22 दिसंबर, 24 दिसंबर और 3 जनवरी। पिछले दो हफ्ते के दौरान भारत में 3 रूसी नागरिकों की मौत हुई है। दो शख्स ओडिशा के साईं इंटरनेशनल होटल और एक पारादीप बंदरगाह पर खड़े जहाज में मृत मिला। थोड़ी रिसर्च से पता चला कि पिछले एक साल में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में कम से कम 24 रूसी हस्तियों की मौत हुई है।
इनमें 6 बिल्डिंग की खिड़की से गिर गए, 5 ने फांसी लगा ली, 4 ने खुद को गोली मार ली और 4 हार्ट अटैक से मर गए। बाकी 5 की मौत भी संदिग्ध परिस्थितियों में हुई। मरने वालों में मिलिट्री लीडर्स, तेल और गैस के अरबपति ओलिगार्क, टॉप बिजनेस एग्जीक्यूटिव और बड़े अधिकारी शामिल हैं।
बारी-बारी से देखिए मरने वालों की प्रोफाइल और मौत का पैटर्न और आखिर में जानेंगे कि इसके पीछे कौन हो सकता है...
2 साल पहले भी रूस में दिखा था ऐसी ही संदिग्ध मौतों का ट्रेंड
6 मई 2020 को Vox में एक रिपोर्ट पब्लिश हुई। इसका शीर्षक था- 'रूसी कोरोना वायरस डॉक्टर रहस्यमय तरीके से खिड़कियों से बाहर क्यों गिर रहे हैं?' इस रिपोर्ट में कोरोना वायरस के दौरान बड़े डॉक्टर्स की संदिग्ध मौतों को लिस्ट किया गया था। उस वक्त भी मौत का ट्रेंड यही था, जिसमें मौत की परिस्थितियां असमान्य थीं और हत्या के कोई सबूत नहीं थे। रूस में पिछले दो दशकों से एक ट्रेंड है। पुतिन के आलोचकों की संदिग्ध मौत के केस में सघन छानबीन नहीं की जाती, ताकि कोई पुख्ता सबूत न मिलें।
क्या ये सारी मौतें एक-दूसरे से जुड़ी हैं और इनके पीछे किसी का हाथ है?
पिछले 1 साल में हुई इन 24 मौतों में दो बात कॉमन है। पहली, ये सभी रूसी सोसाइटी में एलीट स्टेटस वाले लोग हैं। दूसरी, ये लोग पुतिन के बेहद करीबी रहे या यूक्रेन पर रूसी हमले के विरोधी रहे।
ऐसी मौतों की संख्या ज्यादा है, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि ये सब एक-दूसरे से जुड़ी ही हों या इसके पीछे किसी एक शख्स का ही हाथ हो। इनमें कुछ आत्महत्या, कुछ दुर्घटना और कुछ हत्याएं भी हो सकती हैं।
इसे मानने के पीछे मजबूत आधार भी हैं। WHO के मुताबिक रूस दुनिया का तीसरा सबसे ज्यादा सुसाइड रेट वाला देश है। रूसी एक्सपर्ट और प्रोफेसर पीटर रुटलैंड के मुताबिक जंग की वजह से रूसी बिजनेस कम्युनिटी भारी दबाव में है। उन पर प्रतिबंध लगे हैं, संपत्तियां फ्रीज हैं और शेयर सीज कर लिए गए हैं। ये उस कम्युनिटी के लिए बहुत तनाव वाला वक्त है।
हालांकि ऐसी मौतों के एक्सप्लेनेशन में एक मजबूत कॉन्सपिरेसी थ्योरी तैर रही है कि इनके पीछे रूसी राष्ट्रपति पुतिन का हाथ है...
रूसी क्रिटिक बिल ब्राउडर के मुताबिक, 'जब एक इंडस्ट्री के लोग इस तरह से मरते हैं तो मुझे लगता है कि ये मर्डर की महामारी है। साफ तौर पर दिख रहा है कि ये रूसी सत्ता के इशारे पर हो रहा है।'
सवाल उठता है कि पुतिन ऐसा क्यों करवाएंगे? ब्राउडर कहते हैं कि यूक्रेन पर हमले के बाद सरकार को फंड की जरूरत है। इसे पाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि जो इनकार कर रहा है उसे मार दो। जो उसकी जगह लेगा, वो फिर ये हिम्मत नहीं कर पाएगा।
ग्राफिक्सः हर्षराज साहनी, अंकित द्विवेदी
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