साल 2012 की बात है। फ्रांस की दो महिला वैज्ञानिकों ‘इमैनुएल शार्पेटिए’ और ‘जेनिफर डॉडना’ ने मिलकर ‘क्रिशपर’ नाम की एक टेक्नोलॉजी खोजी।
इन महिलाओं ने दावा किया कि क्रिशपर के जरिए इंसान के DNA में बदलाव कर मनचाहा बच्चा पैदा किया जा सकता है। ऐसा बच्चा जो कभी बीमार न पड़े।
अब अमेरिका का कहना है कि चीन इसी टेक्नोलॉजी के जरिए ‘सुपर सोल्जर’ बना रहा है। एक ऐसा सोल्जर जो बिना नींद और भूख के भी जंग के मैदान में कई दिनों तक लड़ सकेगा।
आज भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि सुपर सोल्जर क्या है और कैसे ये आम सैनिकों से अलग है? अमेरिका ने जो दावा किया है उसमें कितनी सच्चाई है?
सुपर सोल्जर के बारे में जानने से पहले एक ग्राफिक्स में जानते हैं कि DNA बदलाव या जीन एडिटिंग क्या है…
चीन का सुपर सोल्जर प्लान क्या है?
अमेरिकी इंटेलिजेंस के मुताबिक दो साल पहले 2020 में ही चीन क्रिशपर टेक्नोलॉजी की मदद से सुपर सोल्जर बनाना शुरू कर चुका है। इसके लिए चीन में सैनिकों के DNA सैंपल लिए जा रहे हैं।
इस DNA में बदलाव करके खतरनाक सुपर सोल्जर बनाने का प्लान है। अमेरिका के इस दावे को ब्रिटेन ने भी सही बताया है।
‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ अखबार में अमेरिका की खुफिया एजेंसी के तत्कालीन निदेशक जॉन रैटक्लिफ ने लिखा है- चीन दुनिया में सबसे ताकतवर बनने के लिए सारी सीमाओं को तोड़ने के लिए तैयार है। सुपर सोल्जर इसी का एक हिस्सा है।
रैटक्लिफ के मुताबिक जिस तरह ‘कैप्टन अमेरिका’, ‘ब्लडशॉट’ और ‘यूनिवर्सल सोल्जर’ फिल्मों में जीन एडिटेड सुपर सोल्जर दिखाया गया है, चीन उसी टेक्नोलॉजी और कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए काम कर रहा है।
डिजाइनर बेबी बनाने में कामयाबी के बाद इस मिशन में लगा चीन
नवंबर 2018 की बात है। चीन के एक वैज्ञानिक हे जियांकुई ने कहा कि उसने दुनिया की पहली डिजाइनर बेबी बना ली है।
इसके लिए उसने चूहे, बिल्ली और इंसानों के भ्रूण पर रिसर्च की थी। एक इंसान के भ्रूण में डीएनए बदलाव करने के बाद उसने ये दावा किया है।
इस रिसर्च की वजह से जुड़वां बच्चे लूलू और नाना पैदा हुए थे। इन दोनों बच्चों के डीएनए को इस तरह से एडिट किया गया कि एचआईवी ओर कई दूसरी बीमारी का इन बच्चों पर असर न हो।
अमेरिका की खुफिया एजेंसी ने कहा कि डिजाइनर बेबी बनाने के 2 साल बाद ही इस टेक्नोलॉजी के जरिए सुपर सोल्जर बनाने का काम चीन ने शुरू कर दिया था।
अब अगले ग्राफिक्स में जानिए भ्रूण के जीन या DNA में कैसे बदलाव किया जाता है…
सुपर सोल्जर इन वजहों से आम सैनिकों से अलग हो सकता है-
चीन से पहले अमेरिका ने सुपर सोल्जर बनाना शुरू किया था
2014 में उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक रोज पत्रकारों से कहा था, 'मैं यहां आप सबको ये बताने आया हूं कि हम आयरन मैन बनाने जा रहे हैं।' भले ही उस वक्त पत्रकारों के बीच ठहाका लगा हो, लेकिन अमेरिकी सेना ने इस मिशन पर काम करना शुरू कर दिया।
करीब 5 साल बाद इसे रोक दिया गया। तब US सेना के एक अधिकारी ने कहा था कि भले हम अभी सुपर सोल्जर नहीं बना पाए हैं, लेकिन इसके अलग-अलग पुर्जों का इस्तेमाल कहीं और किया जाएगा।
हालांकि राइटर एनी जेकबसन ने अपनी किताब- 'द पेंटागन्स ब्रेन' में लिखा है कि अमेरिका इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। 2019 में अमेरिकी सरकार ने भी पहली बार खुलकर जीन एडिटिंग की बात मानी थी।
2021 में ब्रिटेन ने जीन एडिटिंग के लिए 8 हजार करोड़ खर्च किए
2021 में ब्रिटिश सरकार ने जीन एडिटिंग टेक्नोलॉजी के लिए 8 हजार करोड़ रुपए देना का ऐलान किया। 2019 में ब्रिटेन की डिफेंस एडवांस रिसर्च प्रोजेक्ट एजेंसी यानी DARPA ने जेनेटिक एडिटिंग के जरिए सुपर सोल्जर बनाने का दावा किया था। इसके बाद से ही ब्रिटेन के साइंटिस्ट इस टेक्नोलॉजी पर लगातार काम कर रहे हैं।
2021 में अमेरिका और ब्रिटेन के तरह ही फ्रांस की मिलिट्री एथिक्स कमेटी ने भी सैनिकों के DNA में बदलाव करके क्रूर और मतलबी सुपर सोल्जर तैयार करने की इजाजत दी है।
पुतिन ने इंसानों के परमाणु बम से भी खतरनाक बनने का दावा किया था
2017 में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, ‘आने वाले समय में इंसान परमाणु बम से भी ज्यादा खतरनाक होने वाला है।’ पुतिन ने कहा था कि कोई सोच भी नहीं सकता है कि एक इंसान जैसा ही दूसरा इंसान टेक्नोलॉजी के जरिए बनाना संभव है। ऐसा इंसान जो न सिर्फ कद-काठी और देखने में एक जैसा हो बल्कि बिहेवियर में भी एक जैसा हो। DNA में बदलाव से बना यह शख्स बिना किसी डर, दर्द और दया के अपने दुश्मनों के खिलाफ लड़ सकेगा।
सुपर सोल्जर बनाना संभव है या नहीं?
इस सवाल के जवाब में मेडिको लिगल इंस्टीट्यूट भोपाल के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर अशोक शर्मा का कहना है कि जीन में बदलाव करके सुपर सोल्जर बनाना संभव है। इसके लिए कई देशों में रिसर्च भी हो रहा है, लेकिन ये पूरी तरह से प्रकृति के खिलाफ जाने जैसा है।
उन्होंने कहा कि आप DNA बदलकर नाक, हाथ, कान या शरीर के दूसरे अंगों का क्लोन तैयार करते हैं तो ये सही है। भारत में इस पर रिसर्च चल रही है और कई देशों में रिसर्च सफल भी हो गई है, लेकिन यदि आप किसी इंसान के जैसा दूसरा इंसान तैयार कर लेते हैं तो वह अपराध होगा।
उन्होंने कहा कि इस क्लोन इंसान की जिम्मेदारी किसकी होगी? उसने अपराध किया तो उसे सजा कैसे दी जाएगी? इसके लिए कौन से कानून होंगे? ये प्रकृति को चुनौती देने जैसा होगा। दुनिया के जिस भी देश में इस पर रिसर्च हो रहा है, वो लीगली गलत है।
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