सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। जब से इसकी घोषणा हुई है तभी से इस प्रोजेक्ट का विवाद पीछा नहीं छोड़ते। विवादों और कोरोना के बीच इस पर तेजी से काम जारी है। हाल ही में इससे जुड़ी इमारतों को पूरा करने की टाइम लाइन भी आ गई।
आज हम इस प्रोजेक्ट के विवादों की बात नहीं करेंगे। आज बात होगी इस प्रोजेक्ट की। आखिर इसमें कहां क्या बनना है? कितनी इमारतें इसके लिए गिराई जाएंगी, कितनी इमारतों को रिनोवेट किया जाएगा, कितनी इमारतों का इस्तेमाल बदलेगा। संसद की नई बिल्डिंग में कहां क्या होगा? आइए जानते हैं...
सेंट्रल विस्टा क्या है?
सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट क्या है?
सेंट्रल विस्टा के पूरे एरिया को नए सिरे से डेवलप करने के प्रोजेक्ट का नाम सेंट्रल विस्टा रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है। इसमें मौजूदा कुछ इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा तो कुछ को किसी और काम में इस्तेमाल किया जाएगा, कुछ को रिनोवेट किया जाएगा तो कुछ को गिराकर उनकी जगह नई इमारतें बनाई जाएंगी।
इस प्रोजेक्ट के दौरान किन इमारतों को गिराया जाएगा किन्हें नहीं, इसे लेकर इसी साल 18 मार्च को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा था कि इसे लेकर अभी कोई अंतिम सूची नहीं बनाई गई है।
वहीं, दूसरी तरफ इस प्रोजेक्ट को डिजाइन करने वाले डॉक्टर बिमल पटेल ने जून 2020 में एक सेमिनार के दौरान इसकी पूरी डिजाइन साझा की थी। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्रोजेक्ट के दौरान कहां क्या होना है। हालांकि, उन्होंने ये जरूर कहा था कि इस डिजाइन में थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है। पटेल के बताए मुताबिक आइए इन बदलावों को जानते हैं।
इन इमारतों में कोई बदलाव नहीं होगा: राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल, हैदराबाद हाउस, रेल भवन, वायु भवन रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं हैं।
इन इमारतों का इस्तेमाल बदलेगा: नॉर्थ ब्लॉक जहां अभी वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) का ऑफिस है। साउथ ब्लॉक जहां अभी PMO, रक्षा मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट और नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (NSC) का ऑफिस है। इन दोनों को नेशनल म्यूजियम में बदला जाएगा।
संसद की मौजूदा इमारत को पुरातत्व धरोहर में बदला जाएगा। इसका इस्तेमाल संसदीय कार्यक्रमों में भी किया जाएगा। अभी जहां जामनगर हाउस है वहां, रि-डेवलपमेंट के बाद IGNCA को शिफ्ट किया जाएगा।
इन इमारतों को रिनोवेट किया जाएगा: नेशनल आर्काइव्स, वाणिज्य भवन को रिनोवेट किया जाएगा।
ये इमारतें नई सिरे से बनेंगी: इस प्रोजेक्ट में संसद की नई बिल्डिंग बनेगी, प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति ने नए आवास बनेंगे। नया सेंट्रल सेक्रेटेरिएट बनेगा जिसमें सरकार के सभी मंत्रालय और उनके ऑफिस शिफ्ट होंगे।
कृषि भवन, शास्त्री भवन, IGNCA, उद्योग भवन, निर्माण भवन, जवाहर भवन, नेशनल म्यूजियम, विज्ञान भवन, रक्षा भवन, उप-राष्ट्रपति निवास, जाम नगर हाउस को रिनोवेशन के लिए गिराया जाएगा। इन इमारतों की जगह सेंट्रल सेक्रेटरिएट की 10 नई बिल्डिंग बनेंगी। इसके साथ ही जिस जगह पर अभी जवाहर भवन और निर्माण भवन है वहां पर सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर बनाया जाएगा।
संसद की नई बिल्डिंग में क्या खास होगा?
रि-डेवलपमेंट प्रोजेक्ट में कहां क्या होगा और कैसा होगा इसे लेकर अभी तक बहुत ज्यादा जानकारी सरकार की ओर से नहीं दी गई है। सिर्फ संसद की नई बिल्डिंग के बारे में ही काफी कुछ बताया गया है।
ये नई इमारत पार्लियामेंट हाउस स्टेट के प्लॉट नंबर 118 पर बनेगी। पूरा प्रोजेक्ट 64,500 स्क्वायर मीटर में फैला होगा। संसद की मौजूदा बिल्डिंग 16,844 वर्ग मीटर में फैली है। संसद की नई बिल्डिंग 20,866 वर्ग मीटर में फैली होगी। यानी, मौजूदा बिल्डिंग से करीब 4 हजार वर्ग मीटर ज्यादा बड़ी।
इस बिल्डिंग में क्या-क्या होगा, पुरानी से कितनी अलग होगी?
नए भवन में लोकसभा सांसदों के लिए लगभग 876 और राज्यसभा सांसदों के लिए करीब 400 सीटें होंगी। संसद के संयुक्त सत्र में लोकसभा चेंबर में 1,224 सदस्य एक साथ बैठ सकेंगे। इसमें फर्क सिर्फ इतना होगा कि जिन सीटों पर दो सांसद बैठेंगे उनमें संयुक्त सत्र के दौरान तीन सांसदों के बैठने का प्रावधान होगा।
नए सदन में दो-दो सांसदों के लिए एक सीट होगी, जिसकी लंबाई 120 सेंटीमीटर होगी। यानी एक सांसद को 60 सेमी की जगह मिलेगी। देश की विविधता दर्शाने के लिए संसद भवन की एक भी खिड़की किसी दूसरी खिड़की से मेल खाने वाली नहीं होगी। हर खिड़की अलग आकार और अंदाज की होगी। तिकोने आकार में बनी बिल्डिंग की ऊंचाई पुरानी इमारत जितनी ही होगी। इसमें सांसदों के लिए लाउंज, महिलाओं के लिए लाउंज, लाइब्रेरी, डाइनिंग एरिया जैसे कई कम्पार्टमेंट होंगे।
ये प्रोजेक्ट कब तक पूरा हो जाएगा?
20 हजार करोड़ रुपए के इस प्रोजेक्ट के लिए सेंटर की सभी मिनिस्ट्रीज से 13,450 करोड़ रुपए का क्लियरेंस मिल चुका है। अकेले संसद की नई बिल्डिंग बनने में ही करीब 971 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। टाटा प्रोजेक्ट ने पिछले साल ही संसद की नई बिल्डिंग बनाने का काम शुरू कर दिया है।
इस प्रोजेक्ट में जितनी बिल्डिंगें शामिल हैं उनके पूरा होने की टाइमलाइन हाल ही में तय हुई है। इसके मुताबिक उप-राष्ट्रपति का आवास मई-2022 तक, संसद की नई बिल्डिंग का निर्माण नवंबर 2022 तक, प्रधानमंत्री आवास का निर्माण दिसंबर 2022 तक, प्रधानमंत्री की सुरक्षा में रहने वाली SPG की बिल्डिंग दिसंबर 2022 तक, कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरिएट की 10 बिल्डिंगें मई 2023 से जून 2025 तक, सेंट्रल कॉन्फ्रेंस सेंटर दिसंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा।
इसकी जरूरत क्यों पड़ी?
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