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भास्कर एक्सप्लेनर:कोरोना की वजह से हुई 90% मौतें 45 से ज्यादा उम्र वालों की; कल से 45 के ऊपर वालों को भी लगेगी वैक्सीन, जानिए कब और कैसे?

2 वर्ष पहलेलेखक: रवींद्र भजनी
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एक अप्रैल से कोविड-19 वैक्सीनेशन प्रोग्राम का तीसरा फेज शुरू हो रहा है। 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लगेगी। सरकार ने 1 जनवरी 1977 कट-ऑफ डेट तय की है, यानी 1 जनवरी 1977 से पहले जन्म लिए सभी लोग कोरोना वैक्सीन लगा सकेंगे। इससे पहले 1 मार्च से शुरू हुए दूसरे फेज में 45 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों के लिए कोमॉर्बिडिटी का क्लॉज डाला था। 20 गंभीर बीमारियों से जूझ रहे 45 से 59 वर्ष के लोगों को सीनियर सिटिजन्स के साथ वैक्सीनेशन प्रोग्राम में शामिल किया था।

पिछले हफ्ते हेल्थ मिनिस्ट्री की बैठक में प्रेजेंट किए गए इंटरनल सर्वे के मुताबिक भारत में कोरोनावायरस की वजह से 30 मार्च की सुबह तक 1.62 लाख मौतें हुई हैं, उनमें से 90% से ज्यादा मामलों में उम्र 45 वर्ष से ज्यादा रही है। इसी वजह से 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को हाई रिस्क ग्रुप में रखा है और 1 अप्रैल से सभी को वैक्सीनेट करने की योजना बनाई है। पिछले कुछ दिनों से भारत कोरोनावायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। हर दिन नए केस बढ़ते जा रहे हैं। 30 मार्च को सुबह 8 बजे तक 24 घंटों में 56,211 नए केस सामने आए। इससे एक्टिव केसलोड भी बढ़कर 5.40 लाख तक पहुंच गया। महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ में मिलाकर 79.64% एक्टिव केसलोड है।

अब तक वैक्सीनेशन...

31 मार्च की सुबह तक 6.30 करोड़ वैक्सीन डोज दिए जा चुके हैं। वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी को हेल्थकेयर वर्कर्स के साथ हुई थी और अब तक हेल्थकेयर वर्कर्स को 82 लाख पहला डोज और 52 लाख दूसरा डोज दिया गया है। 2 फरवरी से फ्रंटलाइन वर्कर्स का वैक्सीनेशन शुरू हुआ था। फ्रंटलाइन वर्कर्स को 90 लाख पहले डोज और 38 लाख दूसरे डोज दिए गए हैं। 1 मार्च से 60 वर्ष से ज्यादा, यानी सीनियर सिटिजन्स का वैक्सीनेशन शुरू हुआ। इन्हें अब तक 2.90 करोड़ पहले डोज और 36,899 दूसरे डोज दिए गए हैं। इसके साथ ही निर्धारित 20 में से कोई एक बीमारी होने पर 45 से 59 वर्ष के लोगों को वैक्सीन देना शुरू किया था। इन्हें अब तक 72 लाख पहले डोज और 4,905 दूसरे डोज दिए गए हैं।

चौथे चरण में कितने लोग शामिल होंगे
जनगणना 2011 के जनसंख्या पूर्वानुमानों के मुताबिक 2021 में 60+ की आबादी 13.7 करोड़ और 45 से 59 वर्ष की आबादी 20.7 करोड़ होगी। यानी दूसरे और तीसरे फेज में मिलाकर करीब 34 करोड़ लोगों को वैक्सीनेट किया जाना है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी लॉन्जिट्युडिनल एजिंग स्टडी इन इंडिया (LASI) के मुताबिक 45 से 59 वर्ष आयु समूह में 37% आबादी एक या अधिक मॉर्बिडिटी कंडीशन से जूझ रही है। 60 वर्ष से ज्यादा आयु समूह में हर दूसरा यानी 52% एक या ज्यादा गंभीर बीमारियों से जूझ रहा है।

क्या 45+ लोगों को वैक्सीनेट करने से कोरोना रोकने में मदद मिलेगी?

बिल्कुल। वैक्सीन स्पेशलिस्ट और पब्लिक हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ. चंद्रकांत लहारिया कहते हैं कि वैक्सीनेशन का उद्देश्य मॉर्टेलिटी और ट्रांसमिशन कम करना है। वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर ही अलग-अलग चरणों में वैक्सीन लगाई जा रही है। 45+ को प्रोग्राम में शामिल करना इसी कड़ी में अगला स्टेप है।

वहीं, देश की टॉप वैक्सीन साइंटिस्ट और वेल्लोर मेडिकल कॉलेज (VMC) की प्रोफेसर डॉ. गगनदीप कंग के मुताबिक जितना ज्यादा लोगों को वैक्सीन दे सकते हैं, देनी चाहिए। नई पॉलिसी से 45 से ऊपर वालों को वैक्सीनेशन आसान हो जाएगा। पहले 20 गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इसमें शामिल किया था। पर लिस्ट अधूरी थी। कई लोग छूट गए थे। अब वे इसमें शामिल हो सकेंगे। इससे कोरोना रोकने में मदद मिलेगी।

डॉ. कंग का कहना है कि 45 से कम उम्र के लोगों को भी वैक्सीनेशन में शामिल करना चाहिए। खासकर, ऐसे लोग जो किसी न किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं, जैसे- स्पाइनल कॉर्ड इंजुरी, सांस लेने में दिक्कत, डाइबिटीज। इन लोगों को जितनी जल्दी वैक्सीनेशन शुरू करेंगे, उतना अच्छा रहेगा।

क्या सबको वैक्सीन लगनी जरूरी है?

हां। डॉ. लहारिया कहते हैं कि पहले तो उन लोगों को वैक्सीन लगाई गई, जिनमें मॉर्टेलिटी ज्यादा थी। अब उन्हें वैक्सीनेट किया जा रहा है, जिनकी वजह से वायरस का ट्रांसमिशन होने का खतरा ज्यादा रहता है। धीरे-धीरे और भी लोगों को वैक्सीनेशन में शामिल किया जाएगा।

डॉ. कंग के मुताबिक वैक्सीन सबको लगनी चाहिए। हमारे पास जो वैक्सीन है, उनका ट्रायल्स 18+ पर हुआ है। बच्चों में भी वैक्सीन का ट्रायल्स हो जाएगा तो उन्हें भी इसे लगाना होगा। यह नया वायरस है। पीलिया की वैक्सीन सभी को देते हैं। उसकी शुरुआत बचपन में होती है। प्रोटेक्शन जिंदगीभर मिलता है। यह भी एक ऐसा ही वायरस है, जिसके खिलाफ सबको प्रोटेक्शन मिलना चाहिए।

वैक्सीन के दो डोज के बीच अंतर कितना रखना होगा?

इस समय दो वैक्सीन इस्तेमाल हो रही हैं- कोवीशील्ड और कोवैक्सिन। कोवीशील्ड को ब्रिटिश ड्रगमेकर एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर विकसित किया है। पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया इसे भारत में बना और सप्लाई कर रही है। वहीं, कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया है।

कोवैक्सिन के दो डोज में 28 दिन का अंतर रखा जा रहा है। वहीं, कोवीशील्ड से बेहतर सुरक्षा कवच हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में अंतर को चार हफ्ते से बढ़ाकर 6 से 8 हफ्ते किया है। यानी 42 से 56 दिन के बीच आप कोवीशील्ड का दूसरा डोज ले सकते हैं। डॉ. लहारिया कहते हैं कि कोवीशील्ड के दो डोज का अंतर बढ़ाने से डोज की उपलब्धता बढ़ गई है। इससे भी ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने में मदद मिलेगी।

दूसरा डोज लेने के बाद एंटीबॉडी कब बनने लगेंगी?

डॉ. लहारिया के मुताबिक, वैक्सीन का पहला डोज लगने के 7-10 दिन बाद एंटीबॉडी बनने लगती है। धीरे-धीरे उसका लेवल बढ़ता है। तीन से चार हफ्ते बाद एक्टिवेट हो जाती है। जब दूसरा डोज देते हैं तो वह बूस्टर का काम करता है। एंटीबॉडी का लेवल 4 से 6 गुना बढ़ जाता है।

उनका कहना है कि कोवीशील्ड के मामले में UK और ब्राजील में ट्रायल्स हुए और इस दौरान अलग-अलग नतीजे सामने आए। वैक्सीन के दो डोज का अंतर 4 हफ्ते ही तय था। पर कुछ को 6, 8 और 12 हफ्ते के अंतर से दूसरा डोज दिया गया। जिन्हें 4 हफ्ते में दूसरा डोज दिया गया, उन पर वैक्सीन 53% इफेक्टिव पाई गई। वहीं, 8 से 12 हफ्ते में इसकी इफेक्टिवनेस 75 से 80 प्रतिशत रही।

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