23 अक्टूबर यानी रविवार को रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने दावा किया कि यूक्रेन ऑपरेशन फॉल्स फ्लैग की तैयारी कर रहा है और वो ‘डर्टी बम’ से हमला कर सकता है। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर ये डर्टी बम क्या है, जिससे रूस भी खौफ में है? आइए, भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं…
परमाणु बम तो सुना था, अब ये ‘डर्टी बम’ क्या है?
डर्टी बम को समझने के लिए परमाणु बम को समझना जरूरी है। परमाणु बम में यूरेनियम या प्लूटोनियम जैसे रेडियोएक्टिव पदार्थों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करके बेहद शक्तिशाली विस्फोट किया जाता है। यह दो तरह से भीषण तबाही फैलाता है।
पहला- रेडियोएक्टिव तत्व में एक चेन रिएक्शन कराया जाता है, जिससे एक बहुत बड़े धमाके के साथ बहुत बड़ी तादाद में एनर्जी और हीट निकलती है। इस गर्मी से फौरन ही 5,000 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान पैदा होता है। कई किलोमीटर के इलाके में तकरीबन सभी तरह के जीव भाप में बदल जाते हैं। धमाके से सभी इमारतें तबाह हो जाती हैं।
दूसरा- रेडियोएक्टिव तत्वों में इस चेन रिएक्शन से भारी तदाद में रेडिएशन फैलता है। ये इतना खतरनाक होता है कि कई वर्षों तक ये लोगों को, जीवों को और पेड़-पौधों को मारता रहता है। इंसानों का शरीर एक छोटी तीव्रता का रेडिएशन झेलने के लिए बना है।
परमाणु बम को बनाना और इस्तेमाल करना हाई टेक्नोलॉजी का काम है। दुनिया में केवल 8 देश ही घोषित रूप से परमाणु हथियार बना पाए हैं। मिसाइल या युद्ध विमानों से परमाणु बमों को दागना भी बेहद जटिल प्रक्रिया है।
डर्टी बम को केवल रेडियोएक्टिविटी फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कमजोर देशों या आतंकी संगठनों के लिए आसान काम है, इसलिए वो इस तरीके को इस्तेमाल करते हैं। इसमें आतंकी संगठन या कमजोर देश लेबोरेटरीज में उपलब्ध रेडियोएक्टिव तत्वों को आम विस्फोटकों जैसे- डाइनामाइट या RDX के साथ रखकर धमाका कर देते हैं।
ये ठीक वैसा ही है जैसा आप गुलाल के ढेर में एक दिवाली का पटाखा रख कर फोड़ दें तो इस धमाके से गुलाल चारों तरफ फैल जाएगा।
इसी तरह डर्टी बम का धमाका होने के बाद चारों तरफ रेडियोएक्टिविटी फैल जाती है। इससे लोग लंबे समय के लिए कैंसर जैसी बीमारियों के शिकार हो जाते हैं।
'डर्टी बम' में इस्तेमाल होने वाला रेडियोएक्टिव कितना खतरनाक है?
अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानी CDC के मुताबिक इस बम का इस्तेमाल डर और दहशत फैलाने के लिए होता है। यही वजह है कि इसका इस्तेमाल जंग के मैदान में नहीं बल्कि शहरों में तबाही मचाने के लिए होता है।
इस बम के विस्फोट होते ही धूल और धुएं का गुबार उठता है। धूल और धुआं के साथ ही रेडियोएक्टिव पार्टिकल्स दूर तक फैलते हैं।
इन पार्टिकल्स के इंसान के संपर्क में आने से शरीर में कैंसर, दिमागी बीमारी और स्किन से जुड़ी खतरनाक बीमारियों हो सकती हैं।
डर्टी बम के विस्फोट से आसपास के लोगों को कितना नुकसान होगा ये मुख्यतौर पर 3 चीजों पर निर्भर करता है…
1. डर्टी बम के विस्फोट होने वाली जगह से दूरी।
2. बम को बनाने में इस्तेमाल किया गया खतरनाक विस्फोटक और रेडियोएक्टिव पदार्थ।
3. डर्टी बम जहां विस्फोट हुआ है, वहां का मौसम और हवा की रफ्तार।
डर्टी बम से सबसे ज्यादा खतरा उस देश की इकोनोमी को होती है, जहां यह विस्फोट किया जाता है। दरअसल, ऐसी किसी भी घटना के बाद शहर में दहशत फैल जाता है। लोग शहर छोड़ने लगते हैं। कारोबार ठप पड़ जाता है।
1980 के दशक में ब्राजील में हुई थी रेडियोलॉजिकल दुर्घटना
13 सितंबर 1987 की बात है। कबाड़ चुनने वाला एक शख्स ब्राजील के गोइयानिया शहर स्थित एक अस्पताल में घुस गया। यहां से वह रेडियोएक्टिव पदार्थ सीजियम -137 चोरी करके अपने घर ले गया।
कुछ दिनों बाद ही शख्स का हाथ सूज गया और तेज दस्त होने की वजह से उसकी मौत हो गई। गोइयानिया शहर में रेडियोएक्टिव पदार्थ के संपर्क में आने की वजह से 4 लोगों की मौत हुई थी जबकि 112,000 लोग इससे प्रभावित हुए थे।
इस घटना के 8 साल बाद ही 1995 में चेचन उग्रवादियों ने डर्टी बम का इस्तेमाल मास्को में किया था। इस बम में भी सीजियम -137 रेडियोएक्टिव का ही इस्तेमाल किया गया था।
‘डर्टी बम’ से खुद को कैसे बचा सकते हैं लोग?
डर्टी बम विस्फोट होने के बाद लोगों को सबसे पहले इसके खतरनाक रेडियोएक्टिव पदार्थ से खुद को बचाना चाहिए। CDC ने इसके लिए कुछ तरीके बताए हैं…
अब जानते हैं डर्टी बम पर रूसी रक्षा मंत्री का पूरा बयान और यूक्रेन का पलटवार…
रूस के रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने कहा, 'यूक्रेन अपनी ही जमीन पर डर्टी बम का इस्तेमाल कर सकता है।' साथ ही उन्होंने कहा कि यूक्रेन ‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन करके पूरी दुनिया को रूस के खिलाफ करना चाहता है। हालांकि, रूस ने इन आरोपों को लेकर मीडिया के सामने किसी तरह का सबूत नहीं दिया है।
यूक्रेन का जवाब:
रूसी रक्षा मंत्री के इस बयान का जवाब यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने कहा कि यहां केवल एक देश परमाणु इस्तेमाल कर सकता है। उन्होंने नाम लिए बिना रूस की ओर इशारा किया।
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन दुनिया के उन देशों में शामिल है जिसने NPT यानी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किया है। इसके मुताबिक यूक्रेन न तो परमाणु बम बनाता है और न ही इसका इस्तेमाल करेगा।
उन्होंने कहा कि रूस जिन चीजों को खुद करने की प्लानिंग कर रहा होता है, हमेशा दूसरे देशों पर वही आरोप लगाता है।
जानिए ‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन जिसका रूसी रक्षा मंत्री ने किया जिक्र
‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन एक ऐसी सैन्य कार्रवाई होती है, जहां पर एक देश छिपकर या जानबूझकर अपनी संपत्ति और इंसान को नुकसान पहुंचाता है। ऐसा करने के बाद दुनिया के सामने वह देश यह बताता है कि उसके दुश्मन देश ने ऐसा किया है।
इस रणनीति के जरिए युद्ध शुरू करने का दोष अपने दुश्मन देश पर डाल दिया जाता है और फिर जवाबी कार्रवाई के नाम पर युद्ध का ऐलान कर दिया जाता है।
1939 में हिटलर की सेना ने इसका इस्तेमाल किया-
1939 की बात है। नाजी जर्मनी के एजेंटों ने पोलैंड बॉर्डर के पास जर्मन रेडियो स्टेशन से जर्मन-विरोधी संदेश का प्रसारित किया था। इसके बाद अपने ही लोगों को जान से मार दिया और पोलैंड के सेना की वर्दी पहना दी थी। उन्होंने जर्मनी पर पोलैंड का नियोजित हमला बताने के लिए ऐसा किया था।
अब रूस का आरोप है कि यूक्रेन अपने लोगों पर डर्टी बम के जरिए इसी तरह से ‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन चलाकर रूस को बदनाम करने की साजिश रच रहा है।
इससे पहले यूक्रेन पर जैविक हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगा चुका है रूस
30 मार्च 2022 की बात है। रूस ने जंग के दौरान दावा किया था कि यूक्रेन में खतरनाक वायरस स्टोर किए गए हैं जिसे रूस के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है।
ऐसा कहा गया था कि अमेरिका के पास 30 देशों में 336 जैविक अनुसंधान लैब हैं, जिनमें 26 लैब अकेले यूक्रेन में हैं। ऐसे में अमेरिका की मदद से यूक्रेन इन लैब्स के जरिए रूस पर जैविक हथियारों से हमला कर सकता है।
इसके साथ ही रूस ने कहा था कि अमेरिका को इन लैब्स में चल रहे जैविक सैन्य गतिविधियों की पूरा जानकारी दुनिया को देनी चाहिए।
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