पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दामों पर सोमवार को संसद में हंगामा हुआ। वहीं, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी इस समस्या के हल के तौर पर पेट्रोल-डीजल को गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स (GST) के दायरे में लाने की पैरवी की है। पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को GST में लाने की मांग नई नहीं है, पर कुछ राज्यों को इस पर आपत्ति है। उनके ही दबाव की वजह से यह GST से बाहर है। अगर पेट्रोल-डीजल GST में आते हैं तो इसका आम लोगों को कितना फायदा होगा? केंद्र या राज्य सरकारों को आखिर कितना नुकसान होगा? क्या सभी राज्यों को नुकसान होगा या कुछ राज्यों को फायदा भी होगा? यह ऐसे प्रश्न हैं जिनके जवाब बार-बार GST के दायरे से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को बाहर रख रहे हैं।
हमने भी यह जानने की कोशिश की कि अगर केंद्र सरकार और GST पर फैसले लेने वाली सभी राज्यों के वित्तमंत्रियों की GST परिषद तय कर लें कि देशभर में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर भी सिंगल टैक्स लगाया जाए तो क्या हो जाएगा? दरअसल, सीधे-सीधे 15 से 30 रुपए प्रति लीटर की राहत पेट्रोल पर मिल जाएगी और 10 से 20 रुपए तक की राहत डीजल पर। और तो और, कुछ राज्यों को इसका लाभ ही होगा। केंद्र सरकार की आय पर भी कोई बहुत बड़ा असर नहीं पड़ने वाला।
आइए, समझते हैं कि यह कैसे हो सकता है…
पहले जानते हैं, अभी कैसे तय हो रही हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
इंडियन ऑयल के आंकड़े देखें तो पेट्रोल-डीजल ज्यादा महंगा नहीं है। दिल्ली में पेट्रोल 33.54 रुपए और डीजल 35.22 रुपए प्रति लीटर है। डीलर की कमीशन भी पेट्रोल पर 3.69 रुपए और डीजल पर 2.51 रुपए है। इस पर केंद्र और राज्यों की सरकारों का टैक्स इतना ज्यादा है कि कीमत बढ़कर 100 के आंकड़े को छू रही है। दरअसल, जितनी बेस प्राइज है, उसके मुकाबले दोगुना टैक्स वसूला जा रहा है। इस समय पेट्रोल-डीजल GST के दायरे में नहीं हैं, इस वजह से हर राज्य में अलग-अलग टैक्स वसूला जा रहा है। केंद्र का टैक्स अलग है।
पूरे देश में एक जैसे टैक्स में दिक्कत क्या है?
जब GST लागू हुआ तो कहा गया कि पूरे देश में एक-सा टैक्स लगेगा। लगा भी, पर पेट्रोल-डीजल, आबकारी (शराब) को जरूर छोड़ दिया गया। कहा गया कि राज्यों को कुछ न कुछ अधिकार मिलना चाहिए। राज्यों को विकास कार्यों पर खर्च की आवश्यकता होती है और इसके लिए पैसा पेट्रोल-डीजल से मिलने वाले वैट से ही जुटाया जा सकता है। पहले तो कहा गया था कि जल्द ही आम सहमति बनाई जाएगी, पर फिर कुछ राज्यों के विरोध की वजह से फैसला टलता रहा।
एसबीआई की रिसर्च टीम का आकलन है कि केंद्र और राज्य सरकारों के बजट प्रस्तावों में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से जो कमाई की उम्मीद की है, GST उसमें अड़चन ला सकता है। पर हकीकत यह है कि अगर ऐसा हो भी गया तो बहुत ज्यादा अंतर नहीं होने वाला। सिर्फ 1 लाख करोड़ रुपए का टैक्स कम आएगा यानी GDP का महज 0.4% कलेक्शन कम होगा। पर आम लोगों को जरूर पेट्रोल पर 10 से 30 रुपए तक प्रति लीटर तक की राहत मिलेगी।
क्या सभी राज्यों को नुकसान होगा या कुछ प्रॉफिट में रहेंगे?
अलग-अलग राज्यों में लागू VAT की दरें देखें तो करीब 19 राज्यों को 10 से 12 हजार करोड़ रुपए तक का नुकसान होगा। इन राज्यों में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स इतना ज्यादा वसूला जा रहा है कि लोग परेशान हैं और पेट्रोल की कीमत सेंचुरी लगा चुकी है। इनमें प्रमुख है- महाराष्ट्र। जहां दो तरह की कर व्यवस्था पेट्रोल-डीजल के लिए लागू है। अगर GST लागू हुआ तो पूरे देश में एक ही टैक्स वसूला जाएगा और उसे करीब 10,424 करोड़ रुपए का नुकसान होगा। वहीं उत्तरप्रदेश, हरियाणा, गुजरात जैसे 11 राज्य ऐसे भी हैं जहां पेट्रोल-डीजल पर वसूला जाने वाला टैक्स तुलनात्मक रूप से कम है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल को GST में लाने से इन राज्यों की आय में इजाफा होगा। यह संख्या 12 करोड़ रुपए से 2,500 करोड़ रुपए के बीच होगी।
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