कोरोना महामारी का खतरा अभी टला नहीं है। दुनियाभर में पिछले एक हफ्ते में कोरोना के केस में 20% की बढ़ोतरी देखी गई है। WHO का कहना है कि कोरोना के केस बढ़ने से नए वैरिएंट के आने का खतरा भी बढ़ा है।
एक्सपर्ट बताते हैं कि हर एक इन्फेक्शन वायरस को म्यूटेट होने का मौका देता है, जबकि ओमिक्रॉन इतना तेजी से फैल रहा है कि उसने नए वैरिएंट के लिए पूरा माहौल तैयार कर दिया है। यह नेचुरल इम्यूनिटी के साथ-साथ वैक्सीन को भी चकमा दे रहा है और लोगों को संक्रमित कर रहा है।
एक्सपर्ट का कहना है कि नए वैरिएंट माइल्ड होंगे या और ज्यादा गंभीर, अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। ऐसे में अभी ये कहना कि कोरोना पैन्डेमिक अब एंडेमिक की ओर बढ़ रहा है, सही नहीं होगा।
वहीं, WHO का कहना है कि जब तक दुनियाभर के सभी देशों में एक समान स्पीड से वैक्सीन नहीं लगेगी, नए वैरिएंट के आने का खतरा बना रहेगा।
ऐसे में आइए जानते हैं कि नए वैरिएंट के आने की आशंका कितनी है और यह कितना खतरनाक हो सकता है?
जरूरी नहीं कि आने वाला वैरिएंट ओमिक्रॉन से हल्का हो
हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि हम ये नहीं कह सकते हैं कि कोरोना के आने वाले वैरिएंट ओमिक्रॉन से हल्के होंगे। साथ ही इस पर वैक्सीन कितनी कारगर होगी। बोस्टन यूनिवर्सिटी के महामारी विज्ञानी लियोनॉर्डो मार्टिनस कहते हैं कि ओमिक्रॉन के तेजी से फैलने के कारण वायरस का और ज्यादा म्यूटेशन होगा, जो नए और खतरनाक वैरिएंट के आने की वजह बनेगा।
आंकड़े भी इसी ओर इशारा कर रहे हैं। मध्य नवंबर के बाद से ओमिक्रॉन पूरी दुनिया में आग की तरह फैल रहा है। साथ ही रिसर्च भी बताती है कि यह डेल्टा से 2 गुना और वुहान में मिले वायरस से 4 गुना तेजी से फैल रहा है। ओमिक्रॉन उन लोगों में भी इन्फेक्शन फैला रहा है, जो पहले डेल्टा से संक्रमित हो चुके हैं। साथ ही जिन्हें वैक्सीन लग चुकी हैं, उन्हें भी तेजी से चपेट में ले रहा है।
कमजोर इम्यून सिस्टम वाले इसका कारण बनेंगे
कोरोना की तीसरी लहर के ज्यादा घातक नहीं होने के चलते ज्यादातर देशों में सख्त प्रतिबंध नहीं हैं। ऐसे में स्वस्थ और युवा लोग काम पर और स्कूल जा रहे हैं। इसके चलते इन लोगों के जल्द इन्फेक्टेड होने की संभावना है। ओमिक्रॉन के एसिम्प्टोमेटिक होने के चलते ये लोग वायरस के स्प्रेडर बन रहे हैं। इनसे घर में ही रह रहे बुजुर्गों और अन्य कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के इंन्फेक्टेड होने का खतरा होता है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले ऐसे लोगों में खतरनाक म्यूटेशन होने की संभावना ज्यादा होगी।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के इन्फेक्शन डिजीज एक्सपर्ट डॉ. स्टुअर्ट कैम्बेल रे कहते हैं कि यह लंबी प्रक्रिया नए वैरिएंट के बनने का आधार तय करती है। यह तभी होगा, जब आप गंभीर रूप से संक्रमित हों।
वायरस समय के साथ कम घातक नहीं होते
यदि कोई वायरस अपने होस्ट को जल्द ही मार देता है तो माना जाता है कि यह तेजी से नहीं फैलेगा, लेकिन वायरस हमेशा समय के साथ कम घातक नहीं होते हैं। कैम्बेल रे बताते हैं कि यदि इन्फेक्टेड व्यक्ति को शुरू में माइल्ड सिंप्टम्स होते हैं और वह दूसरे में वायरस फैलाता है या वह गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है तो वैरिएंट अपने गोल को पाने में सफल हो जाता है।
जानिए क्या होते हैं म्यूटेशन और वैरिएंट्स?
म्यूटेशंस यानी वायरस की मूल जीनोमिक संरचना में होने वाले बदलाव। यह बदलाव ही जाकर वायरस को नया स्वरूप देते हैं, जिसे वैरिएंट कहते हैं।
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