अमेरिका के ड्रग रेगुलेटर- फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (US-FDA) ने नवंबर 2020 में घर पर कोरोना का टेस्ट करने वाली किट को मंजूरी दी थी। उस समय वहां कोरोना इन्फेक्शन के केस धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रहे थे। सरकार ने लोगों को घरों में रहकर ही कोरोना टेस्ट की सुविधा देने के लिए होम टेस्ट किट को अनुमति दी थी।
भारत में भी पिछले 10 दिन से तीन लाख से अधिक नए मरीज रोज सामने आ रहे हैं। एक्टिव केस भी लगातार बढ़ रहे हैं। मरीजों के मामले में भी भारत सिर्फ अमेरिका के पीछे है। बढ़ते आंकड़ों के बीच कोविड टास्क फोर्स ने पूरे देश में टोटल लॉकडाउन की सिफारिश की है। ऐसी परिस्थितियों में ये होम टेस्ट किट भारत के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है।
आइए जानते हैं कि ये टेस्ट किट होती क्या है? इसके फायदे क्या हैं? भारत में इनका इस्तेमाल कोरोना को रोकने में कैसे मददगार साबित हो सकता है...
क्या है होम टेस्टिंग किट?
अभी आपको कोरोना का पता लगाने के लिए रैपिड एंटीजन या RT-PCR या इसी तरह के दूसरे टेस्ट करवाने होते हैं। इन सभी टेस्ट के लिए मेडिकल एक्सपर्ट और लैब की जरूरत होती है। कोरोना की होम टेस्ट किट इसका आसान विकल्प है। ये प्रेग्नेंसी टेस्ट किट की तरह है। सैंपल डालना है तो कोरोना को टेस्ट किया जा सकता है। इसकी मदद से कोई भी व्यक्ति बिना किसी लैब या मेडिकल एक्सपर्ट की मदद के घर पर ही कोरोना टेस्ट कर सकता है।
यह किट कैसे काम करती है?
ये टेस्ट किट लेटरल फ्लो टेस्ट पर काम करती है। आप अपनी नाक या गले से लिए गए सैंपल को ट्यूब में डालते हैं। इस ट्यूब में पहले से एक लिक्विड भरा होता है। इस ट्यूब को किट के अंदर डाला जाता है जहां लिक्विड को सोखने वाला एक पैड लगा होता है। इस पैड से होकर ये लिक्विड एक पट्टी पर जाता है जहां पहले से ही कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को पहचानने वाली एंटीबॉडी मौजूद होती है। अगर आप कोरोनावायरस से पीड़ित हैं तो ये एंटीबॉडी एक्टिवेट हो जाती है और किट आपका टेस्ट पॉजिटिव दिखा देती है। किट पर एक डिस्प्ले होता है जहां रिपोर्ट का रिजल्ट दिख जाता है। रिपोर्ट आपके ईमेल या टेस्ट किट बनाने वाली कंपनी की ऐप पर भी देखी जा सकती है।
इस किट के फायदे क्या हैं?
इस किट के नुकसान क्या हैं?
इन किट के नतीजे कितने सटीक हैं?
लैब में किए गए टेस्ट की तुलना में होम टेस्ट किट के रिजल्ट की एक्यूरेसी में 20% से 30% तक की गड़बड़ी देखने को मिली है। गलत तरीके से सैंपल लेना, संक्रमित होने के 1-2 दिन के अंदर ही टेस्ट कराने से भी रिपोर्ट निगेटिव आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों टेस्ट को करने का तरीका भले ही एक जैसा हो, लेकिन इनके रिजल्ट में एक्यूरेसी का फर्क ज्यादा है।
इन किट की जरूरत क्यों पड़ी?
कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों ने स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो गई है। जहां भी मामले बढ़े वहां डॉक्टरों की कमी, अस्पतालों में बेड की कमी जैसी समस्याएं सामने आने लगीं। साथ ही मेडिकल एक्सपर्ट्स का एक बड़ा हिस्सा मरीजों की टेस्टिंग में भी लगा होता है। ऐसे में अगर खुद से ही कोरोना का टेस्ट किया जा सके तो मेडिकल एक्सपर्ट्स पर निर्भरता कम होगी और वो किसी दूसरे काम आ सकेंगे।
साथ ही किसी भी टेस्ट को करवाने के लिए आपको हॉस्पिटल या अन्य किसी दूसरी जगह जाना होता है। संक्रमण के खतरे को देखते हुए ये सुरक्षित नहीं है। ऐसे में अगर घर में ही टेस्ट किया जा सके तो संक्रमण फैलने की रफ्तार भी कम होगी।
क्या यह किट्स भारत में उपलब्ध है?
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने 27 अप्रैल को गाइडलाइन जारी की है। इसमें कहा गया है कि अमेरिका, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और 5 अन्य देशों ने जिन किट को इस्तेमाल की अनुमति दे रखी है, उनका इस्तेमाल भारत में हो सकेगा। उन्हें ICMR से अलग से अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है। साथ ही ICMR ने इन कंपनियों से ये भी कहा है कि टेस्ट के रिजल्ट की मॉनिटरिंग के लिए सॉफ्टवेयर या ऐप से सभी आंकड़ों को कोरोना के सेंट्रल पोर्टल से जोड़ा जाए जिससे कि आंकड़ों में गड़बड़ी न हो।
भारत के लिए ये क्यों जरूरी है?
फिलहाल कोरोना के कुल संक्रमितों के लिहाज से भारत अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। कोरोना के नए आंकड़े रोजाना नए रिकॉर्ड छू रहे हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने अस्पतालों में बेड से लेकर ऑक्सीजन तक की किल्लत पैदा कर दी है। सरकार का फोकस ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग पर भी है जिससे संक्रमितों की सही संख्या सामने आ सके। इस तरह की होम टेस्ट किट से टेस्टिंग बढ़ेगी ही साथ ही टेस्ट सेंटरों पर दबाव भी कम होगा। फिलहाल जो मेडिकल एक्सपर्ट कोरोना की टेस्टिंग में लगे हैं उनकी सेवाएं दूसरी जगह ली जा सकेगी।
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