भारत में 4G और 5G नेटवर्क पैर पसार ही रहा है कि PM मोदी ने 6G नेटवर्क का रोडमैप लॉन्च कर दिया है। 2030 तक भारत में 6G सर्विस शुरू होने की उम्मीद है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 6G आने के बाद 1000 GB का वीडियो भी महज 1 सेकेंड में डाउनलोड हो जाएगा।
भास्कर एक्सप्लेनर में 6G की खूबियां, इससे हमारी जिंदगी में होने वाले बदलाव समेत 5 जरूरी सवालों के जवाब जानेंगे…
सवाल-1: 6G में कितनी इंटरनेट स्पीड मिलेगी? ये 5G और 4G से कितना तेज है?
जवाबः एक्सपर्ट्स का मानना है कि 6G की इंटरनेट स्पीड 5G से 100 गुना ज्यादा हो सकती है। यानी करीब 100 गीगाबाइट प्रति सेकेंड। इसे ऐसे समझें कि 6G आ जाने से नेटफ्लिक्स से 142 घंटे का कंटेंट सिर्फ 1 सेकेंड में डाउनलोड किया जा सकेगा।
जहां 5G अपने पीक पर हर सेकेंड 10 गीगाबाइट तक की स्पीड दे सकता है, वहीं 6G से उम्मीद है कि वो हर सेकेंड अल्ट्रा लो लेटेंसी के साथ 1 टेरा बाइट तक की स्पीड दे पाएगा। अल्ट्रा लो लेटेंसी का मतलब है कि कम से कम समय में ज्यादा डेटा को प्रोसेस करने की क्षमता।
इसका सीधा असर हमारे इंटरनेट इस्तेमाल करने पर पड़ेगा। ऑनलाइन मीटिंग्स से लेकर गेमिंग तक सब 6G के आने से और सटीक हो पाएंगे यानी आप रियल टाइम में सब कुछ देख और सुन पाएंगे।
सवाल-2: 6G की जरूरत क्यों है? आखिर इसके आने से क्या-क्या बदल जाएगा?
जवाबः हमारे मोबाइल इंटरनेट के लिए 5G स्पीड ही पर्याप्त है। 6G का इस्तेमाल अलग-अलग सेक्टर में बड़े बदलाव ला सकता है। नीचे हमने कुछ के बारे में बताया है…
नोकिया के CEO पेक्का लंडमार्क कहते हैं कि 6G के लागू होने के बाद दुनिया भर में स्मार्टफोन का महत्व कम जाएगा। स्मार्टफोन का इस्तेमाल जारी रहेगा, लेकिन लोग इसे नए अपडेटेड फॉर्म में यूज करने लगेंगे।
उन्होंने कहा, ‘स्मार्टफोन का इस्तेमाल भले ही होता रहेगा, लेकिन हमारे बीच ‘साइबॉर्ग’ और ‘ब्रेन कंप्यूटर’ जैसी टेक्नोलॉजी होगी। ये टेक्नोलॉजी सीधे हमारे शरीर से जुड़ी होगी।’
‘साइबॉर्ग’ का मतलब यह है कि चिप्स और दूसरी टेक्नोलॉजी को इंसान के शरीर में फिट किया जा सकता है। पेक्का दावा करते हैं कि इस टेक्नोलॉजी के जरिए इंसान के बॉडी पार्ट को किसी मशीन के जरिए रिप्लेस किया जा सकता है।
सवाल-3: भारत के अलावा दुनिया में और कितने देश 6G टेक्नोलॉजी डेवलप करने पर काम कर रहे हैं?
जवाबः भारत ने 6G विजन डॉक्यूमेंट अभी लॉन्च किया है, लेकिन दुनिया के कुछ देश ऑलरेडी इस पर काम शुरू कर चुके हैं। नीचे हम ऐसे ही कुछ देशों के बारे में बता रहे हैं…
अमेरिका: इसके लिए ‘नेक्स्ट G अलायंस’ लॉन्च किया जा चुका है। इस अलायंस में एप्पल, एटी एंड टी, क्वालकॉम, गूगल और सैमसंग जैसी कंपनियां शामिल हैं।
चीन: साल 2022 के आखिर में चीनी टेलीकॉम ने व्हाइट पेपर के माध्यम से 6G के लिए विजन जारी किया था। इस पेपर को चीन टेलीकॉम रिसर्च इंस्टीट्यूट ने लिखा था। इसके पहले चीन की एक मोबाइल कंपनी ने भी 6G को लेकर अपना आइडिया जारी किया था।
जापान: जापान में इंटीग्रेटेड ऑप्टिकल एंड वायरलेस नेटवर्क फोरम 6G के लिए ‘विजन 2030’ नाम से व्हाइट पेपर पब्लिश कर चुका है। इसके लिए जापान मिनिस्ट्री ऑफ इंटरनल अफेयर्स एंड कम्युनिकेशन ने एक गवर्नमेंट-सिविलियन रिसर्च सोसाइटी भी बनाई है।
साउथ कोरिया: मिनिस्ट्री ऑफ साइंस, इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी ने इसके रिसर्च और डेवलपमेंट का प्लान बनाया है। इसमें सरकार करीब 1200 करोड़ रुपए का निवेश कर रही है और 2028 तक लॉन्च करने की योजना है।
सवाल-4: भारत में 5G को अपनाने की रफ्तार धीमी है, फिर 6G की जरूरत क्यों?
जवाबः स्ट्रेटेजी एनालिटिक्स के मुताबिक दुनियाभर में 7 लोगों में सिर्फ एक व्यक्ति 5G का इस्तेमाल कर रहा है। अमेरिका, चीन और साउथ कोरिया जैसे देशों ने 2019 में सबसे पहले 5G सेवाएं देनी शुरू कीं। इसे शुरू हुए पांच साल भी नहीं बीते हैं। ऐसे में, सवाल उठता है कि 5G ही अभी सभी लोगों तक नहीं पहुंचा है तो 6G की बात क्यों की जा रही है?
इस सवाल के जवाब में विशेषज्ञ कहते हैं कि टेली कम्युनिकेशन नेटवर्क में स्टैंडर्ड की जरूरत पड़ती है। इसमें एक को मानक बनाकर दूसरे जेनरेशन को बेहतर करने की कोशिश की जाती है। ऐसे में, 5G आने के बाद से 6G पर चर्चा शुरू हो गई।
विशेषज्ञ इसका दूसरा कारण बताते हैं एक तकनीकी इवॉल्व होने में समय लगता है। धीरे-धीरे उसमें कमियां सामने आती रहती हैं और उसी के साथ उसे बेहतर करने की कोशिशें की जाती रहती हैं। दूसरी तरफ इंडस्ट्री सिर्फ एक तकनीकी के भरोसे नहीं रह सकती। वह एक के इस्तेमाल के साथ ही उसके दूसरी जेनरेशन की तलाश में लग जाती है।
यही वजह है कि 5G के पूरी तरह फैलने से पहले ही 6G को लेकर भारत समेत दुनिया के कई देश विजन प्लान के साथ सामने आ रहे हैं।
सवाल-5: क्या 6G टेक्नोलॉजी के कुछ संभावित खतरे भी हैं? 5G को लेकर जो सवाल उठे थे, उनका क्या हुआ?
जवाबः 6G से कार्बन फुटप्रिंट कई गुना तक बढ़ने की चुनौती है। ज्यादातर 6G डिवाइसेस बैटरियों से चलेंगे, इसके चलते इसे सस्टेनेबल बनाना एक चुनौती होगा।
6G की स्पीड भले ही ज्यादा हो लेकिन दूर दराज के गांवों तक पहुंचने में यहां भी दिक्कतें आएंगी। इसके साथ ही हर जगह इसे लगाने की कीमत भी ज्यादा होगी।
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