इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल (आईसीएमआर) रिसर्च की नई गाइडलाइन के मुताबिक, अब मरने वाले कोरोना संदिग्ध को मर्च्युरी में भेजने से पहले जांच की जाएगी। नाक से सैम्पल लिया जाएगा और रिपोर्ट आने के बाद ही बॉडी जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी। आईसीएमआर ने अपनी 'स्टैंडर्ड गाइडलाइन फॉर मेडिको लीगल अटॉप्सी इन कोविड-19 डेथ इन इंडिया' में कहा है कि प्रक्रिया पूरी होने और रिपोर्ट आने तक मर्च्युरी से बॉडी नहीं रिलीज की जाएगी।
सामान्य डेड बॉडी को भी संदिग्ध की प्रक्रिया से गुजरना होगा
गाइडलाइन के मुताबिक, सभी कोरोना संदिग्धों की मौत के बाद इमरजेंसी वॉर्ड में ही नाक का सैम्पल लेकर उसे पीसीआर टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। अन्य सामान्य मरीजों की मौत के बाद रिपोर्ट निगेटिव आने पर इनकी बॉडी को उसी प्रक्रिया से गुजरना होगा जो कोरोना संदिग्धों के लिए अपनाई गई है।
गाइडलाइन की 6 बड़ी बातें
गाइडलाइन में कहा गया है झूठे निगेटिव मामले सामान्य तौर पर देखे जा रहे हैं इसलिए ऐसे मरीज जिनकी महामारी से जुड़ी हिस्ट्री नहीं है उनकी बॉडी भी नई नियमों के मुताबिक, एक तय प्रक्रिया के बाद ही सम्बंधित जिम्मेदार इंसान को सौंपी जाएगी।
डेड बॉडी के पास दो से अधिक फैमिली मेम्बर नहीं रुक सकते, इस दौरान उन्हें मृत शरीर से 1 मीटर की दूरी बनाकर रखनी होगी। प्लास्टिक बैग को खोले बिना ही उसे देखकर बॉडी पहचानना होगा।
गाइडलाइन का पालन कराने के लिए मॉनिटरिंग एजेंसी से जुड़े लोग देह संस्कार के समय मौजूद रहेंगे। इस दौरान मृतक के 5 अधिक परिजनों को मौजूद रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
जो बॉडी दफनाई जा रही हैं वहां प्रक्रिया पूरी होने के बाद ऊपरी हिस्से को सीमेंट से पैक किया जाएगा। कब्र 6 से 8 फीट की खोदी जाएगी। जहां तक सम्भव होगा देह संस्कार की प्रक्रिया इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में पूरी की जाएगी ताकि बॉडी के रख-रखाव को कम किया जा सके।
ऐसे धर्म जहां मौत के बाद बॉडी को नहलाने, चूमने और गले लगाने की परम्परा है, इस पर प्रतिबंध रहेगा। देह संस्कार के बाद शरीर की राख रखने की अनुमति हैं क्योंकि इससे किसी तरह का खतरा नहीं है।
कोविड-19 के मरीज की अटॉप्सी या बॉडी सौंपते समय उसमें से कोई तरल पदार्थ या कोई हिस्सा बाहर लगा दिखता है तो उसे तुरंत धोया जाएगा। या 70 फीसदी अल्कोहल वाले डिसइंफेक्टेंट से साफ किया जाएगा। मरीज के कपड़ों और बाकी चीजों को डिस्पोज किया जाएगा।
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