वह सीट तक आया, जिप खोली और पेशाब करने लगा:एअर इंडिया नियम से एक्शन लेता तो क्या सजा मिलती; 6 सवालों में सबकुछ

5 महीने पहले
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न्यूयॉर्क-दिल्ली फ्लाइट में महिला पर पेशाब करने वाले शख्स को एअर इंडिया स्टाफ ने पीड़ित महिला से फिर मिलवाया था, ताकि वो माफी मांगकर गिरफ्तारी से बच जाए। 4 जनवरी को दर्ज FIR के साथ अटैच लेटर में महिला को हुए इस एक्सपीरियंस का खुलासा हुआ है। महिला की चिट्ठी में ऐसी कई बातें हैं जिससे एअर इंडिया स्टाफ पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

पहले जानिए पीड़ित महिला के साथ क्या हुआ, फिर बताएंगे कि एअर इंडिया ने इस मामले में कहां-कहां गलती की और अगर सब कुछ नियम से हुआ होता तो दोषी शख्स को क्या सजा मिलती?

क्या है पूरा मामला…
26 नवंबर 2022 की बात है। एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर 102 न्यूयॉर्क से दिल्ली के लिए रवाना हुई। इसमें एक शख्स ने शराब के नशे में पैंट की जिप खोलकर बिजनेस क्लास में बैठी एक महिला पर पेशाब कर दी। इस दौरान महिला ने रोकने की कोशिश की, लेकिन वो अपना प्राइवेट पार्ट निकालकर वहीं खड़ा रहा।

वहां बैठे पैसेंजर ने भी शख्स को पेशाब करते देखा। वह आदमी तब तक वहां से नहीं हिला, जब तक कि दूसरे पैसेंजर ने उसे जाने के लिए नहीं कहा। महिला ने क्रू से बताया कि उसके कपड़े, जूते और बैग पेशाब में भीग गए हैं, तो क्रू मेम्बर ने उन्हें कपड़े और चप्पलें देकर अपनी सीट पर बैठने के लिए कह दिया। महिला ने उस सीट पर बैठने से इनकार किया, तब जाकर नॉर्मल क्लास में उसे सीट दी गई।

महिला का दावा है, ‘मैंने फौरन शख्स की गिरफ्तारी की मांग की, लेकिन क्रू ने कहा कि वो माफी मांगना चाहता है। इसके बाद उस शख्स को दोबारा मेरे सामने पेश कर दिया गया, जबकि मैं साफ कह रही थी कि उसे देखना तक नहीं चाहती। वो रोने लगा, माफी मांगी और मुझसे पुलिस कम्प्लेन फाइल न करने को कहा। मैं परेशान हो चुकी थी इसलिए गिरफ्तारी पर जोर नहीं दिया।’

बाद में महिला ने टाटा ग्रुप के चेयरमैन से शिकायत की, तब मामला एक बार फिर हाईलाइट हो गया।

एअर इंडिया ने कहा कि महिला से मिली शिकायत के आधार पर विमान लैंड करने के बाद दोनों पार्टी में लिखित सुलह हुई थी। इसके बाद ही आरोपी शख्स को जाने दिया गया था। एक इंटरनल कमेटी बनाई गई थी, जिसकी सिफारिश पर शख्स के 30 दिन तक सफर पर बैन लगा दिया गया है।

दिल्ली पुलिस ने कहा कि एअर इंडिया की तरफ से उसे शिकायत 28 दिसंबर 2022 को मिली थी। 4 जनवरी 2023 को महिला से बात करके पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि ऐसी हरकत के लिए जो भी किया गया, वो बहुत देर से और नाकाफी है। यात्री ने पैसेंजर नियमों का उल्‍लंघन किया है। यह क्राइम है। इस पूरे मामले में पायलट ऑफेंडर है, क्योंकि क्रू मेंबर उसी से निर्देश लेता है।

अब 6 सवालों में जानिए हवाई सफर में पैसेंजर्स के व्यवहार को लेकर क्या नियम हैं…

सवाल-1: शराब पीने और खराब व्यवहार को लेकर क्या हैं नियम?
जवाब
: डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन यानी DGCA सरकार की एक रेगुलेटरी बॉडी है, जो सिविल एविएशन को रेगुलेट करता है। यह मुख्य रूप से विमान हादसों और बाकी घटनाओं की जांच करता है।

DGCA इंडियन एयरक्राफ्ट रूल्स 1937 के प्रोविजन 22, 23 और 29 के तहत विमान में हुड़दंग करने, ज्यादा शराब पीने या गाली गलौज करने पर यात्रियों को यात्रा करने से रोक सकता है और उन्हें विमान से उतार सकता है।

प्रोविजन 23 कहता है कि शराब या ड्रग्स के नशे में यात्री अगर प्लेन या किसी शख्स की सुरक्षा को खतरे में डालता है, तो उसे विमान से उतारा जा सकता है।

सवाल-2 : क्या हवाई यात्रा के दौरान ये नियम विदेशों में भी लागू होंगे?
जवाब : ये नियम भारत आने वाली सभी इंटरनेशनल फ्लाइट्स पर लागू होंगे। इस केस में DGCA के सभी नियम लागू होंगे। यदि घटना विदेश में हुई हो और एयरलाइन भी विदेशी हो, तो यह नियम लागू नहीं होंगे।

सवाल-3 : विमान में शराब पीकर हुड़दंग करने के मामलों में कार्रवाई कौन करता है?
जवाब : सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विराग गुप्ता कहते हैं कि ऐसे मामलों में कार्रवाई जगह के हिसाब से तय होती है। जैसे...

  • एयरपोर्ट की घटना पर संबंधित पुलिस थाना या जिम्मेदार सुरक्षा एजेंसी।
  • एयरपोर्ट पर खड़े विमान पर DGCA ।
  • किसी देश के एयरस्पेस के भीतर संबंधित देश के कानून के आधार पर।

12 नॉटिकल मील से दूर इंटरनेशनल स्पेस में यदि विमान है, तो फिर कई देशों के कानून लागू हो सकते हैं।

  • जहां पर विमान का रजिस्ट्रेशन हुआ है
  • विमान जहां पर जा रहा है
  • पीड़ित व्यक्ति जिस देश का हो
  • आरोपी व्यक्ति जिस देश का हो
  • क्रू और स्टाफ जिस देश के हों

सवाल-4 :क्या कोई इंटरनेशनल रूल्स भी हैं?
जवाब : इंटरनेशनल मामलों में विभिन्न देशों के बीच समन्वय और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइजेशन यानी ICAO का गठन हुआ है। इसके तहत कई इंटरनेशनल ट्रीटी हुई हैं...

  • 1944 शिकागो ट्रीटी
  • 1963 टोक्यो ट्रीटी
  • 1958 जेनेवा ट्रीटी- इसके अनुसार इंटरनेशनल बॉर्डर का निर्धारण होता है।
  • 1971 मॉन्ट्रियल ट्रीटी
  • 1979 न्यूयॉर्क ट्रीटी

कुछ उदाहरण से भी इसे समझ सकते हैं। जैसे- 2013 में पाकिस्तान एयरलाइंस के पायलट ने ज्यादा शराब पी थी, लेकिन उसके खिलाफ ब्रिटेन के कानून के अनुसार कार्रवाई हुई थी। हाईजैक के मामलों में आरोपी, पीड़ित, जहाज और स्टाफ के अनुसार सभी देश अपने कानून के अनुसार कार्रवाई करने की कोशिश करते हैं और विवाद होने पर इसका फैसला इंटरनेशनल कोर्ट यानी ICJ में होता है।

भारत में 2017 में नो फ्लाई लिस्ट के तहत कार्रवाई की शुरुआत हुई, इसके लिए DGCA को रेगुलेटर बनाया गया है।

सवाल-5: क्या सरकार ऐसे पैसेंजर को हवाई यात्रा से रोक सकती है?
जवाब: सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने 2017 में नई गाइडलाइंस जारी करते हुए बार-बार दुर्व्यवहार करने वाले पैसेंजर को नो-फ्लाई लिस्ट में डालने की बात कही थी। दुनिया के कई देशों में यह सिस्टम है। इसमें बदसलूकी या हिंसा करने वाले एयर पैसेंजर्स को नो फ्लाई लिस्ट में डाल दिया जाता है।

इस लिस्ट में आने का मतलब है वो शख्स दोबारा उस एयरलाइन से ट्रैवल नहीं कर सकता है। यह बैन हमेशा के लिए या कुछ साल या महीनों के लिए हो सकता है। इसी नियम के तहत 30 दिन के लिए फिलहाल बैन लगाया है।

भारत की सिविल एविएशन मिनिस्ट्री ने बुरे बर्ताव को 3 कैटेगरी में बांटा है। इसके तहत बैन की सीमा 3 महीने से लेकर 2 साल या अनिश्चित समय के लिए भी हो सकती है।

1. गलत तरीके से इशारा करना, गाली-गलौज और शराब पीना। ऐसा करने वाले पैसेंजर पर तीन महीने का बैन लगाया जा सकता है।

2. शारीरिक रूप से अपमानजनक व्यवहार जैसे धक्का देना, लात मारना, गलत ढंग से छूना। ऐसा करने वाले यात्रियों पर 6 महीने का बैन लगाया जा सकता है।

3. प्लेन को नुकसान पहुंचाना, किसी को जान से मारने की धमकी देना और मारपीट करने जैसे अपराध शामिल हैं। ऐसा करने वाले यात्रियों पर कम से कम 2 साल या अनिश्चित समय तक के लिए बैन लगाया जा सकता है।

इसके लिए पायलट-इन-कमांड को एयरलाइन अधिकारियों से इसके बारे में शिकायत करनी होगी। फिर एक आंतरिक समिति 10 दिनों में इसकी जांच करती है। उसके बाद यात्री के व्यवहार की गंभीरता तय होती है।

जांच जारी रहने के दौरान ऐसे लोगों पर 10 दिनों के लिए बैन लगाया जा सकता है। जांच के नतीजे आने पर एयरलाइन नो-फ्लाई लिस्ट में उस शख्स को डाल सकती है।

सवाल-6 : क्या इस घटना की जांच सिविल एविएशन मिनिस्ट्री कर सकती है?
जवाब : हां, क्योंकि घटना भारत आने के दौरान विमान में हुई है और ये विमान भारत का था। ऐसे में इस मामले की जांच भारत की एविएशन मिनिस्ट्री कर सकती है। यही वजह है कि DGCA ने 2 सप्ताह में एअर इंडिया से इस मामले में जवाब मांगा है। साथ ही कहा कि बिना कोई कार्रवाई किए आरोपी को छोड़ देना एक अनप्रोफेशनल रवैया है।

अब आखिर में जानिए कि महिला पर पेशाब करने वाले शख्स को FIR के बाद किन धाराओं में कितनी सजा हो सकती है?

सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता का कहना है कि IPC की कुल 4 धाराओं और भारतीय विमान अधिनियम की धारा 23 के तहत भी केस दर्ज हुआ है।

IPC की धारा 294: पब्लिक प्लेस पर अश्लील हरकतें करना, अश्लील गाने गाना या महिलाओं को छेड़ने वाले शब्दों का इस्तेमाल करना इसके तहत अपराध है। इसके लिए 3 महीने की सजा और जुर्माना हो सकता है। बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले के अनुसार निजी या प्राइवेट स्थान पर अश्लील हरकतें करना आईपीसी के तहत अपराध नहीं माना जा सकता।

फ्लाइट में सभी यात्री यात्रा करते हैं इसलिए यह सार्वजनिक स्थान माना जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक अन्य फैसले में कहा था कि अपराध साबित करने के लिए अश्लील आचरण के साथ दूसरे को परेशान करने का भी प्रमाण होना चाहिए।

IPC की धारा 354: किसी भी महिला की लज्जा को भंग करने के लिए उस पर किया गया हमला या आपराधिक कृत्य आईपीसी की धारा 354 के तहत अपराध है। यौन उत्पीड़न के इस अपराध के लिए इसमें न्यूनतम एक साल की सजा के साथ आर्थिक दंड भी लग सकता है। यह संज्ञेय अपराध है।

IPC की धारा 509: किसी महिला की लज्जा के अनादर करने के उद्देश्य से कोई बात कहना या प्रदर्शित करना जिससे कि उस महिला की प्राइवेसी का हनन हो, इसके तहत अपराध माना जा सकता है। इसमें एक साल से 3 साल तक की सजा हो सकती है। यह जमानती और संज्ञेय अपराध है।

IPC की धारा 510: कोई व्यक्ति नशे की हालत में किसी सार्वजनिक स्थान पर गलत आचरण करे और दूसरे व्यक्ति को क्षोभ हो तो इसके लिए 24 घंटे की सजा और जुर्माना हो सकता है।

विराग ने कहा कि FIR में दर्ज धाराओं के अनुसार गिरफ्तारी और जांच होगी। ऐसे मामलों में सामान्य तौर पर जमानत मिल सकती है, लेकिन यदि सबूतों या गवाहों के साथ छेड़छाड़ की आशंका हो तो मजिस्ट्रेट जमानत देने से इनकार कर सकते हैं।

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