फांसी से मौत की सजा दिए जाने पर भयंकर दर्द:सुप्रीम कोर्ट इसे क्यों बदलना चाहता है; दुनिया में मृत्युदंड के दूसरे तरीके क्या हैं?

3 महीने पहलेलेखक: नीरज सिंह/जागृति राय
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सजा-ए-मौत और फांसी, भारत में ये दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्यायवाची हो गए हैं। जिस भी शख्स को मौत की सजा होती है, उसे फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है। सुप्रीम कोर्ट इस दर्दनाक तरीके को बदलना चाहता है।

कोर्ट ने मंगलवार को सरकार से पूछा कि क्या फांसी के बजाय मौत की सजा देने का कोई दूसरा तरीका हो सकता है, जो लटकाने वाले तरीके से कम दर्दनाक हो। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमन को एक एक्सपर्ट कमेटी बनाकर इस बारे में अध्ययन और जानकारी इकट्‌ठा करने के लिए कहा है।

भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे कि दुनिया में फांसी के जरिए मृत्युदंड का चलन कैसे शुरू हुआ, भारत तक कैसे पहुंचा और मौत की सजा के लिए और कौन-से तरीके प्रचलित हैं…

डिस्क्लेमरः इस आर्टिकल में वीभत्स और खुद को नुकसान पहुंचाने वाला कंटेंट हो सकता है। रीडर्स को अपने विवेक का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।

फांसी के अलावा मृत्युदंड के दूसरे तरीकों पर विचार क्यों?

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ये मांग की गई है कि गरिमापूर्ण मृत्यु के अधिकार को मौलिक अधिकार का दर्जा दिया जाए। याचिकाकर्ता का कहना है कि फांसी एक बेहद तकलीफदेह और दर्द देने वाला और लंबा तरीका है और इसकी जगह थोड़े समय में मौत की सजा देने के तरीके अपनाए जाएं।

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि फांसी की सजा पाने वाले व्यक्ति को मृत घोषित करने में 40 मिनट तक का समय लगता है। वहीं गोली मारने में कुछ मिनट और जहरीले इंजेक्शन से ये काम 5 से 9 मिनट में पूरा हो जाता है।

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता की इस दलील से सहमति जताई है कि फांसी की सजा अमानवीय और बेहद क्रूर है। इस कारण पीठ ने सरकार से भी राय मांगी है।

2 मई को इस मामले पर सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि बात आगे बढ़ी तो फांसी का विकल्प खोजने के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जाएगी जो ज्यादा आसान मौत देने का वैज्ञानिक तरीका सुझाएगी।

चीफ जस्टिस डॉ. चंद्रचूड़ ने कहा कि हमें NLU, AIIMS समेत कुछ बड़े अस्पतालों के साइंटिफिक डेटा की जरूरत है। फांसी लगने के बाद मौत होने में कितना समय लगता है। फांसी से कितना दर्द होता है, फांसी के लिए किस तरह के संसाधनों की जरूरत होती है।

कोर्ट ने पूछा कि क्या यह अभी भी सबसे अच्छा तरीका है? साइंस और टेक्नोलॉजी के आज के ज्ञान के आधार पर और क्या बेहतर मानवीय तरीके हो सकते हैं। यदि कोई अच्छा तरीका मिलता है तो हम उसे मौत की सजा देने के लिए अपना लेंगे।

दुनिया में मौत की सजा देने के अलग-अलग तरीके

1. जहरीला इंजेक्शन :

  • अमेरिका, फिलीपींस, चीन, थाईलैंड, ताइवान, मालदीव और वियतनाम जैसे देशों में जहरीले इंजेक्शन से मृत्युदंड दिया जाता है।
  • अमेरिका के 31 राज्यों में जहरीले इंजेक्शन से मृत्युदंड दिया जाता है। इसमें कैलिफोर्निया, फ्लोरिडा, नेवादा, टेक्सास और ओहायो जैसे राज्य शामिल हैं।
  • इसमें भी 1977 में ओक्लाहोमा अमेरिका में पहला ऐसा राज्य बना जिसने जहरीले इंजेक्शन से मृत्युदंड देने का तरीका अपनाया।
  • सजा देने वाले व्यक्ति को एक स्ट्रेचर पर लिटाया जाता है। फिर एक टीम उस व्यक्ति के त्वचा पर कई हर्ट मॉनिटर लगाती है।
  • दो जहरीले इंजेक्शन रखे जाते हैं। इसमें एक बैकअप के लिए होता है। फिर अपराधी के बांह में यह इंजेक्शन लगाया जाता है।

टॉक्सिक इंजेक्शन के शरीर में जाते ही नर्वस सिस्टम काम करना बंद कर देता है। इसी वजह से दिल और फेफड़े जैसी मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं, जिससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।

कैलिफोर्निया में सैन क्वेंटिन स्टेट जेल के इसी कमरे में कैदियों को जहरीला इजेंक्शन दिया जाता है।
कैलिफोर्निया में सैन क्वेंटिन स्टेट जेल के इसी कमरे में कैदियों को जहरीला इजेंक्शन दिया जाता है।

2. करेंट से मृत्युदंड

  • मृत्युदंड देने के तरीके को मानवीय बनाने के लिए इस तरीके का ईजाद किया गया था। 1888 में अमेरिका न्यूयॉर्क में पहली बार इसके लिए इलेक्ट्रिक कुर्सी बनाई गई।
  • अमेरिका में करेंट लगाकर मृत्युदंड को सेकेंडरी तरीके के रूप में ही इस्तेमाल किया जाता है।
  • इसमें मृत्युदंड दिए जाने वाले व्यक्ति के आंखों पर पट्टी बांधकर एक कुर्सी पर बैठाकर उसे सामने से बांध दिया जाता है। हाथ और पैर भी बंधे होते हैं। फिर इलेक्ट्रोड लगा एक मेटल कैप सिर में पहनाया जाता है। एक और इलेक्ट्रोड पैरों में लगाया गया होता है।
  • जेल वार्डन के निर्देश पर ऑब्जर्वेशन रूम से पावर सप्लाई को ऑन कर दिया जाता है। 30 सेकेंड तक 500 से 2000 वोल्ट की पावर सप्लाई दी जाती है। कुछ देर शरीर को ठंडा होने के लिए छोड़ने के बाद डॉक्टर कैदी की जांच करते हैं। अगर धड़कनें चल रही हों तो दोबारा पावर ऑन किया जाता है।
अमेरिका के फ्लोरिडा स्टेट जेल में इसी इलेक्ट्रिक कुर्सी पर बिठाकर कैदियों में करेंट दौड़ाया जाता है।
अमेरिका के फ्लोरिडा स्टेट जेल में इसी इलेक्ट्रिक कुर्सी पर बिठाकर कैदियों में करेंट दौड़ाया जाता है।

इंसानी नर्वस सिस्टम बेहद हल्की इलेक्ट्रिक पल्स से काम करता है। जब किसी व्यक्ति की शरीर से तेज वोल्टेज को गुजारा जाता है तो इसे इलेक्ट्रिक पल्स से काम करने वाले सभी अंग जैसे ब्रेन, दिल की धड़कने और फेफड़े जैसे अंग काम करना बंद कर देते हैं। इससे व्यक्ति की मौत हो जाती है।

3. जहरीला गैस चैंबर

  • अमेरिका के 7 राज्यों में जहरीले इंजेक्शन के बाद यह दूसरे तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 1924 में नेवादा राज्य में पहली बार इसका इस्तेमाल शुरू हुआ।
  • इसमें सजा दिए जाने वाले व्यक्ति को एक एयर टाइट चैंबर में एक कुर्सी पर बांध दिया जाता है। कुर्सी के नीचे एक सल्फ्यूरिक एसिड की बाल्टी रखी होती है।
  • जेल वॉर्डेन के इशारे पर पूरी तरह सील चैंबर में सल्फ्यूरिक एसिड की बाल्टी में क्रिस्टल सोडियम सायनाइड छोड़ा जाता है। इन दोनों के रिएक्शन से हाइड्रोजन सायनाइड गैस निकलती है।
  • एक लंबा स्टेथोस्कोप कैदी के साथ अटैच होता है। इससे चैंबर के बाहर से डॉक्टर जांच कर मौत हुई है या नहीं इसकी जांच करता है।
कैलिफोर्निया में सैन क्वेंटिन स्टेट जेल के इसी गैस चैंबर में एक कुर्सी पर कैदी को बांधकर कमरे को बंद कर दिया जाता है।
कैलिफोर्निया में सैन क्वेंटिन स्टेट जेल के इसी गैस चैंबर में एक कुर्सी पर कैदी को बांधकर कमरे को बंद कर दिया जाता है।

​​​​​टॉक्सिक गैस जब शरीर में जाती हैं तो शरीर को ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है। इससे शरीर की कोशिकाएं काम करना बंद कर देती हैं। इसी वजह से व्यक्ति की मौत हाे जाती है।

4. गोली मारकर मौत की सजा

  • अमेरिका, ब्राजील, इंडोनेशिया और नॉर्थ कोरिया जैसे देशों में गोली मारकर मृत्युदंड दिया जाता है।
  • अमेरिका में इस तरीके से तभी मृत्यदंड देने की अनुमति है, जब राज्य जहरीले इंजेक्शन से मृत्युदंड देने में सक्षम नहीं होता है।
  • इस तरीके में अपराधी को एक कुर्सी पर लेदर के पट्टे से बांध कर बैठा दिया जाता है। कुर्सी के आस-पास बालू की बोरियां रखी होती हैं ताकि वह ब्लड को सोख ले।
  • डॉक्टर स्टेथोस्कोप से कैदी का हर्ट मार्क कर देता है। 5 शूटर पॉइंट 30 कैलिबर राइफल के साथ 20 फीट की दूरी पर खड़े होते हैं। कई देशों में शूटर्स 3 भी होते हैं।
  • एक स्लॉट से सभी शूटर्स फायर करते हैं और ज्यादा खून बहने से कैदी की मृत्यु हो जाती है।

गोली लगने से महत्वपूर्ण अंग क्षतिग्रस्त होने और ज्यादा खून बहने से व्यक्ति की मौत हो जाती है।

5. पथराव से मौत की सजा

  • सूडान में अडल्ट्री के लिए अब भी पथराव कर मौत की सजा का प्रावधान है।
  • सूडान के अलावा अफगानिस्तान, इंडोनेशिया, ईरान, इराक, मलेशिया, माली, नाइजीरिया, पाकिस्तान, सोमालिया, सऊदी अरब और कतर जैसे देशों में पथराव कर अब भी मौत की सजा सुनाई जाती है।
  • पथराव से मौत की सजा देने की शुरुआत प्रचीन इजराइल से मानी जाती है।
  • यूनाइटेड नेशन्स ह्यूमन राइट्स कमिशन इस तरह से सजा देने को लेकर कई बार चिंता जता चुका है। इसमें भी महिलाओं को इस तरह से सजा देने को लेकर कड़ी आपत्ति रही है।

लगातार पथराव से व्यक्ति के सिर जैसे महत्वपूर्ण अंग चोटिल हो जाते हैं और ज्यादा खून बहने से व्यक्ति की मौत हो जाती है। असहनीय दर्द होने से भी व्यक्ति की मौत हो जाती है।

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