संविधान के आर्टिकल 105 (2) के तहत भारत में संसद में किए गए किसी भी व्यवहार के लिए कोई सांसद किसी कोर्ट के प्रति उत्तरदायी नहीं होता है। यानी सदन में कही गई किसी भी बात को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को संसद में कुछ भी करने की छूट मिली है।
एक सांसद जो कुछ भी कहता है वो राज्यसभा और लोकसभा की रूल बुक से कंट्रोल होता है। इस पर सिर्फ लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति ही कार्रवाई कर सकते हैं।
यही वजह है कि लोकसभा स्पीकर ने सोमवार को कांग्रेस के 4 सांसदों को सत्र की शेष अवधि तक के लिए और मंगलवार को राज्यसभा के 19 सांसदों को एक हफ्ते के लिए सस्पेंड कर दिया गया है। बुधवार को राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को सस्पेंड कर दिया गया। इसके साथ ही कुल सस्पेंड हुए सांसदों की संख्या 23 से बढ़कर 24 हो गई।
ऐसे में आज एक्सप्लेनर में जानते हैं कि हर बार विपक्षी सांसद ही क्यों सस्पेंड किए जाते हैं? किन वजहों और नियमों के तहत सांसदों को सस्पेंड किया जाता है? क्या ये पहली बार है कि सांसदों को सस्पेंड किया गया है?
इन सवालों के जवाब जानने से पहले इस पोल पर हम आपकी राय जानना चाहते हैं...
सवाल 1 : हर बार विपक्षी सांसद ही क्यों सस्पेंड होते हैं?
लोकसभा की रूल बुक के मुताबिक सदन को चलाने की जिम्मेदारी स्पीकर की होती है। आम तौर पर सरकार की पॉलिसी या किसी कानून के खिलाफ विपक्षी सांसद ही विरोध करते हैं। ऐसे हालत में अगर विरोध में कहे गए किसी कमेंट, बिहेवियर या ऐसी चीज जिसे स्पीकर अभद्र मानता है तो स्पीकर उस सांसद को सस्पेंड कर सकता है। इसी तरह राज्यसभा के सभापति भी रूल बुक के हिसाब से सांसदों के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
देखा जाए तो ज्यादातर मामलों में विपक्षी ही सरकार की पॉलिसी या कानून को लेकर विरोध करते हैं। ऐसे में कार्रवाई में सस्पेंड होने का चांस भी उन्हीं का बनता है।
सवाल 2 : लोकसभा स्पीकर किन-किन आधारों पर सांसदों को सस्पेंड कर सकता है?
संसद के सदनों में जानबूझकर हंगामा और कमेंट करने या किसी कार्य में बाधा डालने वाले सांसदों को सस्पेंड किया जा सकता है।
सवाल 3 : किस नियम के तहत स्पीकर सांसदों पर कार्रवाई कर सकते हैं?
जिस संसद की कार्यवाही को आप टीवी में देखते हैं उसके लिए नियमों की पूरी एक किताब है। सदन को इसी रूल बुक के जरिए चलाया जाता है। इसी बुक के रूल 373 के तहत यदि लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकते हैं।
वहीं इससे ज्यादा अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए स्पीकर रूल 374 और 374 ए के तहत कार्रवाई कर सकते हैं। कांग्रेस के सांसदों पर रूल 374 के तहत ही कार्रवाई की गई है। ऐसे में इस रूल के बारे में जानते हैं…
अब जानते हैं कि नियम 374ए क्या कहता है
5 दिसंबर 2001 को रूल बुक में एक और नियम जोड़ा गया है। इसे ही रूल 374ए कहा जाता है। यदि कोई सांसद स्पीकर के आसन के निकट आकर या सभा में नारे लगाकर या अन्य प्रकार से कार्यवाही में बाधा डालकर जानबूझकर नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर इस नियम के तहत कार्रवाई की जाती है। लोकसभा स्पीकर द्वारा ऐसे सांसद का नाम लिए जाने पर वह 5 बैठकों या सत्र की शेष अवधि के लिए (जो भी कम हो) स्वतः निलंबित हो जाता है।
सवाल 4 : राज्यसभा में सांसद कैसे निलंबित होते हैं?
लोकसभा स्पीकर की तरह राज्यसभा के सभापति की भी अपनी रूल बुक है। इसके रूल 255 के तहत सभापति किसी भी सदस्य को जिसका व्यवहार सदन के लिए खराब हो और वह जानबूझकर कार्यवाही में बाधा डाल रहा हो, वे उसे तुरंत बाहर जाने के लिए कह सकते हैं। यानी सांसद उस दिन की कार्यवाही से सस्पेंड किया जा सकता है।
वहीं रूल 256 के तहत सभापति उस सांसद का नाम दे सकता है जिसने जानबूझकर नियमों की अनदेखी की हो। ऐसी स्थिति में सदन उस सांसद को सस्पेंड करने के लिए एक प्रस्ताव ला सकता है। यह सस्पेंशन चालू सत्र तक के लिए हो सकता है। सदन दूसरे प्रस्ताव के जरिए सांसद के सस्पेंशन को खत्म कर सकता है।
हालांकि, लोकसभा स्पीकर से इतर राज्यसभा के सभापति के पास किसी सांसद को सस्पेंड करने की शक्ति नहीं होती है। राज्यसभा में सांसदों पर सस्पेंशन की कार्रवाई सदन करता है।
सवाल 5 : सांसद के सस्पेंशन को खत्म करने की प्रकिया क्या है?
स्पीकर को किसी सांसद को सस्पेंड करने का अधिकार है, लेकिन सस्पेंशन को वापस लेने का अधिकार उनके पास नहीं है। यह अधिकार सदन के पास होता है। सदन चाहे तो एक प्रस्ताव के जरिए सांसदों का सस्पेंशन वापस ले सकता है।
सवाल 6 : क्या इस दौरान सांसदों को सैलरी मिलती है?
हां। सदन में व्यवधान पैदा करने के लिए सस्पेंड किए गए सांसद को पूरा वेतन मिलता है। केंद्र में लगातार सरकारों द्वारा ‘काम नहीं, वेतन नहीं’ की नीति दशकों से विचाराधीन है। हालांकि इसे अभी तक पेश नहीं किया गया है।
सवाल 7 : सांसद सदन में क्या नहीं कर सकते हैं ?
राज्यसभा और लोकसभा में सांसदों को संसदीय शिष्टाचार के कुछ नियमों का पालन करना जरूर होता है। जैसे…
सवाल 8 : क्या ये पहली बार है कि सांसदों को सस्पेंड किया गया है?
नहीं। सांसदों के निलंबन का पहला उदाहरण 1963 में मिलता है। 1989 में सबसे बड़ी निलंबन कार्रवाई हुई थी। राजीव गांधी सरकार के दौरान सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे। जिसके बाद विपक्ष के 63 सांसदों को हंगामा करने पर निलंबित किया गया था। वहीं जनवरी 2019 में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन में 2 दिनों में 45 विपक्षी सांसदों को सस्पेंड किया था।
2014 में कांग्रेस ने अपने ही सांसद को किया था सस्पेंड
13 फरवरी 2014 को लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार ने 18 सांसदों को सस्पेंड किया था। सस्पेंड हुए कुछ सांसद अलग तेलंगाना बनाने की मांग का विरोध कर रहे थे और कुछ अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इस दौरान बहुत ही अप्रत्याशित घटना देखने को मिली थी, क्योंकि सस्पेंड होने वाला एक सांसद एल राजगोपाल कांग्रेस के थे। राजगोपाल पर सदन में पेपर स्प्रे का यूज करने का आरोप लगा था।
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