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भास्कर एक्सप्लेनर:5 दिन के वैक्सीन डोज ही बचे हैं भारत में; जानिए कैसे दूर हो सकता है वैक्सीन का संकट
2 वर्ष पहलेलेखक: रवींद्र भजनी
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कोरोना वायरस की दूसरी लहर के साथ ही वैक्सीनेशन ने भी रफ्तार पकड़ ली है। हर दिन तकरीबन 34 लाख वैक्सीन डोज दिए जा रहे हैं। इसकी वजह से आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में वैक्सीन के डोज की कमी हो गई है। इनके पास जो स्टॉक है, वह दो-तीन दिन ही चलने लायक है। पूरे देश में राज्यों के पास जो स्टॉक है, वह 5-6 दिन से ज्यादा नहीं चलने वाला।
9 अप्रैल की सुबह तक 9.43 करोड़ डोज दिए जा चुके हैं। 60% से ज्यादा डोज 8 राज्यों में दिए गए हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान इस लिस्ट में सबसे आगे हैं। केंद्र सरकार के पास इस समय 4.3 करोड़ वैक्सीन डोज उपलब्ध हैं, जो राज्यों को धीरे-धीरे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन्हें मिला दिया जाए तो पूरे देशभर में अभी 12 दिन का कोटा उपलब्ध है। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार इस समय दो वैक्सीन- कोवैक्सिन और कोवीशील्ड लगाई जा रही है। इन्हें मिलाकर हर महीने 7 करोड़ डोज का प्रोडक्शन हो रहा है। इस आधार पर सिर्फ 25 लाख डोज ही रोज दिए जा सकते हैं। इस वजह से मांग उठ रही है कि रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V समेत अन्य वैक्सीन को भी मंजूरी दी जाए, ताकि राज्यों से आ रही डिमांड को पूरा किया जा सके।
इन वैक्सीन को जल्द मिले मंजूरी तो पूरी हो सकेगी डिमांड !
भारत में इस समय दो ही वैक्सीन लगाई जा रही है- कोवीशील्ड और कोवैक्सिन। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश फर्म एस्ट्राजेनेका ने मिलकर तैयार किया है। भारत में इसका प्रोडक्शन पुणे की सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कर रही है। वहीं, कोवैक्सिन को हैदराबाद की भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के साथ मिलकर बनाया है और इसका प्रोडक्शन हैदराबाद में हो रहा है।
भारत के ड्रग रेगुलेटर से अमेरिकी कंपनी फाइजर ने भी अपनी वैक्सीन के लिए दिसंबर में अप्रूवल मांगा था। पर उसके लिए -70 डिग्री सेल्सियस की कोल्ड चेन चाहिए, जो भारतीय सेट-अप में मुश्किल है। इस वजह से उसे मंजूरी नहीं मिली है। रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V के लिए हैदराबाद की कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी ने इमरजेंसी अप्रूवल मांगा है। इसे जल्द ही अप्रूवल मिल सकता है और अगर ऐसा हुआ तो वैक्सीन की कमी के संकट को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा।
अहमदाबाद की कंपनी जायडस कैडिला की वैक्सीन ZyCoV-D के लिए भी कंपनी एक-दो महीने में अप्रूवल मांग सकती है। इस स्वदेशी वैक्सीन के इस समय देशभर में फेज-3 के क्लिनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। जायडस ग्रुप के चेयरमैन पंकज पटेल के मुताबिक उनकी वैक्सीन मई या जून में बाजार में आ सकती है।
भारत में ICMR के वैक्सीन लैंडस्केप के मुताबिक पुणे की जेनोवा फार्मास्युटिकल्स की mRNA वैक्सीन, बेयर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के साथ हैदराबाद की बायोलॉजिकल E की वैक्सीन, भारत बायोटेक की इंट्रानैजल वैक्सीन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से नोवावैक्स की कोवोवैक्स वैक्सीन के ट्रायल्स चल रहे हैं। बायोलॉजिकल E भारत में जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन फार्मा की वैक्सीन के ब्रिजिंग ट्रायल्स करने वाली है।
दुनियाभर में क्या है वैक्सीन की स्थिति
WHO के वैक्सीन लैंडस्केप के मुताबिक इस समय पूरी दुनिया में 272 वैक्सीन पर काम चल रहा है। इनमें 86 वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल्स में है। यानी इनकी सेफ्टी, एफिकेसी जांची जा रही है। वहीं, 186 वैक्सीन प्री-क्लिनिकल फेज में है। यानी इन पर लैबोरेटरी में ही जांच चल रही है।
न्यूयॉर्क टाइम्स के वैक्सीन ट्रैकर के मुताबिक इस समय 50 वैक्सीन फेज-1 के क्लिनिकल ट्रायल्स में हैं। 35 वैक्सीन फेज-2 और 23 वैक्सीन फेज-3 ट्रायल्स में हैं। 5 वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है, जबकि 8 वैक्सीन को फुल अप्रूवल मिल चुका है। इस दौरान 4 वैक्सीन ऐसी भी रहीं, जिनके ट्रायल्स किसी न किसी वजह से बंद करने पड़े।