चीन ने 23 अक्टूबर को बॉर्डर सिक्योरिटी से जुड़ा नया कानून पास किया है। इस कानून को लैंड बॉर्डर लॉ कहा जा रहा है। कानून का लाने के पीछे चीन का उद्देश्य नेशनल, रीजनल और लोकल लेवल पर राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और बॉर्डर सिक्योरिटी से जुड़े मसलों को कानूनी रूप से बेहतर तरीके से मैनेज करना है।
इस कानून के लागू होने के बाद चीन की विस्तारवादी नीतियों पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने चीन इस कानून का दुरुपयोग करेगा।
समझते हैं, ये कानून क्या है? कानून में क्या-क्या बड़े प्रावधान किए गए हैं? कानून का भारत पर कितना असर होगा? चीन ने ये कानून आखिर बनाया क्यों? और इस कानून को अभी क्यों पास किया गया? कानून को पास करने की टाइमिंग, भारत पर इसका असर और चीन के कानून बनाने की पीछे की वजह जानने के लिए हमने इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (IDSA)में एसोसिएट फेलो डॉक्टर स्वास्ति राव से बात की है। आइये उनसे समझते हैं...
सबसे पहले समझिए कानून क्या है?
चीन ने अपनी अंतरराष्ट्रीय सीमा को सुरक्षित करने के लिए एक कानून पास किया है। इस कानून में चीन की सीमा के आसपास मूवमेंट, सीमा विवाद, जल विवाद, तस्करी, घुसपैठ जैसे कई मुद्दों को कवर किया गया है।
इस कानून को मार्च 2021 में पेश किया गया था और 23 अक्टूबर को इसे नेशनल पीपल्स कांग्रेस की स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी भी मिल गई है। 1 जनवरी 2022 से ये कानून लागू होगा।
कानून की बड़ी बातें
चीन ने 1 सितंबर 2021 को समुद्री सुरक्षा से जुड़ा एक दूसरा कानून भी लागू किया था। इस कानून के जरिए चीन ने अपने कथित समुद्री क्षेत्र से गुजरने वाले जहाजों पर नई पाबंदिया लगाई थीं और अपने नोसैनिकों के अधिकार भी बढ़ाए थे। इसी तरह ये नया कानून चीन की जमीनी सीमा पर सैनिकों को और ताकत देगा।
कानून का भारत पर कितना असर?
इस कानून में अलग-अलग विवादों को चीन ने अपने नजरिए से परिभाषित किया है। इस कानून के हिसाब से भारत का अरुणाचल प्रदेश भी चीन का है। इसके साथ ही चीन ने साउथ चाइना सी के भी कई विवादित इलाकों को अपना मानता है।
भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। दोनों देशों के बीच सीमा पर हालात तनावपूर्ण चलते रहते हैं। ऐसे में सीमा मुद्द से जुड़े इस कानून का भारत पर भी असर पड़ना तय है।
कानून में नदियों और झीलों की स्थिरता को बनाए रखने के लिए भी प्रावधान किए गए हैं। माना जा रहा है कि ये प्रावधान भारत को देखते हुए कानून में शामिल किए गए हैं। ब्रह्मपुत्र नदी का उद्गम स्थल चीन के कंट्रोल में आने वाले तिब्बत ऑटोनोमस रीजन में होता है। माना जा रहा है कि इस प्रावधान के जरिए चीन किसी भी स्थिति में नदी के पानी को कंट्रोल कर सकता है या इसका इस्तेमाल अपनी सैन्य गतिविधियों के लिए कर सकता है।
इस कानून को अभी क्यों लाया गया?
डॉक्टर स्वास्ति राव कहती हैं कि अगले साल अक्टूबर में चीन में कम्युनिस्ट पार्टी की 20वीं पार्टी कांग्रेस होने वाली है। पार्टी कांग्रेस में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपनी उपलब्धियां बतानी होंगी कि पिछले सालों में हमने ये-ये काम किए हैं। फिलहाल चीन की सबसे बड़ी समस्या उसकी 22 हजार किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। ये सीमा 14 देशों को छूती है और अलग-अलग देशों से सीमा पर अलग-अलग विवाद भी चल रहे हैं।
शी जिनपिंग और कम्युनिस्ट पार्टी सीमा के मुद्दे पर कानून बनाकर इसे अपनी उपलब्धियों में शामिल करना चाहती है।
चीन ने ये कानून आखिर बनाया क्यों?
तो क्या बॉर्डर पर बस्तियां भी बसाएगा चीन?
चीन अपने बॉर्डर एरिया में लगातार इंफ्रास्ट्रक्टर को डेवलप कर रहा है। नए कानून में भी बॉर्डर एरिया को डेवलप करने की बात कही गई है। ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन तिब्बत में बॉर्डर से जुड़े इलाकों में कस्बे बसा रहा है। ये चीन के डिफेंस के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। बॉर्डर इलाके में बनाए जा रहे इन गांवों को चीन वॉच पोस्ट की तरह इस्तेमाल करता है।
2020 तक चीन 600 से ज्यादा कस्बे बॉर्डर एरिया में बसा चुका है। इन कस्बों में आने-जाने के लिए सड़कें भी बनाई गई हैं। चीन बॉर्डर के आसपास 3 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी 130 सड़कें बना चुका है।
चीन बॉर्डर एरिया में सड़क और रेल नेटवर्क बढ़ाने पर जोर दे रहा है। इसी साल जून में चीन ने तिब्बत से ल्हासा और यींगची को जोड़ने वाला इलेक्ट्रिफाइड बुलेट ट्रेन की शुरुआत भी की थी।
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