वैक्सीन का लगेगा? अगर 28वें दिन दूसरा डोज नहीं ले सके तो क्या होगा? क्या देरी की वजह से वैक्सीन का असर कम हो जाएगा?
इन प्रश्नों पर हेल्थ मिनिस्ट्री की गाइडलाइन (FAQs), दोनों वैक्सीन कंपनियों की ओर से जारी फैक्ट शीट और सरकार क्या कहती है, हम यहां बताएंगे। यह भी बताएंगे कि दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन के दूसरे डोज में अंतर पर क्या बहस छिड़ी है। हमने कुछ विशेषज्ञों से भी जानने की कोशिश की है कि वे इस मसले पर क्या कहते हैं?
दूसरे डोज पर क्या कहती है सरकारी गाइडलाइन?
- केंद्र सरकार ने वैक्सीनेशन शुरू करने से पहले FAQs जारी किए थे। इसमें कहा था कि दो डोज में 28 दिन का अंतर रहेगा। जिस वैक्सीन का पहला डोज दिया है, उसका ही दूसरा डोज भी दिया जाएगा। यानी अगर पहला डोज कोवीशील्ड का लगा है तो दूसरा भी उसका ही होगा। दूसरे डोज के 14 दिन बाद ही वैक्सीन का असर शुरू होगा।
- कोवैक्सिन बनाने वाली भारत बायोटेक और कोवीशील्ड बनाने वाली सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की फैक्टशीट्स भी कहती हैं कि दोनों डोज में 28 दिन का अंतर रखा जाए। सरकार का कहना है कि इस स्ट्रैटजी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। यानी भारत में 28 दिन के अंतर से ही दूसरा डोज दिया जा रहा है।
- केंद्र सरकार ने राज्यों से कहा है कि 25 फरवरी से पहले सभी हेल्थकेयर वर्कर्स को कम से कम एक डोज मिल जाना चाहिए। इसी तरह सभी फ्रंटलाइन वर्कर्स को 1 मार्च से पहले कम से कम एक डोज देने का टारगेट है।
दूसरा डोज 28वें दिन नहीं लगा तो क्या होगा?
- मुंबई में जसलोक हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर में इंफेक्शियस डिजीज डिपार्टमेंट की कंसल्टेंट डॉ. माला वी. कानेरिया का कहना है कि जिस वैक्सीन के दो डोज जरूरी होते हैं, उनमें आम तौर पर चार दिन का ग्रेस पीरियड रहता है। यानी निर्धारित तारीख से चार दिन ज्यादा भी हो जाएं तो दिक्कत नहीं।
- सरकार का कहना है कि 1 करोड़ हेल्थकेयर और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स के वैक्सीनेशन के बाद 27 करोड़ बुजुर्गों और रिस्क ज़ोन में आ रहे अन्य लोगों को वैक्सीनेट करना है। उम्मीद है कि मार्च में बड़ा और तीसरा फेज शुरू होगा। अब अगर कोई हेल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर दूसरा डोज लगाने के लिए आगे नहीं आता है तो वह खुद को खतरे में डालेगा।
क्या दुनियाभर में वैक्सीन के दो डोज में 28 दिन का अंतर रखा जा रहा है?
- नहीं। ऐसा नहीं है। दुनियाभर में अलग-अलग देशों में अलग-अलग स्ट्रैटजी अपनाई गई है। ब्रिटेन में दो डोज के बीच 12 हफ्ते तक का अंतर रखा जा रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को कम से कम एक डोज मिल जाए। वहीं, अमेरिका में सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (CDC) ने अधिकतम 6 हफ्ते तक का अंतर रखने की बात कही है।
- दरअसल, पूरी दुनिया में ही डोज के अंतर पर स्टडी चल रही है। डॉ. कानेरिया का कहना है कि नए डेटा के अनुसार कोवीशील्ड के सिंगल स्टैंडर्ड डोज की इफेक्टिवनेस 90वें दिन तक 76% रहती है। प्रोटेक्टिव एंटीबॉडी लेवल्स भी मेंटेन रहते हैं। दूसरा डोज छह हफ्ते के भीतर दिया गया तो इफेक्टिवनेस 54.9% थी, जो 12 हफ्ते के अंतर में बढ़कर 82% हो गई।
- उनका कहना है कि कोरोना के खिलाफ ज्यादा से ज्यादा लोगों को प्रोटेक्शन देना जरूरी है। वैक्सीन की सीमित सप्लाई हो रही है। ऐसे में ब्रिटिश स्ट्रैटजी अच्छी है, जहां डोज में 12 हफ्ते तक का अंतर रखा जा रहा है। साथ ही प्रोटेक्शन का लेवल भी बढ़ रहा है।
जब पहला डोज प्रोटेक्शन देता है, तो दूसरा डोज लगाने की जरूरत क्या है?
- वैक्सीन एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना के खिलाफ ज्यादातर वैक्सीन दो डोज को ध्यान रखते हुए ही डिजाइन की गई हैं। पहला डोज आपके शरीर को ट्रेन करता है कि वह वायरस के हमले को कैसे पहचाने? साथ ही इम्यून सिस्टम को तैयार करे। यह इम्यून सिस्टम ही बीमारियों के खिलाफ शरीर का डिफेंस सिस्टम होता है। दूसरे डोज को बूस्टर शॉट कहते हैं। यह इम्यून सिस्टम को बढ़ाता है। इस वजह से दोनों डोज लेना जरूरी है।