23 नवंबर को लोकसभा का बुलेटिन जारी हुआ और भारत के क्रिप्टो मार्केट में उथल-पुथल मच गई। बुलेटिन में कहा गया कि संसद सत्र में सरकार क्रिप्टोकरेंसी पर कानून लेकर आने वाली है। खबर फैलते ही भारत के करीब 10 करोड़ क्रिप्टो इन्वेस्टर्स पैनिक में आ गए और क्रिप्टो मार्केट गिरने लगा। अगले दिन सबसे प्रचलित क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में 17% तक की गिरावट आई।
भास्कर ने क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े पूरी कॉन्ट्रोवर्सी को समझने के लिए क्रिप्टो एक्सपर्ट जसकरन सिंह मनोचा से बात की है। जसकरन लंबे समय से क्रिप्टोकरेंसी पर काम कर रहे हैं।
समझते हैं, क्रिप्टोकरेंसी होती क्या है? नए बिल का क्रिप्टो इन्वेस्टर्स पर क्या असर होगा? बिल में प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी की बात हो रही है ये क्या होती है? क्या वाकई सरकार क्रिप्टो को बैन कर सकती है? कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी और इसका इतिहास क्या है?...
सबसे पहले समझते हैं क्रिप्टो करेंसी क्या है?
यह ठीक रुपए, डॉलर या किसी भी दूसरी करंसी की तरह ही है बस फर्क इतना है कि ये डिजिटल है। यानी इसे आप नोट या सिक्के की तरह जेब में नहीं रख सकते, क्योंकि यह पूरी करंसी क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर आधारित ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से बनी है, इसलिए इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?
प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी वो करेंसी होती है, जिसके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक नहीं होती। यानी उस करेंसी को लेकर क्या चल रहा है और उसका बैकग्राउंड आप चेक नहीं कर पाते।
पब्लिक क्रिप्टोकरेंसी वो होती है, जिसके लेनदेन की जानकारी सार्वजनिक रूप से उपलब्ध रहती है। इस वजह से इनका बैकग्राउंड चेक किया जा सकता है और ये ज्यादा भरोसेमंद होती है।
हालांकि सरकार जो बिल लाने वाली है उसमें प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को किस तरह से परिभाषित किया जाएगा वो भी समझना होगा। सरकार चाहें तो सभी तरह की क्रिप्टोकरेंसी को प्राइवेट का दर्जा दे सकती है।
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क्या सरकार क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह बैन नहीं कर सकती?
किसी भी सरकार का कंट्रोल उसके देश तक ही सीमित होता है, लेकिन इंटरनेट की दुनिया की कोई सीमा नहीं है। इंटरनेट पर कोई किस सर्वर पर क्या कर रहा है ये किसी को पता नहीं होता। साथ ही क्रिप्टो इन्क्रिप्टेड फॉर्म में होती है और इसकी इंटरनेशनल मार्केट में बहुत ज्यादा वैल्यू है। इसलिए सरकार कभी भी पूरी तरह इसे बैन नहीं कर सकती। अगर सरकार बैन करती भी है तो भी लोग अलग-अलग तरीकों से इसकी ट्रेडिंग कर सकते हैं। क्रिप्टो की एक खासियत ये भी है कि इस पर न किसी सरकार न बैंक और न ही किसी एक व्यक्ति का कंट्रोल होता है।
साथ ही ज्यादातर ऐसे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज हैं, जो भारत में रजिस्टर्ड ही नहीं है। अगर भारत सरकार कोई कानून बनाती भी है, तो हो सकता है उन पर इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़े।
कैसे तैयार होती है क्रिप्टोकरेंसी?
क्रिप्टोकरेंसी को माइनिंग के जरिए तैयार किया जाता है। यह वर्चुअल माइनिंग होती है, जिसमें क्रिप्टोकरेंसी पाने के लिए एक बेहद जटिल डिजिटल पहेली को हल करना पड़ता है। इस पहेली को हल करने के लिए अपने खुद के एल्गोरिद्म (प्रोग्रामिंग कोड) और साथ ही बहुत ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत पड़ती है। इसलिए सैद्धांतिक तौर पर कह सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी को कोई भी बना सकता है, लेकिन व्यावहारिक रूप से देखें तो इसे बनाना बहुत ही मुश्किल काम है।
क्रिप्टोकरेंसी को रिस्की क्यों माना जाता है?
जब आप रुपए, डॉलर, येन या पाउंड की बात करते हैं तो उस पर उसे जारी करने वाले देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है। यह करेंसी कितनी और कब छपेगी, वह यह देश की आर्थिक परिस्थिति को देखकर तय करते हैं। पर क्रिप्टोकरेंसी पर किसी का कंट्रोल नहीं है, यह पूरी तरह से डीसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से ये रिस्की भी है।
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