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इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला ने बिटक्वॉइन में निवेश किया है। कंपनी आने वाले वक्त में बिटक्वॉइन को भी पेमेंट ऑप्शन के रूप में स्वीकार करेगी। वहीं, ट्विटर भी अपने कर्मचारियों और वेंडर्स को बिटक्वॉइन में पेमेंट करने के बारे में सोच रहा है।
टेस्ला ने बिटक्वॉइन में 11 हजार करोड़ का निवेश किया
टेस्ला ने पिछले महीने अपनी इन्वेस्टमेंट पॉलिसी अपडेट की है। इसमें कंपनी ने बताया है कि वो कुछ ऑल्टरनेटिव रिजर्व एसेट्स में भी निवेश करेगी। इनमें डिजिटल एसेट्स, गोल्ड बुलियन, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड भी शामिल हैं। इसके लिए कंपनी ने 1.5 बिलियन डॉलर यानी करीब 11 हजार करोड़ रुपए बिटक्वॉइन में इन्वेस्ट किया है। आगे भी इस तरह के कई डिजिटल एसेट्स में निवेश किया जाएगा।
11 दिन में एक बिटक्वॉइन की कीमत 11 लाख रुपए बढ़ी
टेस्ला के ऐलान के बाद बिटक्वॉइन के रेट तेजी से बढ़ रहे हैं। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि एक फरवरी को एक बिटक्वॉइन 33 हजार डॉलर यानी करीब 24 लाख रुपए के बराबर था। वहीं, 11 फरवरी को एक बिटक्वॉइन की कीमत 48 हजार डॉलर यानी करीब 35 लाख रुपए के बराबर पहुंच गई।
दुनिया की सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है बिटक्वॉइन
बिटक्वॉइन के दाम इतने ज्यादा क्यों बढ़ रहे हैं?
टेस्ला के इन्वेस्टमेंट के बाद इस तरह की चर्चाओं को बल मिला है कि दुनियाभर की सरकारें बिटक्वॉइन को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकार कर सकती हैं। इस कारण इसकी डिमांड बढ़ी है। ज्यादा डिमांड और कम सप्लाई के कारण इसके दाम तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी वजह से बिटक्वॉइन के दाम मार्च 2020 से जनवरी 2021 के बीच ही 414% तक बढ़े।
करेंसी नहीं, एसेट है क्रिप्टोकरेंसी
सिक्युरिटी, यूटिलिटी टोकन के रूप में भी काम कर रही क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के AVP मार्केंटिंग परीन कहते हैं- अगर आप इसे खरीदना चाहते हैं तो आप इसके एक्सचेंज पर जाकर खरीद सकते हैं, लेकिन इसका ध्यान रखिए कि किसी बड़ी एक्सचेंज पर जाकर खरीदिए। ये एक्सचेंज आपसे KYC मांगते हैं। जो एक्सचेंज KYC नहीं मांगते, वहां से क्रिप्टोकरेंसी खरीदना खतरनाक हो सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी पर भारत में अब तक क्या हुआ है?
अप्रैल 2018 में RBI ने क्रिप्टोकरेंसी को बैन कर दिया, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत बताया। इसके बाद कई एक्सपर्ट्स को लगता है कि आने वाले समय में देश में क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन लीगल हो सकता है। इसी महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में बताया कि केंद्रीय मंत्रियों की एक कमेटी ने सरकार की ओर से जारी वर्चुअल करेंसी को छोड़कर हर तरह की प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने का सुझाव दिया है।
सरकार की क्रिप्टोकरेंसी को लेकर उलझन क्या है?
कई ऐसे प्लेटफॉर्म हैं, जहां आप बिना अपनी पहचान बताए क्रिप्टोकरेंसी खरीद या बेच सकते हैं। यही सरकार की सबसे बड़ी चिंता है। इस तरह के ट्रांजेक्शन से टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का भी खतरा बना रहता है।
इसी वजह से कई साइबर क्रिमिनल फिरौती के रूप में क्रिप्टोकरेंसी की डिमांड करते हैं। इसमें उनकी पहचान तक नहीं हो पाती और ना ही उन्हें ट्रैक किया जा सकता है।
सरकार की इस चिंता पर भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के रूप में काम कर रही यूनोक्वॉइन के को-फाउंडर और CEO सात्विक विश्वनाथ कहते हैं कि ये डिजिटल गोल्ड कमोडिटी है। क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े जो भी ट्रांजेक्शन एक्सचेंज के जरिए होते हैं, वो पूरी तरह ट्रांसपेरेंट होते हैं। यहां यूजर को KYC भरना पड़ता है। सारा ट्रांजेक्शन डिजिटल होता है। ऐसे में इसे आसानी से ट्रैक किया जा सकता है।
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